रीवा में 'अतिक्रमण का खेल' जारी: नगर निगम हटाता है, 'माफिया' फिर जमाता है; कौन-कौन अधिकारी हैं इस मिलीभगत में शामिल?

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो)  रीवा शहर में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चल रही 'नौटंकी' से हर नागरिक परेशान है। नगर निगम एक तरफ कार्रवाई का ढोल पीटता है, और दूसरी तरफ अतिक्रमणकारी कुछ ही घंटों में या अगले दिन उसी जगह पर दोबारा अपना 'राज' जमा लेते हैं। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है, शहर के हर स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों के पास खुलेआम चाय, गुटखा और अन्य सामान की दुकानें फिर से सज जाती हैं। सवाल यह है कि आखिर रीवा के नगर निगम आयुक्त, जिला शिक्षा अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, और खासकर खाद्य विभाग के अधिकारी किस नींद में सो रहे हैं? क्या यह सिर्फ अधिकारियों की मिलीभगत और निष्क्रियता का नतीजा नहीं है?

किसकी जिम्मेदारी? कौन है दोषी?

  1. नगर निगम आयुक्त/क्षेत्रीय अधिकारी: अतिक्रमण हटाने की प्राथमिक जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। यदि अतिक्रमण दोबारा लग रहा है, तो यह सीधे तौर पर नगर निगम के प्रवर्तन दल और उसके मुखिया की घोर लापरवाही है। क्या सिर्फ फोटो खिंचवाने और दिखावटी कार्रवाई के लिए दस्ता भेजा जाता है? क्यों हटाए गए स्थान पर लगातार निगरानी नहीं रखी जाती? नगर निगम आयुक्त महोदय, जवाब दीजिए!
  2. पुलिस प्रशासन (सिटी कोतवाली/ट्रैफिक पुलिस): जब नगर निगम कार्रवाई करता है, तो पुलिस बल मौजूद होता है। फिर अतिक्रमण हटने के बाद ये दोबारा कैसे जम जाते हैं? क्या पुलिस का काम सिर्फ भीड़ नियंत्रण तक सीमित है? अतिक्रमण हटाने के बाद उसे दोबारा न लगने देने की जिम्मेदारी भी पुलिस की है, खासकर तब जब ये दुकानें स्कूलों-कॉलेजों के पास बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हों। पुलिस अधीक्षक महोदय, आपके जवान क्यों निष्क्रिय हैं?
  3. खाद्य विभाग (फूड सेफ्टी ऑफिसर): स्कूलों और कॉलेजों के पास खुलेआम गुटखा, तंबाकू और अनहाइजेनिक चाय-नाश्ते की दुकानें लग रही हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा हैं। खाद्य विभाग का क्या काम है? क्या उनके अधिकारी सिर्फ फाइलों में व्यस्त रहते हैं? खाद्य विभाग, आप नींद से कब जागेंगे?
  4. जिला शिक्षा अधिकारी/ब्लॉक शिक्षा अधिकारी: बच्चों के स्कूल के बाहर इस तरह के अतिक्रमण और गुटखा-तंबाकू की बिक्री पर लगाम लगाना इनकी भी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी है। इन्होंने आज तक कितनी बार इन दुकानों को हटाने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग की है? डीईओ-बीईओ, क्या आपके बच्चों को भी ऐसी जगहों पर जाना पड़ता है?
  5. जिला कलेक्टर: जिले के मुखिया के रूप में कलेक्टर की सीधी जिम्मेदारी है कि वे सभी विभागों के बीच समन्वय स्थापित करें और यह सुनिश्चित करें कि शासन के नियम जमीन पर लागू हों। यदि इतने विभागों की निष्क्रियता है, तो इसका मतलब है कि शीर्ष स्तर पर ही कहीं न कहीं ढील है। कलेक्टर महोदया, क्या आपके निर्देशों का पालन नहीं हो रहा, या फिर कहीं और समस्या है?

ऐसे चलता है हमारा 'सिस्टम'? यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह सिर्फ 'सिस्टम' की खराबी नहीं, बल्कि कुछ अधिकारियों की सीधी लापरवाही, उदासीनता या फिर 'अंदरूनी खेल' का नतीजा है। ऐसे अधिकारियों को तत्काल उनके पद से हटाया जाना चाहिए, जो मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। जब तक इनकी जवाबदेही तय नहीं होती और इन पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक रीवा शहर कभी अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पाएगा। अब सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाना बंद करें और मैदान में उतरकर ठोस कार्रवाई करें, वरना जनता का गुस्सा सड़कों पर फूटेगा।