मऊगंज । विधानसभा क्षेत्र लहर विपरीत परिणाम देने के लिए मशहूर है। भाजपा और कांग्रेस के लिए यह सीट सदैव ही मुश्किल रही है। बसपा के आईएमपी वर्मा ने इस सीट पर 3 बार फतह हासिल की है। ब्राह्मण मतदाताओं के साथ ही अगड़ी व पिछड़ी जातियों से परिपूर्ण इस सीट पर जातीय समीकरण के साथ ही प्रत्याशी का बोलबाला रहा है। उत्तर प्रदेश सीमा से लगे इस विधानसभा क्षेत्र में यूपी के नेताओं का भी दखल रहा है। विकास के मुद्दे के साथ ही यहां रोजगार का मुद्दा बड़ा होता है।
इस मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरने वाले लोग जीत हासिल करते हैं। मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में सार्वधिक समस्या पेयजल संकट को लेकर है। पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां गर्मी के शुरुआती माह से ही पानी का संकट होने लगता है। विधानसभा को जिला बनाने की मांग लंबे समय से चलती आ रही है जो प्रमुख मुद्दों में शामिल है। इन सब बातों से इतर भाजपा के लिए यह सीट कभी भी आसान नहीं रही है।
उमा भारती की पार्टी लोक जनशक्ति से विजयश्री हासिल कर 2008 में लक्ष्मण तिवारी ने भाजपा की सदस्यता ले ली थी। यह सीट तब चर्चा में आई थी, जब मंत्री राजेंद्र शुक्ल के भाई विनोद शुक्ल निर्दलीय चुनाव लड़े थे। तब कांग्रेस जीत गई थी। 2018 में होने वाले चुनाव में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है।