लापता लड़की का 'ड्रामा' खत्म! रेलवे पुलिस ने सुलझाया देशभर को हिला देने वाला केस

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) देशभर में हड़कंप मचाने वाला अर्चना तिवारी मिसिंग केस आखिरकार सुलझ गया है। 12 दिनों तक चली गहन खोजबीन के बाद रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने युवती को उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा के पास लखीमपुर खीरी से बरामद कर लिया। पूछताछ में जो खुलासा हुआ, उसने सबको चौंका दिया। इस पूरे ड्रामे की मुख्य किरदार खुद अर्चना ही थी, जिसने दो दोस्तों के साथ मिलकर अपनी गुमशुदगी की पूरी कहानी रची थी।

क्यों घर से भागी थी अर्चना? क्या थी वजह?
रेलवे पुलिस के अनुसार, अर्चना तिवारी कटनी की रहने वाली है। उसके परिजनों ने उसकी शादी एक पटवारी से तय कर दी थी। अर्चना फिलहाल शादी नहीं करना चाहती थी और इसी बात से वह अपने परिवार से नाराज थी। अपनी नाराजगी के कारण उसने एक चौंकाने वाली योजना बनाई। इस योजना में उसका साथ उसके दो दोस्तों ने दिया: सारांश जैन (निवासी शुजालपुर) और तेजिंदर। इस पूरी साजिश को इन तीनों ने मिलकर हरदा में बुना था, जहां वे 6 अगस्त को किसी काम से गए थे। योजना को 7-8 अगस्त को अंजाम दिया गया।

ट्रेन में ही कैसे बदली थी वेशभूषा?
साजिश के तहत, अर्चना ने इंदौर से कटनी जाने वाली ट्रेन में बी3 एसी कोच में एक सीट बुक कराई। जब ट्रेन नर्मदापुरम पहुंची, तो अर्चना ने अपने कपड़े बदले। तेजिंदर ने उसे पहले से ही नए कपड़े उपलब्ध कराए थे। इसके बाद, वह दूसरी बोगी में चली गई और इटारसी स्टेशन पर ट्रेन के आउटर में उतरकर निकल गई। यहां पर सारांश जैन गाड़ी लेकर उसका इंतजार कर रहा था, जो सड़क मार्ग से इटारसी पहुंचा था।

पुलिस को गुमराह करने की थी पूरी कोशिश
ट्रेन से उतरने के बाद, अर्चना ने अपना मोबाइल और घड़ी तेजिंदर को दे दिए और उसे मिडघाट वाले क्षेत्र में फेंकने को कहा। उनकी योजना यह थी कि पुलिस को गुमराह कर यह दिखाया जाए कि अर्चना चलती ट्रेन से गिर गई थी। इससे वे पुलिस जांच को दूसरी दिशा में मोड़ना चाहते थे। हालांकि, उनकी योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पाई, क्योंकि कुछ ही देर बाद दिल्ली पुलिस ने तेजिंदर को किसी अन्य धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार कर लिया। अर्चना ने अपना बाकी सामान ट्रेन की सीट पर ही छोड़ दिया था।

कई राज्यों से होते हुए काठमांडू तक का सफर
इटारसी से निकलने के बाद, अर्चना और सारांश पहले शुजालपुर पहुंचे। वहां उन्होंने आर्बिट मॉल में एक नया मोबाइल खरीदा। इसके बाद वे मध्य प्रदेश छोड़कर हैदराबाद चले गए और कुछ दिन वहां रहे। जब मामला और बढ़ने लगा और पुलिस की तलाश तेज हुई, तो दोनों ने नेपाल जाने का फैसला किया। उन्होंने जोधपुर से बस पकड़ी और दिल्ली होते हुए काठमांडू पहुंच गए। अर्चना नेपाल में ही रुक गई, जबकि सारांश वापस लौट आया। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए सारांश ने अपना पुराना सिम बंद कर दिया और अपने पिता के नाम से एक नई सिम का इस्तेमाल किया।

सारांश के पकड़े जाने पर हुआ खुलासा
रेलवे पुलिस ने इस मामले की गहनता से जांच की। जब पुलिस ने सारांश जैन को पकड़ा और उससे पूछताछ की, तब इस पूरे मामले पर से पर्दा उठा। सारांश ने पूरी कहानी पुलिस को बता दी। इसके बाद, पुलिस ने फोन पर अर्चना से संपर्क किया और उसे नेपाल की सीमा तक बुलाया। सीमा पर ही युवती को बरामद कर लिया गया और उसे उसके परिजनों को सौंप दिया गया है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि एक छोटी सी नाराजगी के कारण लोग इतने बड़े कदम उठा सकते हैं, जिससे न केवल खुद को बल्कि उनके परिवार और पुलिस को भी परेशान होना पड़ता है।