MP : गर्म हुई सियासत : विंध्य या महाकौशल से कौन पहनेगा ताज, साफ-सुथरी छवि वाले विधायक राजेंद्र शुक्ल शिवराज के करीबी : क्षेत्रीय जनता के हैं प्रबल दावेदार

 
रीवा. उपचुनाव में बड़ी सफलता हासिल कर भारतीय जनता पार्टी ने अब मध्य प्रदेश विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। अब मंत्रिमंडल का विस्तार भी होगा और विधानसभा अध्यक्ष की स्थायी ताजपोशी भी होगी। लिहाजा भाजपा के अंदर ही सियासत गर्म हो गई है। अंदर ही अंदर सवाल उठने लगा है कि क्या अब विंध्य या महाकौशल के खाते में आएगा यह ताज!

फिलहाल भोपाल की हुजूर सीट से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। माना जा रहा है कि शिवराज सरकार अब जल्द ही इस पद के लिए स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी।

बीजेपी सूत्रों के अनुसार इस बार विधानसभा अध्यक्ष विंध्य या महाकौशल से हो सकता है। इसके पीछे तर्क है कि भाजपा को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाने में विंध्य का अहम् योगदान रहा है। वहीं महाकौशल की भूमिका को भी कमतर करके नहीं आंका जा सकता। गर विंध्य क्षेत्र की बात करें तो, रीवा से चौथी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे, साफ-सुथरी छवि वाले विधायक राजेंद्र शुक्ल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी भी माने जाते हैं। वह चौहान सरकार में मंत्री रह भी चुके हैं। अपनी साफ-सुथरी और एक कर्मठ नेता की छवि के चलते वह क्षेत्र में काफी लोकप्रिय भी हैं। पिछली सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने विंध्य के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। फिलहाल जब वह महज विधायक हैं तब भी वह अपने क्षेत्र के विकास की खातिर लगातार जुटे रहते हैं। भाजपा और आरएसएस के शीर्ष नेताओं के बीच भी उनकी अच्छी पैठ है। क्षेत्रीय जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं की निगाह में वह विधानसभा अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में हैं। हांलाकि क्षेत्रीय जनता उन्हें केबिनेट मंत्री के तौर पद एक बार फिर देखने को लालायित है।


वही रीवा जिले की देवतालाब सीट से विधायक गिरीश गौतम और बालाघाट सीट से विधायक गौरीशंकर बिसेन को भी विधानसभा अध्यक्ष पद का दावेदार माना जा रहा है. गिरीश गौतम विंध्य से आते हैं तो बिसेन महाकौशल अंचल से आते हैं. लिहाजा क्षेत्रीय समीकरण और वरिष्टता के अधार पर दोनों में से किसी एक नेता को यह पद दिया जा सकता है।


सीधी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक केदार शुक्ला भी विधानसभा अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है। कुछ लोग उनके मंत्री बनने की चर्चा भी कर रहे हैं। वहीं ये भी तर्क दिया जा रहा है कि वरिष्ठता के आधार पर केदार शुक्ला को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए।

सतना जिले के नागौद विधानसभा क्षेत्र से विधायक नागेंद्र सिंह भी इस दौड़ में शामिल हैं। वह पिछली शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इतना ही नहीं 2014 में वे खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। विंध्य के जातिगत समीकरणों के लिहाज से उन्हें इस पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।

वैसे मंत्री बिसाहूलाल सिंह तो खुलकर विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष होने की बात कह चुके हैं। वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा का आलाकमान भी विंध्य और महाकौशल से ही विस अध्यक्ष पद के लिए चेहरा देख रही है।

बात महाकौशल की की जाय तो जबलपुर जिले की पाटन विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक बने अजय विश्नोई का नाम भी विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। विश्नोई मंत्री न बनाए जाने से नाराज भी बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार पर बयान देते हुए सीएम शिवराज को क्षेत्रीय सतुलंन बनाए रखने की सलाह भी दी थी। माना जा रहा है कि महाकौशल से ज्यादा मंत्री न होने की वजह से अजय विश्नोई को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

वहीं होशंगाबाद से छटवीं बार विधायक चुने गए सीतासरन शर्मा का नाम भी इस रेस में शामिल हैं। वे पंद्रहवी विधानसभा में अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल भी चुके हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी होने के चलते उन्हें एक बार फिर से यह पद हासिल हो सकता है।

मंदसौर सीट से विधायक बने यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम की चर्चा भी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चल रही है। सिसोदिया को मंत्री बनाए जाने की बात भी सामने आई थी। लेकिन जगदीश देवड़ा और हरदीप सिंह डंग के मंत्री बनने से उनका पत्ता कट गया. लिहाजा अब जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उनके नाम की चर्चा भी इस पद के लिए चल रही है।

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