उज्जैन : बदल गया वायरस; लोगो की समझ से बाहर : कुछ घंटे में लंग्स पर अटैक, सैंपल निगेटिव लेकिन संक्रमण से हो रही मौतें

 

शहर में शुक्रवार को एक दिन में कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 323 तक पहुंच गया था, जबकि 2020 में इन्हीं दिनों में केवल 20 पॉजिटिव मिले थे। रविवार को पॉजिटिव और संदिग्ध मिलाकर 50 लोगों की मौत हो गई। अस्पतालों में भर्ती अधिकांश मरीज ऑक्सीजन पर हैं। यह हालात प्रशासन को चिंता में डाले हुए हैं।

क्योंकि अधिकारी समझ नहीं पा रहे अचानक संक्रमण क्यों बढ़ गया, क्यों इतनी मौतें हो रहीं, क्यों ज्यादातर मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही। जरूरत भी इस तादाद में कि उसकी पूर्ति के लिए 24 घंटे व्यवस्था करना पड़ रही। ऐसे कई सवाल न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के जेहन में उथल-पुथल मचाए हैं, बल्कि डॉक्टर्स भी कोरोना के इस बदलते हालात पर हतप्रभ जैसे ही नजर आ रहे हैं। संक्रमण और मौत की रफ्तार को रोकने के लिए अब तक कोई नया रास्ता नहीं मिला है। लॉकडाउन एक कोशिश भर है, इलाज नहीं।

इन सवालों को लेकर भास्कर ने उन चिकित्सकों से जवाब जानने की कोशिश की जो विभिन्न अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनका आब्जरवेशन उन तथ्यों पर आधारित है जो वे रोज मरीजों का इलाज करते हुए महसूस कर रहे हैं। इन चिकित्सकों का कहना है हमें अधिकार नहीं कि कोई टिप्पणी करें लेकिन यदि प्रशासन इन पर विचार करे तो कोरोना पर नियंत्रण की नई रणनीति बन सकती है-

यह बड़े कारण संक्रमण बढ़ने के

1 वायरस ने प्रकृति बदली- वायरस ने अपनी प्रकृति बदल ली है। पहले सर्दी-खांसी, बुखार जैसे लक्षण थे, अब दस्त, पेट दर्द, शरीर में दर्द, जकड़न जैसे लक्षण वाले भी पॉजिटिव हो रहे।

2 तेजी से फैल रहा- पहले वायरस 7 दिन बाद फेफड़ों तक पहुंचता था। अब घंटों में पहुंच रहा। नाक और गले में वह कुछ घंटे रुक रहा और सीधे फेफड़े या पेट में जा रहा। इसलिए अस्पताल ले जाने तक स्थिति ऑक्सीजन पर रखने जैसी हो रही।

3 सैंपल में नहीं आ रहा वायरस- जब तक व्यक्ति बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहा तब तक वायरस नाक और गले से आगे जा चुका होता है। इसलिए सैंपल में निगेटिव आ रहे।

4 पता चले तब तक कई को बांट चुका बीमारी- मरीज को जब तक स्वयं के पॉजिटिव होने का पता चले उसके पहले वह कई लोगों को बीमारी बांट चुका होता है। इसलिए तेजी से पॉजिटिव बढ़ रहे।

5 पूरा परिवार संक्रमित- कई मामलों में परिवार के एक व्यक्ति के पॉजिटिव होते ही पूरा परिवार चपेट में आ रहा, क्योंकि वायरस के फैलने की रफ्तार तेज हो गई है।

दोपहर 1:15 बजे : चक्रतीर्थ पर जल रही थी 17 चिताएं

जूना सोमवारिया बड़ा पुल मार्ग स्थित चक्रतीर्थ पर नदी किनारे बनी एक भी ओटला खाली नहीं था। यहां शुक्रवार दोपहर सवा एक बजे एक साथ 17 चिताएं जल रही थीं। इस बीच मुक्ति वाहन और शव यात्राओं का भी आना जारी थी।

कांधा तक नहीं, पीपीई किट में जा रहे शव कोरोना संक्रमण से मरीजों की मौत हो रही है, इन सबके बीच सबसे दु:खद यह है कि मरने वाले को कांधा तक नसीब नहीं। मुक्ति वाहन में पीपीई किट पहने दो लोग शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हुए दिख रहे हैं। हालात ठीक नहीं है, जितना हो सके अत्यधिक सावधानी बरतें।

कोरोना के लक्षण नहीं लेकिन फेफड़े संक्रमित

डॉक्टर्स बताते हैं कि मरीज को दस्त, पेट दर्द, हाथ पैर में दर्द या जकड़न जैसी मामूली शिकायत होती है। दो दिन में वह गंभीर बीमार हो जाता है। सिटी स्कैन कराने पर फेफड़ों में इंफेक्शन पता चलता है। एसिंप्टोमैटिक होने से वह अस्पताल पहुंचने के पहले अपने परिवार और मिलने-जुलने वालों, दुकानों, दफ्तर आदि में बीमारी बांट चुका होता है।

बीमार हैं तो तुरंत सैंपल दें, अन्यथा जान को खतरा

डॉक्टर्स का कहना है मेडिकल की दवा से ठीक होने की कोशिश जानलेवा हो सकती है। बीमार हैं तो तुरंत सैंपल दें। यदि संक्रमण फेफड़े तक पहुंच गया तो जानलेवा हो सकती है। जनमानस की जागरुकता ही कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोक सकती है। मास्क लगाए, सोशल डिस्टेंसिंग, अनावश्यक बाहर न जाएं, भीड़ में जाने से बचें।

वायरस बदल चुका है। पिछले साल 7 दिन में फेफड़ों तक पहुंचता था, अब दो-तीन दिन में फेफड़ों में इंफेक्शन हो रहा है। इससे बचाव का कोई नया उपाय नहीं है। 

डॉ एचपी सोनानिया, नोडल अधिकारी