PREGNANCY TIPS : कोरोना के इस दौर में गर्भवती महिलाएं अपना और अपने बच्चे का रखे खास ख़्याल, जानिए कैसे

 

गर्भावस्था में महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है जिसके चलते मां को संक्रमण का अधिक ख़तरा होता है। कोरोना के इस दौर में उन्हें अपना खास ख़्याल रखना होगा। ज़रूरी है कि गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण नियमित हो। पूरे एहतियात बरतते हुए बिना कोताही के सारे टीके लगवाएं। नियमित रूप से 2-3 हफ़्ते में जांच करानी चाहिए। चूंकि कोरोना संक्रमण का ख़तरा बना हुआ है, तो ऐसे समय में जांच के तरीक़ों में भी बदलाव किए गए हैं। साथ ही विशेषज्ञों द्वारा कुछ सुझाव भी दिए गए हैं ताकि मां अपनी और बच्चे की देखभाल ख़ुद कर सके।

टेली कंसल्टेशन से जांच

संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में फोन पर परामर्श से मदद की जा रही है। मान लीजिए, पहला चेकअप आज हो गया है, तो दो हफ़्ते बाद होने वाले चेकअप को टेली कंसल्टेशन के माध्यम से किया जाता है। मां को समस्या होने पर टेस्ट कराकर रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद मेल या मैसेज पर प्रिस्क्रिप्शन दी जाती है। जिन मरीज़ों को ज़्यादा जोखिम नहीं है, उन्हें फोन पर सलाह दी जाती है और फिर चेकअप को महीने भर के लिए टाल दिया जाता है। अगर अल्ट्रासाउंड कराना ज़रूरी है, तो मां को बुला लिया जाता है। जो महिलाएं डिलीवरी के ज़्यादा क़रीब हैं, उन्हें भी टेली कंसल्टेशन के माध्यम से सलाह दी जाती है। ज़रूरत होने पर अस्पताल बुलाया जाता है। यदि मां को खांसी या बुखार जैसे लक्षण हैं, तो कोविड-19 टेस्ट के लिए स्क्रीनिंग ज़रूरी होती है, ताकि प्रसव के दौरान एहतियात बरते जा सकें।

मां से बच्चा नहीं होता संक्रमित

जिन महिलाओं का प्रसव निकट है और वे रेड ज़ोन या कंटेनमेंट क्षेत्र से हैं, या किसी बीमारी का संदेह होता है तो मां की स्क्रीनिंग की जाती है। अगर मां की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव है तो प्रसव के बाद बच्चा मां के साथ ही रहता है। प्रसव के बाद अगर मां कोविड-19 से संक्रमित है तो क्वारंटाइन में रहने के बाद मां के दो सैंपल निगेटिव आने तक बच्चे को अलग ही रखा जाता है। कई बार कोविड रिपोर्ट आने में 48 घंटे का समय भी लग जाता है। ऐसे आपातकालीन मामलों में प्रसव के बाद रिपोर्ट आने तक मां को आइसोलेशन में रखा जाता है।

हालांकि स्तनपान कराने से बच्चे में संक्रमण नहीं पहुंचता लेकिन ड्रॉपलेट या मां-बच्चे की नज़दीकी के कारण बच्चे में संक्रमण की आशंका होती है। अगर किसी महिला के कोविड-19 से संक्रमित होने का संदेह है और उसकी रिपोर्ट नहीं आई है या कोविड-19 के लक्षणों की पहचान हो गई है तो वे अपने बच्चे को सीधे स्तनपान नहीं करा सकतीं। बच्चे को एक्सप्रेस्ड मिल्क दे सकती हैं। वहीं जिस महिला की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव है, वो अपने बच्चे को डॉक्टर की सलाह से स्तनपान करा सकती हैं।

कुछ सावधानियां घर में भी

गर्भवती महिलाएं घर से बाहर जाने से परहेज़ करें। जहां तक सम्भव हो, घर के अंदर ही रहें। छत या बालकनी में सैर करें। बाहरी लोगों से बिल्कुल नहीं मिलें।

अगर घर में किसी व्यक्ति में खांसी, ज़ुकाम और बुखार जैसे लक्षण दिखाई दें, तो उससे दूरी बनाएं। साथ ही उसे कोविड-19 की जांच कराने के लिए कहें।

अगर किसी ज़रूरी कार्य से घर से बाहर जा रही हैं तो चेहरे पर दो मास्क अवश्य लगाएं। गर्भवती महिलाएं कच्ची सब्ज़ियां और कच्चे भोज्य पदार्थ खाने से बचें। खाना अच्छी तरह पकाकर खाएं। फल-सब्ज़ियां अच्छी तरह धोने के बाद इस्तेमाल करें।

समय के मुताबिक़ नियमित रूप से योग, ध्यान एवं व्यायाम ज़रूर करें। हाथों को धोती रहें या सैनिटाइज़ करते रहें।

घर के अंदर रहते हुए भी सामाजिक दूरी का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।