इतिहास गवाह है: सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर जाने के बाद मध्य प्रदेश में पार्टी की कब्र खुदना तय है | CONGRESS

 

कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है जब भी किसी राज्य में उसकी पार्टी का कोई बड़ा नेता या सहयोगी पार्टी उसका साथ छोड़ती है तो उस राज्य में हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर पायी है या यूं कहें कभी वापसी नहीं कर पाई है। ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश की सियासत में देखने को मिला रहा है, जहाँ  ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ देने के बाद से ये कहा जा रहा है कि इस बार अगर राज्य से कांग्रेस की सरकार गयी तो आने वाले समय में यहाँ वापसी करना इसके लिए बहुत मुश्किल हो जायेगा।
अब हम ऐसा क्यों कह कहे हैं उसके लिए देश के कुछ राज्यों में कांग्रेस की स्थिति को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है, जहाँ समय के साथ कांग्रेस पार्टी का न केवल जनाधार खिसका है बल्कि कुछ राज्यों में तो उसका सफाया ही हो गया है।  पश्चिम बंगाल में कांग्रेस इमरजेंसी के बाद से अबतक अपने बूते सरकार नहीं बना सकी है। जब पश्चिम बंगाल में दशकों तक कम्युनिस्ट का शासन रहा तब कांग्रेस प्रमुख रूप से विपक्षी पार्टी हुआ करती थी। हालांकि,वर्ष 2011 में  ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर ये पार्टी सत्ता में आई परन्तु जल्द ही ये गठबंधन टूट गया। आज राज्य में कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं रहा है। हालत ये है कि आज राज्य में टीएमसी, बीजेपी, कम्युनिस्ट के बाद कांग्रेस का नंबर आता है।