REWA : तेंदूपत्ता बोनस फर्जीवाड़ा पर बड़ी कार्यवाही : श्रमिकों के बोनस वितरण में फर्जीवाड़ा करने वाले रेंजर सहित तीन अन्य के खिलाफ आरोप सिद्ध, 10 लाख की हुई वसूली

 

रीवा वन मंडलाधिकारी ने तेंदूपत्ता बोनस फर्जीवाड़ा पर बड़ी कार्रवाई कर रिकवरी की राशि जमा करवा दी है। व​न सूत्रों की मानें तो वर्ष 2017 और 2018 के तेंदूपत्ता बोनस फर्जीवाड़े मामले में रेंजर सहित तीन अन्य के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर राशि वसूली कर ली गई है। हालांकि इस मामले में निलंबित दो वनरक्षकों को बहाल कर सिरमौर रेंज से हटा दिया गया है। ये मामला वन परिक्षेत्र सिरमौर अंतर्गत पटेहरा समिति का है।

बता दें कि पटेहरा समिति अंतर्गत जंगली श्रमिकों के तेंदूपत्ता बोनस वितरण में बड़े स्तर पर लापरवाही का मामला सामने आया था। शिकवा-शिकायतों के बाद पूरे प्रकरण की जांच मऊगंज उप वनमंडल अधिकारी से कराई गई थी। ऐसे में बोनस वितरण में फर्जीवाड़ा पाया गया। जांच अधिकारी ने यह भी बताया कि शासन स्तर से जो बोनस श्रमिकों के वितरण के लिए भेजा गया था। उसका कर्मचारियों-अधिकारियों ने बंदरबांट कर लिया।

वास्तविकता सामने आने पर वनपरिक्षेत्र अधिकारी देवेंद्र कुमार अहिरवार से 1 लाख 65 हजार रुपए, वनरक्षक देशराज जाटव से 8 लाख रुपए और समिति प्रबंधक से 52 हजार रुपए जमा कराया गया था। लाखों रुपए के शासकीय राशि से फर्जीवाड़े के बावजूद जिम्मेदारों द्वारा पुलिस थाने में मामला दर्ज नहीं कराया गया था। जबकि डीएफओ ने वन परिक्षेत्र अधिकारी से कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। लेकिन आज तक ठंडे बस्ते में है।

क्या है मामला

वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2017 और 2018 का तेंदूपत्ता बोनस श्रमिकों को वितरित होना था। ऐसे में पटेहरा वन समिति के 734 पंजीकृत श्रमिकों को बोनस वितरित किया जाना था। लेकिन सिर्फ एक सैकड़ा श्रमिकों को ही आधा-अधूरा बोनस मिला। जबकि वन परिक्षेत्र कार्यालय ने शेष राशि फर्जी लोगों के नाम से खाते में डाल कर वापस ले ली। शिकायत होने पर मऊगंज वन एसडीओ से मामले की जांच कराई थी।

ऐसे हुआ था खुलासा

सूत्रों का दावा था कि वन विभाग की ओर से पहले कुछ श्रमिकों के खाते में बोनस की राशि डाली गई। जिसके कुछ दिन बाद यह जानकारी उन श्रमिकों तक पहुंची। जिन्हें बोनस राशि नहीं मिली थी। ऐसे में धीरे-धीरे बोनस के गोलमाल की जानकारी 734 श्रमिकों तक पहुंच गई। तब सभी श्रमिक एक साथ एकत्र होकर रेंज कार्यालय पहुंचे। जहां जमकर हंगामा किया था। जिससे फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी वन मंडलाधिकारी तक पहुंच गई।

निलंबित वनरक्षक अब बहाल

गौरलतब है कि बोनस फर्जीवाड़े में तत्कालीन वन मंडल अधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने वनरक्षक देशराज जाटव और तारेश तिवारी को निलंबित कर दिया था। साथ ही कम्प्यूटर ऑपरेटर को सेवा से पृथक कर दिया था। राशि जमा करने के बाद दोनों वन रक्षकों को बहाल कर दिया गया। अब वनरक्षक देशराज जाटव को हनुमना रेंज और तारेश तिवारी को रीवा रेंज अंतर्गत चोरहटा स्थित हर्बल प्लांट में भेज दिया गया है।