अब बढ़ेगा मौसमी बीमारियां का असर, स्वास्थ्य मंत्रालय की इस गाइडलाइन करें पालन

 


मानसून के बाद हर साल अचानक मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इस बार कोरोना महामारी होने के कारण यह खतरा और अधिक बढ़ गया है। इस पर भी खतरा यह है कि कोरोना वायरस और डेंगू, मलेरिया, मौसमी फ्लू (एच1एन1), चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के लक्षण समान हैं। ऐसे में इस सीजन इन बीमारियों की अनदेखी बहुत भारी पड़ सकती है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने गाइ़डलाइन जारी कर बचाव के तौर तरीके बताए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड19 के साथ डेंगू, मलेरिया, मौसमी फ्लू (एच1एन1), चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए बताया है कि मानसून के दौरान और मानसून के बाद खास भौगोलिक क्षेत्रों में बीमारियों के प्रति उच्च सतर्कता रखी जानी चाहिए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन की खास बातें

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जीवाणु के सह संक्रमण को भी सामान्य या गंभीर कोरोना मरीजों के मामले में ध्यान देने की जरूरत है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (क्ष्क्ग्ङ) के परामर्श के अनुरूप कोरोना और मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया तथा फ्लू, लेप्टोसपिरोसिस आदि से संबंधित दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाना चाहिए। अस्पताल में कोरोना जांच के लिए रैपिड एंटीजन जांच किट की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (ज़्क्तग्र्) की परिभाषा के मुताबिक, कोरोना का मामला संभवतः तेज बुखार और खांसी या तीनों या इससे अधिक लक्षण जैसे- बुखार, खांसी, कमजोरी, चक्कर आना, सिर दर्द, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, नजला, उल्टी दस्त, मति भ्रम आदि हो सकता है।

मौसमी महामारी संभावित बीमारी बुखार के रूप में सामने आ सकती है जिसके लक्षण कोरोना की तरह हो। ऐसे में बुखार को छोड़ कई और चिह्न और लक्षण भी हो सकते हैं जिससे बीमारी का पता लगाने में मुश्किल आए। इसको देखते हुए दिशानिर्देश में कोरोना और मौसमी इन्फ्लुएंजा में दोनों की जांच करने की बात कही गई है।


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