MP : कुटुंब न्यायालय में एक शिक्षक ने पत्नी का भरण पोषण बंद करने की गुहार लगाई है : शिकायतों से नौकरी गई, लाकडाउन से कमाई भी बंद

 

MP : कुटुंब न्यायालय में एक शिक्षक ने पत्नी का भरण पोषण बंद करने की गुहार लगाई है : शिकायतों से नौकरी गई, लाकडाउन से कमाई भी बंद

ग्वालियर.। कुटुंब न्यायालय में एक शिक्षक ने पत्नी का भरण पोषण बंद करने की गुहार लगाई है। पति की ओर से तर्क दिया है कि पत्नी की शिकायतों से नौकरी चली गई। लाकडाउन की वजह से कमाई भी बंद हो गई। पत्नी को भरण पोषण के पैसे देने के लिए नहीं है। इसलिए इसे बंद किया जाए। फिलहाल इस मामले पर सुनवाई होनी है।

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वर्ष 2004 में कुलदीप व रागिनी (दोनों परिवर्तित नाम) का विवाह हुआ था, लेकिन विवाह के कुछ सालों बाद दोनों के बीच विवाद होने लगे। पत्नी ने 2009 में कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण का आवेदन लगाया। कोर्ट ने वर्ष 2013 में पत्नी व उसके बच्चे को 8 हजार रुपये भरण पोषण दिए जाने का आदेश दिया। जब यह आदेश दिया गया था तब कुलदीप हर महीने 40 हजार रुपये कमाता था। लेकिन पत्नी ने उसकी शिकायतें शुरू कर दी, जिससे पति की 2014 में नौकरी चली गई। नौकरी जाने के बाद हर महीने भरण पोषण का पैसा देता रहा, लेकिन लाकडाउन के दौरान उसकी कमाई बंद हो गई। लाकडाउन के दौरान से पत्नी को भरण पोषण की राशि नहीं दे सकता है। करीब 1 लाख 4 हजार रुपये का बकाया हो चुका है। इसको लेकर कुलदीप ने फिर से कुटुंब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है कि उसके पास कमाई का साधन नहीं है। इसलिए पत्नी का भरण पोषण बंद किया जाए। वर्तमान में बेरोजगार घूम रहा है।

पत्नी हर रोज देती थी धमकी, पति ले आया कुटुंब न्यायालय:

पत्नी की धमकियों से तंग आकर पति पत्नी को कुटुंब न्यायालय लेकर आ गया। न्यायालय परिसर में झगड़ा करने के बाद दोनों आम सहमति से तलाक का आवेदन पेश किया है। खास बात यह कि पति-पत्नी ने जो वकील किए हैं, वह भी पति-पत्नी है।

अधिवक्ता अरविंद द्विवेदी व अधिवक्ता सीमा द्विवेदी ने दोनों के विवाद को सुलझाने की खूब कोशिश की। ताकि एक घर टूटने से बच जाए, लेकिन पति-पत्नी नहीं माने और आम सहमति से तलाक पेश कर दोनों गवाही कोर्ट में गवाही दी। पति की ओर से पैरवी अरविंद द्विवेदी व पत्नी की ओर से पैरवी सीमा द्विवेदी कर रही हैं।

इनका कहना है

यदि भरण पोषण आदेश होने के बाद विपरीत परिस्थिति हो जाती है तो धारा 127 में आवेदन पेश कर सकते हैं। लाकडाउन की वजह से बेरोजगार हो गया है। भरण पोषण बंद करने का आवेदन पेश किया है।

अजय द्विवेदी, अधिवक्ता


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