MP : मंत्रालय की लेडी ऑफिसर का मामला : वॉट्सऐप चैट पर भाई से पूछा, निगेटिविटी को कैसे कम करें, अफसर से परेशान रहने के आरोप

 

MP NEWS : भोपाल में 5वीं मंजिल से कूदकर सुसाइड करने वाली लेडी मैनेजर पर काम का दबाव था। इससे वे डिप्रेश हो चुकी थीं। उनको मंत्रालय स्थित मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPIDC) का ऑफिस सपने में भी दिखता था। उन्होंने काम में आ रही दिक्कत और दबाव के बारे में अपने छोटे भाई को भी बताया था। ऐसी कई बातें अपने पिता और मां को भी बताई थी। बता दें, लेडी मैनेजर रानी शर्मा ने सोमवार को सुसाइड कर लिया था। 

परिजनों से चर्चा 

रानी के छोटे भाई अभिषेक शर्मा ने बताया, सुसाइड से पहले बहन से उनसे वॉट्सऐप चैट पर बात हुई थी। वो पूछ रही थी कि निगेटिविटी को कैसे कम करें। उसके दिमाग में बहुत कुछ निगेटिव चल रहा था। वो अपने किसी अफसर से परेशान थी। वो उसके नौकरी से निकालने की धमकी भी देते थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन पर काम का कितना प्रेशर रहा होगा। पढ़िए रानी ने अपने भाई से चैट पर क्या बात की थी...

मैं अच्छे से काम नहीं कर पा रही हूं। गलतियां होती रहती हैं। सपने में भी मुझे यही सब दिखता है। दिमाग शांत नहीं रहता। मैं निगेटिव थॉट्स की चेन में फंस गई हूं। मैं कैसे इन सब से बाहर निकलूं।

मैनेजर के पिता वेदराम शर्मा ने बताया...

हमें पता था कि बेटी डिप्रेशन में है, हम घबराए हुए थे। इसलिए उसकी मां को भोपाल भेजा। पत्नी ने बताया था कि बेटी की हालत बेहद खराब है। मेरा यहां मन नहीं लग रहा था तो मैं भी भोपाल चला गया। शुक्रवार तक बेटी के साथ रहा। शनिवार और रविवार को उसके ऑफिस की छुट्‌टी थी। मैंने उसे घर (ग्वालियर) चलने के लिए कहा, लेकिन बेटी राजी नहीं हुई। वह बार-बार कहती रही कि सर बहुत डांटते हैं। छोटी-छोटी गलती पर परेशान करते हैं। नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी देते हैं। सर कौन हैं? उसने यह नहीं बताया। मैंने उससे ट्रांसफर कराने के लिए कहा। उसका कहना था कि वह इस जाल से कभी बाहर नहीं निकल पाएगी। वहां जब बड़े-बड़े IAS हैं, उनका कोई कुछ नहीं कर पाया तो मेरी बात कैसे सुनी जाएगी...।

मां के सामने 5वीं मंजिल से कूद गई बेटी

मां ने रोते हुए बताया, सुसाइड से पहले बेटी रात भर नहीं सोई। मेरी आंखों के सामने उसकी जान चली गई और मैं कुछ नहीं कर पाई। मुझे पता था, मेरी बच्ची परेशान है। मैं उसके पास रहने के लिए भोपाल ही आ गई। रातभर उसके पास थी। डर लगता था कि बेटी कोई गलत कदम न उठा ले। रविवार की रात भी मैं उसके पास ही थी। उसने सुबह 5 बजे बाथरूम जाने के लिए कहा, लेकिन वह बालकनी की तरफ जाने लगी। मैं उसके पीछे दौड़ी। वह तेजी से बालकनी पर चढ़ी और कूद गई। मैंने उसका हाथ पकड़ा। उसका रिस्ट बैंड मेरे हाथ में रह गया। मैं दौड़कर नीचे गई। उसकी सांसें चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो मदद मांग रही थी। उसने मुझसे कहा- ​​​​ मुझे क्या हो गया मां...। और फिर चुप हो गई।

पेरेंट्स की तसल्ली के लिए कराया रिजर्वेशन

29 जुलाई की रात वेदराम शर्मा बेटी को घर लाना चाहते थे, पर रानी ने सोमवार को खुद आने के लिए कहा। सोमवार सुबह का रिजर्वेशन भी कराया, लेकिन, मन में कुछ और चल रहा था। रविवार रातभर वह जागती रही और सुबह 5 बजे अपार्टमेंट की 5वीं मंजिल से छलांग लगा दी।

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