कार्तिक पूर्णिमा 2021 : ये दिन देवी देवताओं को खुश करने का है, जानिए पूजा-विधि एवं शुभ मुहूर्त

 

कार्तिक पूर्णिमा 2021 : ये दिन देवी देवताओं को खुश करने का है, जानिए पूजा-विधि एवं शुभ मुहूर्त

पौराणिक कथाओं में कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी देवताओं को खुश करने का दिन होता है। इसलिए इस दिन लोग गंगा में डुबकी लगाकर और दान दक्षिणा करके पुण्य कमाते हैं। वर्ष भर में 12 पूर्णिमा होती हैं, लेकिन जब अधिक मास या मलमास आता है तो इनकी संख्या 13 हो जाती है। इस दिन जब चंद्रमा आकाश में उदित होता है। उस समय 6 कृतिकाओं का पूजन करने से शिवजी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा के स्नान करने से पूरे वर्ष का स्नान करने का फल मिलता है। गंगा और शिव पूजन करने से हर प्रकार के ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार आगामी 19 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र परिधि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और वर्धमान योग में मनाई जाएगी। जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक असुर का विनाश किया था, तभी से भगवान शंकर को त्रिपुरारी कहा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा का उत्सव 5 दिनों तक चलता है। यह प्रबोधिनी एकादशी के दिन से शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन खत्म होता है। पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर, गुरुवार दोपहर 12:00 बजे से प्रारंभ होकर 19 नवंबर शुक्रवार दोपहर 2:26 तक रहेगी। इस दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है। देव दीपावली के दिन समस्त देवता नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते हैं।

इसी कारण से आज भी गंगा स्नान कर लोग दीपदान करते हैं। वहीं देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन यमुना व गंगा तट पर जाकर देव दीपावली मनाते हैं। इसलिए इसे देव दीपावली कहते हैं। दरअसल बाली से वामन देव द्वारा स्वर्ग की प्राप्ति की खुशी में भी यह देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन चंद्रोदय के समय शिवा, संभूति, प्रीति, संताति, अनुसुइया, और क्षमा इन 6 कृतिकाओं का पूजन करना चाहिए। क्योंकि यह स्वामी कार्तिकेय की माता है। अतः इनका पूजन करने से शौर्य, बल, धैर्य गुणों की वृद्धि होती है। साथ ही धन धान्य में बरकत बढ़ती है।

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