Indian Coffee House: करोड़ों की जमीन का एग्रीमेंट और लिपिक की नौकरी, एक फर्जी दस्तावेज ने सब खत्म किया!
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा कलेक्ट्रेट में पदस्थ एक लिपिक की सेवाएं कलेक्टर ने समाप्त कर दी हैं। यह वही लिपिक हैं जिन्होंने इंडियन कॉफी हाउस के लिए हुए एग्रीमेंट में गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे। यह कार्रवाई उनके परिवीक्षा अवधि समाप्त कराने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने के कारण हुई है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
सहायक ग्रेड तीन के पद पर थे अभिराम मिश्रा, कैसे मिली थी नौकरी?
कलेक्ट्रेट में सहायक ग्रेड तीन के पद पर कार्यरत अभिराम मिश्रा को साल 2020 में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उनके पिता, डॉ. अम्बिकेश मिश्रा, जो शासकीय कन्या हाईस्कूल घोघर रीवा के प्राचार्य थे, का निधन जून 2018 में हो गया था। इसके बाद, अभिराम मिश्रा को 25 नवंबर 2020 को सहायक ग्रेड तीन के पद पर कलेक्ट्रेट कार्यालय में नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति पत्र में एक महत्वपूर्ण शर्त थी: उन्हें तीन साल के भीतर कंप्यूटर दक्षता प्रमाणन परीक्षा (CPCT) पास करना अनिवार्य था।
परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के लिए किया गया फर्जीवाड़ा
अपनी नौकरी की परिवीक्षा अवधि समाप्त कराने के लिए अभिराम मिश्रा ने CPCT उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र और स्कोर कार्ड प्रस्तुत किया। इस पर एक समिति का गठन किया गया, जिसने उनके द्वारा दिए गए दस्तावेजों की जांच की। जांच के दौरान, यह पाया गया कि उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया प्रमाण पत्र CPCT की आधिकारिक वेबसाइट से सत्यापित नहीं हो रहा था। समिति ने अभिराम से दोबारा स्व-प्रमाणित दस्तावेज मांगे, लेकिन वे फिर से वही फर्जी दस्तावेज जमा कर बैठे।
MPSEDC ने भी पकड़ा फर्जीवाड़ा, क्या था प्रमाण पत्र में?
समिति को शक हुआ और उन्होंने अभिराम मिश्रा के दस्तावेज सत्यापन के लिए MPSEDC (मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम) स्टेट आई सेंटर, भोपाल को भेजे। MPSEDC की जांच में यह साफ हो गया कि अभिराम द्वारा प्रस्तुत किया गया CPCT प्रमाण पत्र जाली था। उन्होंने अपने स्कोर कार्ड में अनुत्तीर्ण अंकों को कूटरचित तरीके से उत्तीर्ण दिखा कर जमा किया था।
कलेक्टर ने क्यों की बर्खास्तगी की कार्रवाई?
अभिराम मिश्रा ने अपनी अनुकंपा नियुक्ति के 4 साल 8 महीने और 20 दिन पूरे कर लिए थे, लेकिन वे अभी तक CPCT परीक्षा पास नहीं कर पाए थे। फर्जी दस्तावेज जमा करने के बाद, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उनके जवाब को संतोषजनक नहीं पाया गया। यह एक गंभीर कदाचार माना गया, जिसके बाद कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर क्र/सी 3-12/2013/1/3 भोपाल, दिनांक 29 सितंबर 2014 की कंडिका 6,5 और कार्यालयीन आदेश में उल्लिखित शर्त तीन के तहत उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।
क्या था इंडियन कॉफी हाउस का मामला?
अभिराम मिश्रा का नाम उस वक्त चर्चा में आया था जब उन्होंने रीवा के इंडियन कॉफी हाउस के एग्रीमेंट में गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे। यह एग्रीमेंट सिर्फ 5,000 रुपये प्रति माह के किराए पर किया गया था, जबकि इस संपत्ति का बाजार मूल्य बहुत अधिक था। यह मामला मीडिया में खूब सुर्खियों में रहा था। हालांकि, अभिराम मिश्रा की वर्तमान बर्खास्तगी का सीधा संबंध इंडियन कॉफी हाउस मामले से नहीं है, लेकिन दोनों घटनाओं ने उन्हें सार्वजनिक चर्चा में ला दिया। यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति का आचरण, चाहे वह किसी भी पद पर हो, हमेशा जांच के दायरे में रहता है।