रीवा में 'पचमठा' और 'घोघर' के बाद 'BTL फैक्ट्री' के पास भी 'जहरीला' केक साम्राज्य का माफिया राज: 'हम शुक्ला जी के आदमी हैं, कोई कुछ नहीं कर सकता!'
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर में खाद्य सुरक्षा का दावा पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है। हाल ही में अमहिया थाना क्षेत्र की 'विन्नी एंड केक' बेकरी पर हुई 'नाममात्र की' कार्रवाई ने पूरे शहर की केक दुकानों और खाद्य विभाग की मिलीभगत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक छोटे बच्चे के बदबूदार केक खाने से बीमार पड़ने पर जो छापा पड़ा, उसने सिर्फ एक दुकान की पोल खोली, लेकिन असलियत कहीं ज़्यादा भयावह है: पूरे रीवा शहर को गंदगी से भरे कारखानों और घरों में बने 'जहर'नुमा केक परोसे जा रहे हैं, और खाद्य विभाग गहरी नींद में सो रहा है!
ऐसे गन्दगी में बनाते है खाने वाले केक
अब (BTl Factory) के आसपास भी अवैध रूप से बिस्किट, केक और क्रीम बनाने का एक और बड़ा गोरखधंधा सामने आया है। यहाँ खुलेआम गंदगी और असुरक्षित माहौल में बने उत्पाद पूरे शहर में सप्लाई किए जा रहे हैं, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये कारोबारी खुलेआम खुद को उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला का आदमी बताते हुए धमकियां देते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता – न कलेक्टर, न पुलिस, और न ही खाद्य विभाग! यह स्थिति रीवा में माफिया राज और प्रशासनिक मिलीभगत पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
'विन्नी एंड केक' पर छापा: क्या सिर्फ दिखावा था?
शुक्रवार को 'विन्नी एंड केक' बेकरी में खाद्य विभाग की टीम ने छापा मारा। ग्राहक की शिकायत थी कि केक खाने से उसका बेटा बीमार पड़ गया। जांच में किचन में "साफ-सफाई का घोर अभाव", "गंदगी का अंबार", और "दीवारों का काला पड़ना" पाया गया। अधिकारी अमरीश दुबे ने सैंपल लेने और कार्रवाई की बात कही है, लेकिन सवाल यह है कि यह कार्रवाई कितनी सख्त होगी? क्या यह सिर्फ 'औपचारिकता' है, जैसा कि रीवा में अक्सर देखा जाता है?
शहर भर में गंदगी के अड्डे: घोघर और पचमठा का 'काला कारोबार'
'विन्नी एंड केक' सिर्फ एक बानगी है। रीवा शहर की हकीकत यह है कि घोघर और पचमठा जैसे इलाकों में दर्जनों छोटी-बड़ी बेकरियाँ और अवैध फैक्टरियां धड़ल्ले से चल रही हैं, जहाँ केक और बेकरी उत्पाद बनाने में साफ-सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है!
- अंधेरे और गंदगी से भरे कमरे: इन जगहों पर केक बनाने की प्रक्रिया ऐसे कमरों में चलती है जहाँ सूरज की रोशनी तक नहीं पहुँचती, और चारों तरफ गंदगी, मकड़ी के जाले और कीड़े-मकोड़े घूमते रहते हैं।
- पुराना और घटिया सामान: सस्ते और घटिया दर्जे के कच्चे माल का उपयोग किया जाता है, जिनकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती। एक्सपायरी डेट वाले उत्पादों का भी बेखौफ इस्तेमाल होता है।
- अस्वच्छता का आलम: कर्मचारी बिना ग्लव्स, बिना मास्क के काम करते हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता का तो नामोनिशान तक नहीं होता।
- ये 'गंदगी के अड्डे' पूरे रीवा शहर को केक की सप्लाई करते हैं। बड़े-बड़े नामी-गिरामी शोरूम भी इन्हीं जगहों से सस्ते में केक खरीदकर अपने लेबल लगाकर महंगे दामों पर बेचते हैं।
BTL फैक्ट्री के पास 'अवैध फैक्ट्री': बेखौफ परोसा जा रहा 'जहर'!
सूत्रों और स्थानीय लोगों के अनुसार, बॉटल फैक्ट्री के आसपास कई स्थानों पर अवैध रूप से बेकरी उत्पाद बनाए जा रहे हैं। ये छोटी-बड़ी फैक्टरियां और घर, जहाँ बिस्किट, केक और क्रीम का उत्पादन होता है, गंदगी और अस्वच्छता का चरम उदाहरण हैं।
स्वास्थ्य से खिलवाड़: इन जगहों पर न तो साफ-सफाई के मानक पूरे किए जाते हैं और न ही खाद्य सुरक्षा नियमों का पालन।
सस्ते और घटिया सामग्री: मुनाफाखोरी के लिए घटिया दर्जे की सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता शून्य होती है।
अंधेरे और बदबूदार ठिकाने: अक्सर ये ठिकाने अंधेरी, सीलन भरी जगहों पर होते हैं, जहाँ कीड़े-मकोड़े और चूहे खुले घूमते हैं।
इन जगहों से बनने वाले उत्पाद पूरे रीवा शहर की छोटी-बड़ी दुकानों और यहाँ तक कि प्रतिष्ठित बेकरियों तक सप्लाई होते हैं, जिससे हर वर्ग के लोग, खासकर बच्चे, सीधे तौर पर स्वास्थ्य जोखिम में पड़ रहे हैं।
'हम शुक्ला जी के आदमी हैं': खुली धमकियां, बेबस प्रशासन!
सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि जब इन अवैध कारोबारियों पर कार्रवाई की बात आती है, तो वे खुलेआम सत्ताधारी नेताओं के नाम का दुरुपयोग करते हैं। ये धंधेबाज बेखौफ होकर कहते हैं, "हम राजेंद्र शुक्ला के आदमी हैं, हमारा कोई कुछ नहीं कर सकता!" यह दावा न केवल उप मुख्यमंत्री के नाम का गलत इस्तेमाल है, बल्कि यह रीवा के कलेक्टर, पुलिस और खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सीधा हमला है।
क्या यह सच है कि प्रशासन इन अवैध गतिविधियों को रोकने में इसलिए विफल है क्योंकि इन माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है? क्या उप मुख्यमंत्री के नाम का उपयोग करके शहर की जनता को 'जहर' परोसने वाले इन अपराधियों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी?
पचमठा में अवैध रूप से बिना बोर्ड के संचालित हो रहा है हरीश केक एंड बेकरी
खाद्य विभाग की 'मिलीभगत' पर गंभीर आरोप
'विन्नी एंड केक' पर हुई 'औपचारिक' कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खाद्य विभाग रीवा में पूरी तरह से निष्क्रिय या लिप्त है। साल में इक्का-दुक्का दिखावे के छापे और सैम्पल लेने के नाम पर लीपापोती क्यों की जाती है, जबकि शहर में खुलेआम गंदगी का साम्राज्य चल रहा है?
रीवा की जनता जानना चाहती है:
कब तक ये 'मौत के कारोबारी' शहर में बेखौफ होकर घूमते रहेंगे?
कब तक खाद्य विभाग अपनी आँखें मूंदे रहेगा और सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता रहेगा?
क्या कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक इस चुनौती को स्वीकार कर इन बेखौफ माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे, भले ही वे कितने भी बड़े नाम का सहारा लें?
यह समय है जब रीवा का प्रशासन अपनी ताकत दिखाए और इन अपराधियों को उनकी असली जगह दिखाए। जनता को जवाब चाहिए, और अब यह लड़ाई सीधे सिस्टम और माफिया राज के बीच की है!