MP : रीवा, ग्वालियर और इंदौर के सरकारी प्रेस होंगे बंद , कर्मचारियों को लगा झटका : कर्मचारी बने रहेंगे इस पर कोई दिशा निर्देश नहीं

 
MP : रीवा, ग्वालियर और इंदौर के सरकारी प्रेस होंगे बंद , कर्मचारियों को लगा झटका : कर्मचारी बने रहेंगे इस पर कोई दिशा निर्देश नहीं


रीवा। लंबे समय से रीवा में सरकारी प्रिंटिंग प्रेस संचालित हो रहा था। जिसे सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने रीवा, ग्वालियर और इंदौर के सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने का निर्णय लिया है। यहां पर काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य पर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इतना जरूर कहा गया है कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें दूसरी जगह रखा जाएगा। अभी सरकार की ओर से कोई दिशा निर्देश नहीं आया है, जिसकी वजह से कर्मचारियों के मन में असमंजस बना हुआ है।
 

यह तय नहीं हो पाया है कि सरकार कितने कर्मचारियों को वीआरएस देगी और कितनों को दूसरे विभागों में रखा जाएगा। अब सरकारी प्रिंटिंग प्रेस भोपाल में रह गया है। जहां पर कुछ कर्मचारियों को भेजा जाएगा। सरकार के निर्णय की जानकारी अखबार के माध्यम से हुई तो सुबह से ही कर्मचारियों के मन में इसी बात को लेकर चर्चा रही कि उनका अब क्या होगा। हालांकि सरकार के उस आश्वासन पर कर्मचारियों को भरोसा है कि उनके हितों को ध्यान में रखा जाएगा। कई कर्मचारियों ने बताया कि वह अब यदि दूसरे शहर भेजे जाएंगे तो अचानक से परिवारिक समस्या उत्पन्न होगी। सीनियर मशीनमैन कल्लू सिंह बागरी का कहना है कि उनकी पारिवारिक स्थिति ऐसी है कि वह शहर के बाहर नहीं जा सकते। इसके लिए वीआरएस के लिए आवेदन करेंगे। वहीं महिला कर्मचारियों को पूरा परिवार लेकर जाना होगा। इस प्रेस के लिए १८० कर्मचारियों का पद है, वर्तमान में ६० काम कर रहे हैं।

११ जिलों के लिए हो रही प्रिंटिंग
सरकारी प्रिंटिंग प्रेस प्रदेश में कुछ चिन्हित स्थानों पर ही हैं। रीवा के प्रेस में ११ जिलों के प्रमुख विभागों द्वारा प्रिंटिंग कराई जा रही है। जिसमें रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, पन्ना, छतरपुर आदि जिले शामिल हैं। अब इन सभी जिलों के विभागों को प्रिंटिंग के लिए भोपाल जाना होगा। 


पहले से चल रही थी बंद करने की तैयारी
रीवा के प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने की तैयारी कई वर्ष पहले से चल रही थी। यह जयस्तंभ चौराहे में स्थित था, जहां की भूमि को पुनर्घनत्वीकरण योजना में शामिल करते हुए बिल्डर्स को दिया गया है। इसे करीब तीन वर्ष पहले ही जयस्तंभ से शहर के बजरंग नगर में स्थित जलसंसाधन विभाग के कार्यालय में अस्थाई रूप से शिफ्ट किया गया था। तभी से इसके भविष्य पर संकट मंडरा रहा था। बीते महीने ही आजादी के पहले चलाई जा रही प्रिंङ्क्षटग मशीनों को कबाड़ के भाव पर बेचा गया है। 

कर्मचारियों ने कहा, भावनात्मक लगाव रहा है संस्था से

सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में बीते 28 साल से काम कर रहा हूं। इसमें दादा और पिता ने भी काम किया है। इस कारण भावनात्मक लगाव रहा है। सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया है, जो भी निर्देश होगा उसका पालन करेंगे। 

राकेश तिवारी, कर्मचारी

41 वर्ष पहले इस प्रेस में इंकमैन के रूप में नौकरी शुरू की थी। इतने समय काम करते नई तकनीकि एवं कई उतार-चढ़ाव भी देखे। अपने आंखों से बंद होते देखना सहज नहीं होगा। सोचा था यहीं से सेवानिवृत्ति भी मिलेगी। सरकार का निर्णय है मानना ही होगा।


इंद्रमणि प्रसाद शुक्ला, सीनियर मशीनमैन

तीन पुस्तें हमारी इसी प्रेस की कमाई से आगे बढ़ी हैं। पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति पर हूं। इससे भावनात्मक लगाव है, मीडिया से जानकारी मिली कि बंद हो रहा है तो पूरे परिवार को झटका लगा है। भरोसा नहीं हो रहा लेकिन जो होगा स्वीकार करेंगे।


दिनेश कुमार तिवारी, सीनियर मशीनमैन

पति भी यहीं काम करते थे, उनकी जगह पर अनुकंपा नियुक्ति मिली है। परिवार की पूरी जिम्मेदारी है। यदि दूसरे शहर सरकार भेजेगी तो पूरे परिवार को लेकर जाना पड़ेगा। विषम परिस्थिति बन गई है, मांग है कि यहीं किसी दूसरे विभाग में रख दिया जाए। 

किरण पटेल, ग्रुप डी

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