MPPSC में चमत्कार! : रीवा की बेटी प्रिया अग्रवाल ने 7 साल में रचा इतिहास; सरकारी स्कूल से पढ़कर 6वीं रैंक के साथ बनीं 'डिप्टी कलेक्टर'!

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा संभाग (विंध्य) की बेटियों ने हमेशा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, और इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है— प्रिया अग्रवाल। वर्तमान में रीवा में लेबर आफीसर के पद पर पदस्थ प्रिया अग्रवाल ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2023 के अंतिम परिणाम में प्रदेश भर में छठी (6वीं) रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर के पद पर अपना चयन सुनिश्चित किया है।

प्रिया की यह सफलता उन लाखों युवाओं के लिए एक ठोस सबक है जो असफलताओं से घबराकर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में पहली बार यह परीक्षा दी थी और इसके बाद लगातार प्रयास करती रहीं। 7 वर्षों तक चली यह यात्रा सिर्फ़ परीक्षा देने की नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प की कहानी है। वर्ष 2021 में उनका चयन लेबर आफीसर के पद पर हो गया था, लेकिन उन्होंने अपने अंतिम लक्ष्य यानी डिप्टी कलेक्टर बनने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी। अपनी ड्यूटी के साथ-साथ तैयारी जारी रखी और अंततः, 2023 की परीक्षा में सफलता उनके कदम चूम गई। यह दिखाता है कि असफलताओं से हार न मानें तो मंजिल मिल ही जाती है।

साधारण पृष्ठभूमि से शिखर तक: शासकीय स्कूल की शिक्षा का गौरव
प्रिया अग्रवाल की पृष्ठभूमि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है जो मानते हैं कि बड़ी सफलता केवल महंगे कोचिंग संस्थानों से ही मिलती है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिरसिंहपुर की शासकीय कन्या स्कूल से हुई, जहाँ उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। यह बताता है कि सरकारी स्कूल के बाद क्या करें, इसका जवाब खुद प्रिया अग्रवाल ने दिया है— आत्मविश्वास और सही दिशा।

स्कूल के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए इंदौर का रुख किया और वहाँ के प्रतिष्ठित होल्कर कॉलेज से यूजी (स्नातक) और पीजी (स्नातकोत्तर) की डिग्री पूरी की। इतना ही नहीं, उन्होंने नेट (NET) परीक्षा भी उत्तीर्ण की। अपनी उच्च शिक्षा और साथ ही MPPSC की तैयारी उन्होंने इंदौर से ही की। यह उनकी मेहनत और संयुक्त परिवार के समर्थन का परिणाम है, जिसका श्रेय वह सबसे पहले अपने माता-पिता, परिवार और गुरुजनों को देती हैं।

तैयारी की सटीक रणनीति: सिलेबस पर फोकस और मेन्स ही आधार
प्रिया अग्रवाल की सफलता का सबसे बड़ा सूत्र उनकी तैयारी की सटीक रणनीति में छिपा है। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को दो गोल्डन टिप्स दिए हैं:

  • प्वाइंट टू प्वाइंट सिलेबस पर फोकस: उन्होंने स्पष्ट किया कि तैयारी के दौरान अनावश्यक नोट्स और विषयों पर समय बर्बाद करने के बजाय, प्वाइंट टू प्वाइंट सिलेबस पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह रणनीति MPPSC की तैयारी कैसे करें, इसका सबसे व्यावहारिक जवाब है।
  • मेन्स पर ज्यादा फोकस: उनका मानना है कि मुख्य परीक्षा (मेन्स) ही सफलता का वास्तविक आधार है। जो उम्मीदवार मेन्स पर ज्यादा फोकस रखते हैं, उनकी सफलता की संभावना कई गुना बढ़ जाती है, क्योंकि अंतिम चयन में इसके अंक निर्णायक होते हैं। यह दिखाता है कि मेन्स पर फोकस क्यों जरूरी है।
  • प्रिया ने खुद लेबर आफीसर के पद पर रहते हुए भी 2023 की एमपीपीएससी परीक्षा दी, मेन्स और इंटरव्यू क्लियर किया। यह उनकी प्रतिबद्धता और टाइम मैनेजमेंट का बेजोड़ उदाहरण है।

मंजिल तो मिल गई, अब आगे क्या? 
लेबर आफीसर से डिप्टी कलेक्टर बनने तक की लंबी और कठिन यात्रा के बाद, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अब यहीं पर रुकना चाहती हैं या आगे बढ़ना है, तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा कि वह अभी आगे के बारे में सोचा नहीं है। यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि वह अपनी वर्तमान सफलता को पूरी तरह से जीना चाहती हैं और शायद भविष्य में यूपीएससी (UPSC) जैसी बड़ी चुनौतियों के लिए भी तैयार हो सकती हैं।

प्रिया अग्रवाल की कहानी विंध्य की मिट्टी की उस दृढ़ता और संघर्षशीलता को दर्शाती है, जो सरकारी स्कूल की शिक्षा को भी सफलता की सबसे मजबूत नींव बना सकती है। 7 साल के निरंतर प्रयास, असफलताओं से न घबराना और अंततः 6वीं रैंक के साथ डिप्टी कलेक्टर बनना— यह सफलता की परिभाषा है। उनकी यह उपलब्धि समूचे रीवा संभाग के लिए गौरव का विषय है।