जज बनने का सपना या शादी का दबाव? चलती ट्रेन से गायब हुई बेटी की नेपाल में मिलने की पूरी कहानी जो पूरे देश में वायरल हो गई!

 
लापता सिविल जज छात्रा अर्चना तिवारी: एक चलती ट्रेन से गुमशुदा होने और नेपाल में मिलने की पूरी कहानी

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) इस समय देश में एक ऐसा मामला चर्चा में है जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—सवाल निजी स्वतंत्रता, पारिवारिक दबाव और युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को लेकर। यह कहानी है मध्य प्रदेश के कटनी की रहने वाली 22 वर्षीय अर्चना तिवारी की, जो सिविल जज बनने का सपना देख रही थीं, लेकिन अपने ही परिवार के दबाव से बचने के लिए उन्होंने एक ऐसा कदम उठाया जिसने सबको हैरान कर दिया।

अर्चना तिवारी कौन है और वह क्यों चर्चा में है? 
अर्चना तिवारी, जो भोपाल में रहकर सिविल जज की परीक्षा की तैयारी कर रही थीं, 7 अगस्त को रक्षाबंधन के लिए अपने घर लौट रही थीं। उन्होंने इंदौर से जबलपुर जा रही नर्मदा एक्सप्रेस में एसी कोच में सफर किया। सब कुछ सामान्य लग रहा था। उनके परिवार वाले कटनी स्टेशन पर उनका इंतजार कर रहे थे। जब ट्रेन पहुँची, तो सब हैरान रह गए, क्योंकि अर्चना अपनी सीट पर नहीं थीं। ट्रेन में उनका सारा सामान मौजूद था—बैग, मोबाइल और अन्य निजी सामान। बस वे ही गायब थीं। परिवार ने तुरंत जीआरपी (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) को सूचना दी और उनके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस जांच कैसे शुरू हुई और क्या-क्या हुआ? 
अर्चना के लापता होने की खबर फैलते ही, इस मामले ने तेज़ी से सुर्खियां बटोरीं। पुलिस ने तुरंत अपनी जांच शुरू की। शुरुआत में, इसे अपहरण का मामला माना गया। पुलिस ने कटनी से लेकर भोपाल तक के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। नर्मदा एक्सप्रेस के कोच और प्लेटफॉर्म्स की बारीकी से जांच की गई। पुलिस के लिए यह एक पहेली बन गई थी। ट्रेन में सामान मौजूद होना और व्यक्ति का गायब हो जाना किसी भी आपराधिक साजिश की तरफ इशारा कर रहा था। पुलिस ने जंगल और आसपास के इलाकों में भी खोजबीन की, लेकिन अर्चना का कोई सुराग नहीं मिला।

लापता होने के 12 दिन बाद क्या हुआ? 
यह पूरा मामला तब एक नया मोड़ ले आया जब लापता होने के 12 दिनों बाद, 19 अगस्त को अर्चना ने अपनी माँ को फोन किया। यह एक भावनात्मक पल था, लेकिन पुलिस के लिए यह एक अहम सुराग भी था। जीआरपी भोपाल ने तुरंत इस फोन कॉल को ट्रैक किया। लोकेशन उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में नेपाल बॉर्डर के पास पाई गई। यह जानकारी मिलते ही, जीआरपी भोपाल की टीम उत्तर प्रदेश रवाना हो गई।

पुलिस ने अर्चना को कहाँ और कैसे ढूंढा? 
जीआरपी टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से नेपाल सीमा के पास अर्चना को बरामद कर लिया। उनकी वापसी की खबर ने उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ा दी, लेकिन साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिए। अर्चना के मिलने के बाद, पुलिस ने उनसे पूछताछ की, जिसमें उन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किए।

अर्चना ने क्यों छोड़ा घर और क्यों गई नेपाल? 
पूछताछ में अर्चना ने बताया कि वह अपनी मर्जी से गई थीं। उन्होंने परिवार वालों पर शादी का दबाव डालने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि वे सिविल जज बनना चाहती हैं और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहती हैं। लेकिन उनके परिवार वाले उन पर शादी करने का दबाव बना रहे थे, जिससे वे परेशान थीं। इसी मानसिक तनाव से बचने के लिए उन्होंने ट्रेन से उतरने और घर छोड़कर जाने का फैसला किया।

उन्होंने पुलिस को बताया कि वे किसी भी तरह के आपराधिक साजिश का शिकार नहीं हुई थीं। वे अपनी मर्जी से ट्रेन से उतरी थीं और फिर नेपाल की तरफ चली गईं। उन्होंने कई दिनों तक पैदल यात्रा भी की। पुलिस ने बताया कि अर्चना बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से यह कदम उठाया, इसलिए उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है।

इस घटना से क्या सीख मिलती है? 
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के लापता होने और मिलने की कहानी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की एक बड़ी समस्या को उजागर करता है। आज भी कई युवा अपनी पसंद से जीवन जीना चाहते हैं, लेकिन उन पर परिवार और समाज का दबाव होता है। यह दबाव कभी-कभी इतना बढ़ जाता है कि वे इस तरह के बड़े और जोखिम भरे कदम उठा लेते हैं।

अर्चना तिवारी का मामला एक वेक-अप कॉल है, जो हमें यह बताता है कि हमें अपने बच्चों की पसंद का सम्मान करना चाहिए। उन्हें अपनी शिक्षा और करियर चुनने की स्वतंत्रता देनी चाहिए। पारिवारिक दबाव के कारण कई बार बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, जिससे वे गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

आगे क्या हुआ? 
अर्चना तिवारी को सुरक्षित उनके परिवार को सौंप दिया गया है। पुलिस ने इस मामले को सुलझा दिया है और अब इसमें कोई आगे की कार्यवाही नहीं होगी। लेकिन यह कहानी समाज में एक बड़ी बहस का मुद्दा बन गई है। सोशल मीडिया पर लोग अर्चना के इस कदम को लेकर अलग-अलग राय दे रहे हैं। कुछ लोग उनके साहस की सराहना कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे गलत बता रहे हैं। लेकिन यह एक सच्चाई है कि उन्होंने अपने सपनों और आजादी को बचाने के लिए यह कदम उठाया।