REWA : रीवा से शहडोल मार्ग के बीच अब सफर करना होगा महंगा : 15 अक्टूबर के बाद स्टेट हाईवे में एक साथ दो स्थानों पर टोल प्लाजा शुरू करने की तैयारी

 

विंध्य क्षेत्र के रीवा से शहडोल मार्ग के बीच चार साल बाद सफर महंगा होने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो 15 अक्टूबर के बाद MPRDC ने शहडोल डिवीजन 165 km के स्टेट हाईवे में एक साथ दो स्थानों पर टोल प्लाजा शुरू करने की तैयारी कर ली है। दावा है कि मरम्मत के एवज में एक साल तक संबंधित ठेका कंपनियों से MPRDC टोल जमा कराएगी।

MPRDC शहडोल डिवीजन के संभागीय प्रबंधक डीके स्वर्णकार की मानें तो टोल लेने का काम दो अलग-अलग कंपनियों को मिला है। कंपनियों ने निर्धारित स्थान पर टोल प्लाजा का निर्माण पूरा कर लिया है। कंपनियां अब टोल जमा कराने के लिए हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही हैं।

2017 के बाद फिर टोल

बता दें कि 2017 तक रीवा-शहडोल स्टेट हाईवे पर वाहनों से टोल लिया जा रहा था। हालांकि, टोल जमा करने वाली कंपनी सड़कों का मरम्मत कराती थी। लेकिन 2017 में ही टोल जमा कराने की सीमा समाप्त हो गई। ऐसे में 4 साल तक रीवा-शहडोल मार्ग टोल मुक्त रहा। अधिकारियों का दावा है कि अब जो टोल लेना शुरू हो रही है, उसका समय एक साल के लिए रहेगा।

रीवा से ब्यौहारी के बीच में होगा पहला टोल

रीवा से शहडोल की दूरी 165 km है। ऐसे में 80-80 km की दूरी में दो स्थानों पर टोल प्लाजा बनाए गए हैं। पहला टोल रीवा से ब्यौहारी के बीच और दूसरा टोल ब्यौहारी से शहडोल के मध्य होगा है। यदि आप रीवा से शहडोल तक का सफर कर रहे हैं तो दोनों स्थानों पर टोल का भुगतान करना होगा।

आधा अधूरा काम, फिर भी टोल की तैयारी शुरू

MPRDC की गाइडलाइन के मुताबिक सड़क मरम्मत का कार्य पूरा होने के बाद ही टोल की वसूली की जानी चाहिए। लेकिन, इस मार्ग पर अभी 40 से 50 प्रतिशत का काम ही हो पाया है। दावा है कि ब्यौहारी से शहडोल के बीच 50 प्रतिशत और रीवा से ब्यौहारी के बीच 40 प्रतिशत मरम्मत का कार्य ही हुआ है।

शुरू होने से पहले हो जाएगी मरम्मत

MPRDC से जुड़े सूत्रों का कहना है कि टोल वसूली शुरू होने के पहले बचा हुआ मरम्मत का काम पूरा कर लिया जाएगा, जिससे वाहनों को टोल देने में किसी तरह की दिक्कत न हो। इधर चर्चा है कि एक माह पूर्व कंपनी ने एमपीआरडीसी से टोल वसूली शुरू करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन सड़क की मरम्मत का काम न हो पाने पर MPRDC ने आपत्ति लगाते हुए टोल वसूली की अनुमति नहीं दी थी।