बड़ी खबर: मऊगंज में 'माफियाराज'! शराब तस्करों का दावा- 'शासन-प्रशासन मैनेज है, सब खरीद लिया है'
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मऊगंज जिले में अवैध शराब का कारोबार किस कदर फल-फूल रहा है, इसका एक और ठोस प्रमाण सामने आया है। शाहपुर थाना क्षेत्र के करा गांव में ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ से शराब की छह पेटी की तस्करी कर रहे दो युवकों को रंगे हाथों पकड़ लिया। यह घटना न केवल अवैध शराब के कारोबार की व्यापकता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे आम जनता की जागरूकता पुलिस की कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया है, जहां पकड़े गए युवकों ने दावा किया है कि उन्हें शराब कंपनियों द्वारा जबरन इस अवैध धंधे में धकेला गया है। यह आरोप इस समस्या की गहरी जड़ों को उजागर करता है।
कैसे हुआ इस अवैध शराब का पर्दाफाश?
यह पूरा मामला तब सामने आया जब करा गांव के कुछ जागरूक ग्रामीणों ने दो युवकों को साइकिल पर छह पेटी अवैध शराब ले जाते हुए देखा। उनका संदेह सही साबित हुआ। जब उन्होंने युवकों को रोका और उनसे पूछताछ की, तो उनके पास न तो शराब बेचने का कोई लाइसेंस था और न ही परिवहन के लिए कोई वैध दस्तावेज। ग्रामीणों ने बिना देर किए इस मामले की सूचना शाहपुर पुलिस स्टेशन को दी। पुलिस टीम ने तुरंत कार्रवाई की और मौके पर पहुंचकर अवैध शराब की खेप को जब्त कर लिया और दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया। यह घटना दर्शाती है कि समाज में जागृति ही अपराध को रोकने का पहला कदम है।
पकड़े गए आरोपी और उनका चौंकाने वाला आरोप
पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार किए गए दोनों युवकों ने एक ऐसा आरोप लगाया है जो इस पूरे मामले को एक नया मोड़ देता है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें शराब कंपनियों द्वारा जबरन इस तस्करी के काम के लिए मजबूर किया जा रहा है। उनका कहना है कि अगर वे यह काम नहीं करते, तो उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है। यह आरोप न केवल स्थानीय स्तर पर शराब कंपनियों के दबदबे को दिखाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि यह अवैध कारोबार एक संगठित नेटवर्क के माध्यम से चल रहा है। पुलिस अब इस दावे की गहराई से जांच कर रही है ताकि इस नेटवर्क के असली सरगना तक पहुंचा जा सके।
शराब कारोबारी प्रतिद्वंदिता: एक नया पहलू
मऊगंज जिले में अवैध शराब का कारोबार एक आपसी प्रतिद्वंदिता का भी शिकार हो रहा है। बताया जा रहा है कि शराब कारोबारी और तस्कर एक-दूसरे के धंधे को नुकसान पहुंचाने के लिए सक्रिय रूप से एक-दूसरे के बारे में पुलिस को सूचनाएं लीक कर रहे हैं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से यह भी साफ हो गया कि यह सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि आर्थिक प्रतिस्पर्धा का भी एक उदाहरण है। जब एक पक्ष दूसरे को नीचे गिराना चाहता है, तो ऐसे वीडियो और खुलासे आम हो जाते हैं। यह स्थिति बताती है कि अवैध कारोबार किस हद तक बढ़ चुका है, जहां मुनाफा कमाने की होड़ में हर कोई एक-दूसरे को एक्सपोज करने पर तुला हुआ है।
मऊगंज में शराब तस्करी की गहरी जड़ें
मऊगंज जिले में शराब तस्करी की घटनाएं लगातार क्यों बढ़ रही हैं? इसके पीछे कई कारण हैं।
- आसान उपलब्धता और कम कीमत: अवैध शराब अक्सर वैध दुकानों की तुलना में कम कीमत पर मिलती है, जिससे लोग इसे खरीदने के लिए प्रेरित होते हैं।
- बेरोजगारी: कई युवा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, बेरोजगारी के कारण ऐसे अवैध कामों में फंस जाते हैं।
- कानूनी खामियां: कुछ मामलों में, कानून प्रवर्तन की ढिलाई या कानूनी प्रक्रिया में देरी भी ऐसे कारोबारियों का हौसला बढ़ाती है।
- संगठित नेटवर्क: युवकों के आरोप के अनुसार, इसके पीछे एक बड़ा संगठित नेटवर्क काम कर रहा है जो छोटे तस्करों का इस्तेमाल करता है।
पुलिस और जनता का साझा प्रयास ही है समाधान
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पुलिस और जनता के बीच सहयोग ही अपराधों पर लगाम लगाने का सबसे प्रभावी तरीका है। ग्रामीणों ने बिना डरे तस्करों को पकड़ा और पुलिस को सूचना दी, जिससे एक बड़ी सफलता मिली। पुलिस ने भी त्वरित कार्रवाई कर अपनी मुस्तैदी दिखाई। यह एक आदर्श स्थिति है जहां समाज का हर सदस्य अपनी जिम्मेदारी समझता है। स्थानीय प्रशासन को इस घटना को एक सबक के रूप में लेना चाहिए और जनता को ऐसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
इस मामले में पुलिस ने पंचनामा बनाकर आगे की जांच शुरू कर दी है। यह जांच केवल दो तस्करों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उस पूरे नेटवर्क को तोड़ना चाहिए जो इस अवैध कारोबार को चला रहा है। यह घटना मऊगंज के लिए एक चेतावनी है कि अगर इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो यह और भी विकराल रूप ले सकती है।