कम वेतन, ज्यादा काम, शोषण बेहिसाब! रीवा में आउटसोर्स कर्मचारियों का आक्रोश, सरकार से की न्याय की मांग।

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मंगलवार को रीवा में सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों ने मध्यप्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के बैनर तले कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे।

आंदोलन के प्रमुख मुद्दे:
जिलाध्यक्ष केसी त्रिपाठी और संभागीय संयोजक विपिन पांडेय ने संयुक्त रूप से बताया कि आउटसोर्स कर्मचारी लंबे समय से शोषण का शिकार हो रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:

अस्थायी कर्मियों का स्थायीकरण और 'आउटसोर्स सेवा निगम बोर्ड': कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग है कि सभी अस्थायी कर्मियों को उनके विभागों में लघु कैडर बनाकर स्थायी किया जाए। इसके लिए उन्होंने उत्तरप्रदेश की तर्ज पर 'आउटसोर्स सेवा निगम बोर्ड' के गठन की मांग की, जिससे कर्मचारियों को सीधा वेतन भुगतान हो सके और बिचौलियों द्वारा होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगे।

न्यूनतम वेतन और एरियर का भुगतान: पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप ऑपरेटर और स्कूलों-छात्रावासों के अंशकालिक कर्मचारियों को तत्काल न्यूनतम वेतन दिया जाए। इसके अतिरिक्त, 1 अप्रैल 2024 से बढ़ी हुई न्यूनतम वेतन दरों का एरियर अभी तक नहीं दिया गया है, जिसे मेडिकल कॉलेज, बिजली कंपनियों, नगर निकायों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को जल्द से जल्द दिलाया जाए।

तृतीय-चतुर्थ श्रेणी पदों पर स्थायित्व और ठेका प्रथा का अंत: संघ ने बताया कि कई विभागों में लाखों आउटसोर्स कर्मचारी तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर 15 साल से अधिक समय से सेवाएं दे रहे हैं। बावजूद इसके, उन्हें न तो स्थायित्व मिला है और न ही सम्मानजनक न्यूनतम वेतन। कर्मचारियों ने मांग की कि इन सभी कर्मचारियों का संविलियन कर सुरक्षित नौकरी दी जाए और शोषणकारी ठेका प्रथा को तत्काल समाप्त किया जाए।

वेतन, पीएफ और बोनस में भ्रष्टाचार पर रोक: प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कई आउटसोर्सिंग एजेंसियां सरकार के स्पष्ट आदेशों के बावजूद न्यूनतम वेतन, पीएफ (भविष्य निधि), बोनस और ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा) जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं देतीं। श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों को लगातार आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। वेतन भुगतान में अनियमितता, श्रेणी प्रमोशन का न होना और एजेंसियों की मनमानी आम बात बन चुकी है।

उच्च कुशलता के आधार पर श्रेणी प्रमोशन: कर्मचारियों ने मांग की कि जिन कर्मचारियों ने 3 साल या उससे अधिक की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें उनकी उच्च कुशलता के आधार पर श्रेणी प्रमोशन दिया जाए और तदनुसार उनके वेतन में वृद्धि की जाए।

कौन-कौन हैं प्रभावित?
जिला संयोजक शिवेंद्र पांडेय और प्रांताध्यक्ष महेंद्र शर्मा ने बताया कि स्कूल, छात्रावास, ग्राम पंचायत, बिजली कंपनियों, मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, आईटीआई, पॉलिटेक्निक, नगरीय निकाय जैसे विभिन्न सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें स्वान इंजीनियर, व्यवसायिक प्रशिक्षक, योग शिक्षक, सफाई कर्मचारी, मध्यान्ह भोजन कार्यकर्ता आदि शामिल हैं। इन सभी को मात्र 3 से 5 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है, जबकि वे प्रतिदिन 10 से 12 घंटे तक काम करते हैं, जो सरासर शोषण है।

कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया और उनका समाधान नहीं किया गया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे और प्रदेशव्यापी प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। इस प्रदर्शन ने एक बार फिर मध्य प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों की बदहाली और उनके अधिकारों की लड़ाई को प्रमुखता से उजागर किया है।