पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हार और ममता बनर्जी की जीत के मायने, कहां चूक गए पीएम नरेंद्र मोदी?

 

कोलकाता : तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था. उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था. हबीब जालिब का ये शेर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की मौजूदा हालत पर बिलकुल सटीक बैठता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में धुआंधार प्रचार, फायरब्रांड नेता, रैलियां, जुलूस, लाखों लोगों का हुजूम जमाकर बीजेपी को लगा कि वो ममता बनर्जी के गढ़ में सेंधमारी करने में कामयाब रहेगी. लेकिन ममता बनर्जी की आंधी में बीजेपी धूल की तरह उड़ती हुई नजर आ रही है. आलम ये है कि रुझानों में भी बीजेपी 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पा रही है वहीं तृणमूल कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज करती नजर आ रही है.

कोरोना सीधा अटैक करता है फेफड़ों पर, स्वस्थ रखने के लिए करें ये टिप्स फॅालो

TMC की इस जीत के कई मायने 

तृणमूल कांग्रेस की इस जीत के कई मायने हैं. किसान आंदोलन शुरू होने के बाद ये पहला बड़ा विधानसभा चुनाव था. बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पूरी ताकत झोंक दी. जेपी नड्डा से लेकर अमित शाह तक और योगी आदित्यनाथ से लेकर मिथुन चक्रवर्ती तक सारे फायर ब्रांड नेता और दूसरी तरफ अकेली ममता बनर्जी. लेकिन फिर भी ममता बनर्जी जीती और प्रचंड बहुमत के साथ जीतीं. ममता बनर्जी की जीत कई मायनों में अहम है. सबसे पहले तो ये जीत बीजेपी के लिए बड़ा सियासी सबक है कि हर चुनाव हिंदु-मुसलमान करके नहीं जीता जा सकता. ये फॉर्मूला पुराना हो गया. अब लोग हिंदु-मुसलमान के नाम पर लामबंद होकर वोट नहीं करते बल्कि मुद्दों पर वोटिंग होती है. दिल्ली के बाद पश्चिम बंगाल की हार इस तथ्य की ओर साफ इशारा करती है.

BANK HOLIDAYS : मई में 12 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखिए पूरी लिस्ट और नोट कर लीजिए तारीख

दूसरी बड़ी बात ये कि बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धक्का लगा है. फिर कारण चाहे देशभर में जारी किसानों का आंदोलन हो या फिर कोरोना मैनेजमेंट को लेकर केंद्र सरकार की लापरवाही, हर उस मुद्दे ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 को प्रभावित किया. पश्चिम बंगाल की हार के बाद भी अगर बीजेपी ने सबक नहीं लिया तो आने वाले विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को शिकस्त खानी पड़ सकती है.