MP : पढ़िए ! देश की पहली महिला फाइटर पायलट अवनि चतुर्वेदी की सक्सेस स्टोरी, कैसे कम उम्र में हासिल की बड़ी सफलता

 


भोपाल। देश में एयरफोर्स और महिलाओं की सफलता की बात हो तो अवनि चतुर्वेदी का नाम जरूर लिया जाता है। देश की पहली महिला फाइटर पायलट अवनि चतुर्वेदी मध्यप्रदेश की हैं। घर पर सभी बुलबुल नाम से बुलाते हैं और उसका लक्ष्य था कि वो भी फाइटर प्लेन उड़ाए। बुलबुल का यह सपना पूरा हुआ। 

जानिए एयर फोर्स दिवस के मौके पर अवनि की सक्सेस स्टोरी।



रीवा के सिविल लाइन कालोनी में रहने वाले जल संसाधन के कार्यपालन यंत्री डीपी चतुर्वेदी की बेटी अवनि का चयन 5 साल पहले वायु सेना के लिए हुआ था। ट्रेनिंग की सफलता के बाद 8 मार्च 2016 को वायुसेना ने हैदराबाद एयरफोर्स अकादमी में पासिंग आउड परेड के बाद तीन महिला पायलटों को देश के सामने पेश किया था। जिसमें रीवा की अवनि चतुर्वेदी, बिहार के बेगूसराय की भावना कांत एवं गुजरात के बड़ोदरा की मोहना सिंह शामिल थी। उसी साल 18 जून को तीनों को वायुसेना में कमीशन किया गया था। अवनी ने लक्ष्य बनाया था कि फाइटर प्लेन जरूर उड़ाएंगे, पहला या दूसरा स्थान हासिल करने की कोई मंशा नहीं थी, लेकिन संयोग रहा कि सबसे पहले मौका मिला। अवनि चतुर्वेदी ने अकेले फाइटर जेट में पहली बार उड़ान भरी थी।

फ्लाइंग लेफ्टिनेंट से हुई शादी

अवनि की शादी हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर दयानंद छिकारा के बेटे विनीत छिकारा से पिछले साल नवंबर में हुई थी। विनीत भी वायुसेना में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट  हैं। अवनि चतुर्वेदी को राष्ट्रपति की ओर से नारी शक्ति सम्मान भी मिला। अवनी के साथ ही दो अन्य महिला फाइटर पायलट को भी यह सम्मान मिला था।



अवनि के बारे में

-बचपन से शांत स्वभाव की अवनि ( अवनी ) का चित्रकारी से बड़ा लगाव रहा है।
-घर के लोग प्यार से बुलबुल कहते हैं।
-बीटेक की पढ़ाई के बाद कम्प्यूटर साफ्टवेयर कंपनी में काम की इच्छा हुई तो आवेदन किया और चयन भी हो गया। 
-बेंगलुरू में करीब एक वर्ष से अधिक समय तक वहां काम किया, अच्छे कार्य के चलते कंपनी प्रमोशन देना चाह रही थी। -इसी बीच वायुसेना में जाने का अवसर मिला तो फाइटर प्लेन उड़ाने का लक्ष्य रखा।
-अवनि ने हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी से ट्रेनिंग ली है।
-फिलहाल वह राजस्थान के सूरतगढ़ में स्क्वॉड्रन नंबर-23 में तैनात हैं।
-2018 में उन्हें फ्लाइट लेफ्टिनेंट बनाया गया था।
-2018 में अवनि को वनस्थली विद्यापीठ ने डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।

पंछी की तरह उड़ना चाहती थी अवनि


अवनी के पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं। अवनि के भाई भी आर्मी में कैप्टन हैं। चाचा समेत परिवार के कई सदस्य आर्मी के जरिए देशसेवा में जुटे हैं। इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने के बाद अवनी ने बताया था कि इस वजह से उसने आर्मी की लाइफ को करीब से देखा है और उसे यह लाइफ पसंद है। अवनी बचपन से ही पंछी की तरह उड़ना चाहती थी। उन्होंने घर में बिना किसी को बताए एयरफोर्स के लिए आवेदन दिया हैं। उसका चयन होने पर ही परिजनों को इस बारे में जानकारी मिली थीं।

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