रीवा में फिर बाढ़: निराला नगर में फंसे 45 छात्र, डिप्टी सीएम ने बुलाई बैठक, होगी सख्त कार्रवाई!
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के निराला नगर में बुधवार रात से हो रही भारी बारिश के कारण गंभीर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई छात्र पानी में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर बचाव कार्य में जुटी हैं। इस भयावह स्थिति की मुख्य वजह मोहल्ले के नाले पर वर्षों से चला आ रहा अवैध अतिक्रमण और अवैध निर्माण है, जिसके कारण पानी का प्राकृतिक निकास पूरी तरह बाधित हो गया है।
बाढ़ की भयावहता और बचाव कार्य
निराला नगर में अचानक हुई मूसलाधार बारिश ने नाले की क्षमता से कहीं अधिक पानी ला दिया, जिससे पूरा इलाका जलमग्न हो गया। यह पहली बार है जब पिछले 30 वर्षों में इस क्षेत्र ने इतनी गंभीर बाढ़ देखी है। करीब 45 छात्र बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं, जिनकी जान जोखिम में है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तत्परता से बचाव कार्य में लगी हुई हैं ताकि फंसे हुए छात्रों को सुरक्षित निकाला जा सके। प्रशासन ने इन छात्रों के लिए सरस्वती स्कूल में भोजन और आश्रय की व्यवस्था भी की है, ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके।
अवैध कब्जे और निर्माण: समस्या की जड़
बाढ़ की इस स्थिति का सबसे बड़ा कारण नाले के ऊपर और आसपास बने अवैध कॉलोनियां और भवन हैं। विशेष रूप से, पटेल हॉस्टल के पीछे बने नाले पर वर्षों से बढ़ता आया कब्जा पानी के सामान्य बहाव को अवरुद्ध कर रहा है, जिससे नाले की जल निकासी क्षमता में भारी कमी आई है। नगर निगम अध्यक्ष ने बताया कि अतिक्रमण के खिलाफ बार-बार चेतावनी जारी की गई, लेकिन स्थानीय दबाव और प्रशासनिक उदासीनता के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
प्रशासन का कड़ा रुख और समाधान की योजना
इस गंभीर स्थिति के बाद, प्रशासन ने अब कड़ा रुख अपनाने का फैसला किया है। उप मुख्यमंत्री ने कलेक्टर के साथ एक बैठक की है, जिसमें नालों पर से अवैध कब्जे हटाने और सुधार कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। यह दर्शाता है कि सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है।
विशेषज्ञों और प्रशासन दोनों का मानना है कि इस समस्या का स्थायी समाधान नाले का सही ढंग से पुनर्निर्माण और नियमित सफाई ही है। 200 से 300 मीटर लंबा एक नया नाला बनाकर पानी के बहाव को सुचारु करने की योजना बनाई जा रही है। प्रशासन ने अवैध निर्माणों को तोड़ने का भी निर्देश दिया है ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके।
आगे की राह: सामूहिक प्रयास और नीतिगत सुधार
निराला नगर की यह घटना शहरी नियोजन, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन के व्यापक मुद्दों को उजागर करती है। यह बताती है कि अनियंत्रित शहरीकरण और अवैध निर्माण किस प्रकार जल निकासी प्रणालियों को प्रभावित करते हैं, जिससे बाढ़ जैसी आपदाएँ आती हैं।
भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए तकनीकी, प्रशासनिक और सामाजिक दृष्टिकोण से सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। नाले की नियमित सफाई, अतिक्रमण पर सख्त रोक, और जल निकासी के लिए बेहतर बुनियादी ढाँचे का निर्माण इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे। साथ ही, आपदा प्रबंधन के लिए त्वरित बचाव टीमों और स्थानीय प्रशासन का सक्रिय होना भी अनिवार्य है। नागरिकों की जागरूकता और स्थानीय स्तर पर सहयोग भी आवश्यक है ताकि अवैध कब्जे समाप्त हो सकें और जल निकासी तंत्र बाधित न हो।
यह घटना शहरी जल प्रबंधन की अनदेखी के गंभीर परिणामों को दर्शाती है और सभी संबंधित पक्षों को इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देती है ताकि रीवा को भविष्य में ऐसी आपदाओं से सुरक्षित रखा जा सके।