दो दिन में दो हाथियों की मौत, वन अमला सतर्क, ग्रामीण में डर : ELEPHANT DEATH

 

अम्बिकापुर। दो दिन में दो हाथियों और गर्भ में पल रहे एक बच्चा हाथी की मौत से वन अमले की चिंता बढ़ गई है। आसपास के ग्रामीण भी भयभीत हैं कि हाथियों की हो रही मौत से दल में विचरण कर रहे हाथी आक्रामक होकर हिंसक न हो जाएं। बहरहाल, वन अमला मौत का कारण जानने का प्रयास कर रही है। एक के बाद एक दो हाथियों की हुई मौत से वन अफसरों की परेशानी बढ़ गई है।

सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के गणेशपुर जंगल मे मंगलवार की सुबह जिस स्थान पर गर्भवती हथिनी की मौत हुई थी वहीं एक अन्य हाथी के मारे जाने से वन अमले में हड़कम्प मच गया है। घटनास्थल के नजदीक हाथियों की मौजूदगी के कारण हाथी के शव तक टीम नहीं पहुंच सकी है।

प्यारे हाथी का दल जिसमें 17-18 हाथी शामिल हैं, बीती रात इसमें से फिर एक और हाथी की मौत हो गई है। आज हाथी का शव उसी स्थान पर मिला है, जहां पर कल एक हथिनी का शव मिला था, जो गर्भवती भी थी। मृत हाथी प्यारे दल का ही सदस्य है, जो इस समय प्रतापपुर परिक्षेत्र के रिजर्व फारेस्ट 42 व 43 के मध्य विचरण कर रहा है। यह भी जानकारी मिल रही है कि इस मृत हाथी के समीप दल के अन्य सदस्य मौजूद हैं और वे लगातार चिंघाड़ते हुए आसपास डटे हुए हैं।

यह दल कुछ दिन पूर्व प्रतापपुर परिक्षेत्र से निकल कर राजपुर परिक्षेत्र में चला गया था, लेकिन 3-4 दिन पूर्व यह दल पुनः प्रतापपुर परिक्षेत्र में वापस आ गया। तब से लेकर कल तक यह दल प्रतापपुर परिक्षेत्र के ग्राम गणेशपुर, कनकनगर व चांचीडांड़ तथा टुकुडांड़ क्षेत्र में विचरण कर रहा है।

यह दल कल गणेशपुर के आसपास के जंगल में विचरण कर रहा था, उसी दौरान एक हथिनी के मरने की सूचना वन विभाग को मिली थी। हथिनी की मौत लिवर व स्प्लीन के असामान्य होने के साथ प्रसव पीड़ा से तड़पना बताया गया था।

अभी विभाग इस मामले से उबर भी नही पाया था कि बुधवार सुबह फिर उसी जगह पर एक अन्य हाथी के मरने की खबर विभाग को मिली है। यह स्थल प्रतापपुर-अम्बिकापुर मुख्य मार्ग से लगे गणेशपुर के चिटकाबहरा मोहल्ले से अंदर कनकनगर के रास्ते पर है। इस रास्ते पर अंदर की ओर वन विभाग द्वारा एक बांध बनाया गया है, जिसमें हाथियों का दल अभी पानी पीने आ रहा था। इसी बांध के समीप प्यारे दल के सभी हाथी ठहरे हुए हैं।

पिछले दो दिनों में दो हाथी व गर्भ में पल रहे मादा शावक कुल मिलाकर तीन हाथी की मौत से हाथी संरक्षण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को करारा झटका लगा है। इस प्रकार हाथी की मौत को लेकर वन विभाग के साथ आसपास क्षेत्र के ग्रामीण भी भयभीत हैं।

उन्हें आशंका है कि दो हाथियों की मौत के बाद हाथियों की कब्रगाह बनते जा रहे आरएफ 42 में अब हाथियों का कई दिनों तक जमावड़ा रहेगा और यह क्षेत्र इंसानों के आवागमन के लिए अभी कुछ दिनों तक सुरक्षित नहीं होगा। ग्रामीणों के अनुसार घटनास्थल के पास स्थानीय वन अमला पहुंच चुका है। पास में हाथी का जमावड़ा होने से वन अमला हाथी के लाश के समीप जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।