कान पकड़कर मांगी माफी, फिर भी नहीं बची नौकरी: ट्रेन में RPF सिपाही की 'गंदी हरकत' ने हिलाया सिस्टम

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) भारतीय रेलवे, जो देश की जीवन रेखा कहलाती है, हर दिन लाखों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुँचाती है। इन यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवान भी तैनात रहते हैं। लेकिन, जब सुरक्षाकर्मी ही महिलाओं के लिए खतरा बन जाएं, तो यह एक बेहद गंभीर और चिंताजनक स्थिति पैदा करता है। हाल ही में दिल्ली से प्रयागराज जा रही एक ट्रेन में ऐसी ही एक शर्मनाक घटना सामने आई है। एक महिला यात्री ने आरोप लगाया है कि रात में सोते समय एक RPF सिपाही ने उसे गलत तरीके से छुआ। महिला की बहादुरी और त्वरित कार्रवाई ने न केवल आरोपी को सबक सिखाया, बल्कि इस पूरे मामले को उजागर कर दिया, जिससे समाज में एक बड़ी बहस छिड़ गई है।

रात के सफर में सुरक्षा की जगह खतरा: क्या हुआ था उस रात?
यह घटना 14 अगस्त की है, जब एक महिला यात्री दिल्ली से प्रयागराज जाने वाली एक ट्रेन में अकेली सफर कर रही थी। रात का समय था और ट्रेन के अधिकांश यात्री सो रहे थे। महिला भी अपनी सीट पर सो गई थी। इसी बीच, एक RPF सिपाही, जिसे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया था, वहाँ आ गया। महिला का आरोप है कि सोते समय उस सिपाही ने उसे गलत तरीके से छुआ। यह एक ऐसा क्षण था जब सुरक्षा की उम्मीद कर रही एक यात्री को उसकी सबसे बड़ी निराशा और डर का सामना करना पड़ा। इस घटना ने एक बार फिर इस सवाल को जन्म दिया है कि जब रात के सफर में पुलिसकर्मी ही महिलाओं के लिए खतरा बन जाते हैं, तो महिलाएं खुद को कैसे सुरक्षित महसूस कर सकती हैं?

महिला की बहादुरी और त्वरित प्रतिक्रिया: उसने RPF सिपाही को कैसे लताड़ा?
अचानक हुए इस दुर्व्यवहार से महिला की नींद टूट गई। उसे तुरंत एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हुआ है। बिना किसी डर या हिचकिचाहट के, वह अपनी सीट से उठी और आरोपी सिपाही की इस शर्मनाक हरकत के लिए उसे लताड़ने लगी। महिला ने तुरंत अपने मोबाइल का कैमरा ऑन कर लिया और इस घटना को रिकॉर्ड करने लगी।

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि महिला पुलिस वाले से गुस्से में पूछ रही है, "तुमने मुझे छुआ कैसे? आपको महिलाओं की सेफ्टी के लिए रखा गया है और आप ही ऐसी हरकत कर रहे हैं।" महिला की ये बातें सिर्फ उस सिपाही से सवाल नहीं थीं, बल्कि पूरे सिस्टम से सवाल थीं। एक तरफ, सरकार महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ, वर्दीधारी ऐसे अपराध करते हैं। महिला का यह कदम लाखों महिलाओं के लिए एक उदाहरण बन गया, कि ऐसे समय में चुप रहना नहीं, बल्कि आवाज उठाना जरूरी है।

कान पकड़कर मांगी माफी: क्या नौकरी जाने का डर था?
वीडियो में आरपीएफ सिपाही का व्यवहार भी साफ दिखाई दे रहा है। जब उसे एहसास हुआ कि महिला ने उसकी हरकत को कैमरे में कैद कर लिया है, तो वह तुरंत डर गया। उसने बार-बार हाथ जोड़कर और कान पकड़कर महिला से माफी मांगी। वह महिला से वीडियो नहीं बनाने की गुहार लगाता रहा और बार-बार कहता रहा कि ऐसा करने से उसकी नौकरी चली जाएगी। यह दिखाता है कि उसे अपनी गलती का एहसास नहीं, बल्कि अपनी नौकरी खोने का डर था। एक पुलिसकर्मी का यह व्यवहार, जो कानून का रखवाला है, शर्मनाक है। यह सवाल उठाता है कि क्या ऐसे लोग वर्दी पहनने के लायक हैं?

यह घटना पुलिस बल के भीतर की कमजोरियों को भी उजागर करती है। यह बताती है कि वर्दी और पद का गलत इस्तेमाल करने वाले लोग भी हमारे बीच मौजूद हैं। लेकिन महिला की बहादुरी ने यह सुनिश्चित किया कि उसकी आवाज सुनी जाए।

सोशल मीडिया का असर और प्रयागराज पुलिस की त्वरित कार्रवाई: मामले का क्या हुआ?
महिला ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया। यह वीडियो 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर @AsrAmjad नाम के यूजर द्वारा शेयर किया गया, जो तेजी से वायरल हो गया। वीडियो को लाखों लोगों ने देखा और शेयर किया। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होते ही पुलिस विभाग पर तुरंत कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया।

SP GRP प्रयागराज ने इस मामले का तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने अपने आधिकारिक हैंडल से जवाब देते हुए बताया कि, "जांच उपरांत संबंधित पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया है और विभागीय कार्यवाही जारी है।" यह कार्रवाई दर्शाती है कि जब जनता जागरूक होती है और सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करती है, तो न्याय तेजी से मिलता है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि सोशल मीडिया आज के समय में एक शक्तिशाली टूल है, जो न्याय सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।

सुरक्षा व्यवस्था में खामियां और आगे का रास्ता: क्या हम अपनी बेटियों को सुरक्षित रख सकते हैं?
यह मामला सिर्फ एक सिपाही की गलत हरकत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था में गहरी खामियों को उजागर करता है। जब सुरक्षाकर्मी ही महिलाओं के लिए खतरा बन जाते हैं, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है। इस घटना से यह सबक मिलता है कि रेलवे को न केवल पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए, बल्कि उनकी निगरानी भी सुनिश्चित करनी चाहिए। ऐसे कर्मचारियों की मानसिक और नैतिक जांच भी जरूरी है, ताकि वे अपने पद का गलत इस्तेमाल न करें।

समाज को भी इस पर विचार करना होगा कि हम अपनी बेटियों को सुरक्षित यात्रा के लिए क्या माहौल दे रहे हैं। हर महिला को अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक होना चाहिए और किसी भी गलत व्यवहार का विरोध करने की हिम्मत रखनी चाहिए। पुलिस और प्रशासन को ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हरकत करने की हिम्मत न करे। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि हम सबको मिलकर एक सुरक्षित समाज का निर्माण करना होगा, जहाँ हर महिला बिना किसी डर के यात्रा कर सके।