डिप्टी सीएम से आमने-सामने: फार्मासिस्टों ने खोली आयुष्मान योजना की खामियां
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के श्याम शाह मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के फार्मासिस्टों ने अपनी लंबे समय से लंबित मांग को लेकर प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला से मुलाकात की। शुक्रवार को हुई इस मुलाकात में, फार्मासिस्टों ने एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) को सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की तरह उन्हें भी दिए जाने की मांग की। फार्मासिस्टों का कहना है कि जहां डॉक्टर से लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों तक को यह राशि मिल रही है, वहीं सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले फार्मासिस्टों को इससे वंचित रखा गया है।
आयुष्मान योजना और फार्मासिस्टों की भूमिका
आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इस योजना के तहत, अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों को उनके योगदान के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। फार्मासिस्टों का तर्क है कि अस्पताल के सुचारू संचालन में उनकी भूमिका केंद्रीय है। वे न केवल दवाओं का भंडारण और वितरण करते हैं, बल्कि मरीजों के लिए सही दवा सुनिश्चित करने और स्टॉक प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हर ऑपरेशन और इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं फार्मासिस्टों द्वारा ही उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके बावजूद, उन्हें प्रोत्साहन राशि की लिस्ट से बाहर रखा गया है, जिसे वे एक बड़ा भेदभाव मानते हैं।
डिप्टी सीएम ने दिया आश्वासन: क्या मिलेगा समाधान?
मेडिसिन विभाग में एक नए कूलिंग डक्ट सिस्टम का उद्घाटन करने पहुंचे डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला से फार्मासिस्टों ने अपनी बात रखी। फार्मासिस्टों के प्रतिनिधिमंडल में राघवेंद्र सिंह, प्रवीण उपाध्याय, डॉ. रविशंकर कुशवाहा, मनीष जैन, राजीव कारपेंटर, उर्मिला डावर, प्रियंका कुशवाहा, नेहा मरावी और योगिता सिंह जैसे प्रमुख सदस्य शामिल थे।
डिप्टी सीएम ने फार्मासिस्टों की मांगों को ध्यान से सुना और उन्हें जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की गंभीरता से जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय न हो। फार्मासिस्टों को उम्मीद है कि इस आश्वासन के बाद उनकी वर्षों पुरानी मांग पूरी होगी और उन्हें भी उनके काम का उचित सम्मान मिलेगा।
यह क्यों है एक महत्वपूर्ण मांग?
यह मुद्दा केवल आर्थिक लाभ का नहीं है, बल्कि यह फार्मासिस्टों के सम्मान और पहचान से भी जुड़ा है। वे अस्पताल के स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ हैं, लेकिन अक्सर उनके योगदान को कम करके आंका जाता है। प्रोत्साहन राशि की मांग को स्वीकार करने से न केवल उन्हें वित्तीय लाभ होगा, बल्कि यह उनके मनोबल को भी बढ़ाएगा, जिससे वे और अधिक समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे। यह कदम अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की तरह फार्मासिस्टों को भी प्रेरित करेगा, जिससे पूरे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आएगा।
आगे क्या?
डिप्टी सीएम के आश्वासन के बाद अब सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। फार्मासिस्ट उम्मीद कर रहे हैं कि यह आश्वासन जल्द ही एक ठोस निर्णय में बदल जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार फार्मासिस्टों की इस जायज मांग को पूरा करती है और उन्हें भी आयुष्मान प्रोत्साहन योजना का हिस्सा बनाती है।