छतरपुर : जिला अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही सड़कों पर आई नजर, निजी लैब्स और सेंटर्स के चक्कर काटते रहें मरीज

 

छतरपुर : जिला अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही सड़कों पर आई नजर, निजी लैब्स और सेंटर्स के चक्कर काटते रहें मरीज

छतरपुर कलेक्टर संदीप जी.आर की कड़ी निगरानी के बावजूद, जिला अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही सड़कों पर नजर आती है। लोग इलाज के लिए आते तो अस्पताल हैं। लेकिन स्टॉफ और डॉक्टर्स की लापरवाही के कारण उन्हें निजी लैब्स और सेंटर्स के चक्कर काटने पड़ते हैं। आलम ये है कि परिजन स्ट्रेचर सहित मरीज को लिए इधर-उधर घूमते रहते हैं।

जिले के महाराजपुर निवासी प्रभु दयाल चौरसिया अपने 24 साल के बेटे रोहित को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए थे। जहां हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.एस के गुप्ता और स्टॉफ ने कहा कि जिला अस्पताल में एक्स-रे और जांच की बेहतर सुविधा नहीं है। बाहर से ऐक्स-रे करा लीजिए। मजबूरी में रोहित के परिजन अस्पताल के ही स्ट्रेचर से मरीज को लेकर मेन रोड गए। उन्होंने निजी लैब से ऐक्स-रे और ECG करवाया।

हाल ही में दान में दी थी एक्स-रे मशीन

हालांकि, ऐक्स-रे की सुविधा अस्पताल में भी मौजूद है। दरअसल, 20 दिन पहले ही विजन IAS की दीपाली चतुर्वेदी ने जिला अस्पताल में डिजिटल ऐक्स-रे मशीन भी भेंट की थी। इसका उद्घाटन कलेक्टर ने किया था।

रोहित ने बताया कि मुझसे कहा गया कि अस्पताल में डिजिटल ऐक्स-रे की व्यवस्था नहीं है। यहां पानी वाला एक्सरे होता है। ECG के लिये पेपर रोल नहीं है। इसलिए स्टॉफ ने मुझे निजी लैबों का पता और रास्ता बता दिया।

किसी ने मदद नहीं की

अस्पताल के किसी भी कर्मचारी ने उनकी मदद नहीं की। इसलिए उनके परिजन परेशान होकर इलाज के लिए स्ट्रेचर सड़कों पर चलाते हुए ऐक्स-रे कराने के लिए बाहर लेकर आए। जैसे ही मरीज अस्पताल में आते हैं, वैसे ही वार्ड ब्वॉय यहां-वहां छुप जाते हैं। वे डॉक्टरों की निजी क्लीनिक या उनके घर पर काम करते हैं, इसलिए डॉक्टर्स भी कुछ नहीं कहते।

डॉक्टर ने निजी क्लिनिक पर बुलाया

ऐक्स-रे और जांच कराकर जब रोहित लौटा तो डॉक्टर चेंबर में नहीं थे। जब पूछा तो चला कि डॉक्टर लंच के लिए गए हैं। घंटों इंतजार करने के बाद जब डॉक्टर को फोन किया तो उन्होंने मरीज से फोन पर ही अपने क्लीनिक पर आने के लिए कहा।

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