सरकारी दलाल के साथ मिलकर खा रहा था पैसा! विद्युत विभाग का 'भ्रष्ट' यंत्री गिरफ्तार, 'भ्रष्टाचार की जड़ें गहरीं'— सिस्टम पर गंभीर सवाल

 

जेई किशोर त्रिपाठी और प्राइवेट मध्यस्थ प्रमोद दुबेदी पर केस दर्ज; रिश्वत की दर ₹6,000 प्रति फाइल तक पहुंची

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) सरकारी महकमों में गहरे जड़ जमा चुके भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में, रीवा विद्युत विभाग के कनिष्ठ यंत्री (Junior Engineer - JE) किशोर त्रिपाठी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है। यह कार्रवाई तब हुई जब एक सुनियोजित ट्रैप ऑपरेशन में यंत्री को शिकायतकर्ता से ₹10,000 की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।

क्या था मामला? सोलर पैनल की अनुमति में बाधा
शिकायतकर्ता लकी दुबे, जो एक सोलर पैनल इंस्टॉलेशन वेंडर हैं, ने पुलिस को बताया कि उन्हें सोलर पैनल लगाने की अनुमति से संबंधित अपनी फाइलें पास कराने के लिए यंत्री द्वारा लगातार रिश्वत की मांग की जा रही थी।

श्री दुबे के अनुसार, पहले प्रत्येक फाइल के लिए ₹2,000 से ₹3,000 की मांग की जाती थी, लेकिन हाल के दिनों में यह मांग बढ़कर ₹6,000 प्रति फाइल तक पहुँच गई थी। शिकायतकर्ता ने खुलासा किया कि उन्हें अपनी तीन फाइलों को पास कराने के लिए कुल ₹18,000 की रिश्वत मांगी गई थी, जिससे उनके काम में लगातार बाधा आ रही थी।

प्राइवेट व्यक्ति की संलिप्तता और ट्रैप कार्रवाई
भ्रष्टाचार के इस मामले में यंत्री किशोर त्रिपाठी ने एक प्राइवेट व्यक्ति प्रमोद दुबेदी को भी शामिल किया था, जो रिश्वत के पैसे के मध्यस्थ (Middleman) के रूप में काम करता था। यह तथ्य विभाग में भ्रष्टाचार के एक संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करता है।

शिकायत की सत्यता की जांच के बाद पुलिस की भ्रष्टाचार निवारण इकाई ने एक ठोस ट्रैप योजना बनाई। इस योजना के तहत, यंत्री किशोर त्रिपाठी को ₹10,000 की रिश्वत लेते हुए मौके पर ही पकड़ लिया गया।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई
पुलिस ने यंत्री किशोर त्रिपाठी और प्राइवेट मध्यस्थ प्रमोद दुबेदी दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि यह गिरफ्तारी विभाग में व्याप्त रिश्वतखोरी का स्पष्ट प्रमाण है और मामले की गहन जांच जारी है।

यह घटना दर्शाती है कि सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार की जड़ों को काटने के लिए केवल कार्रवाई ही नहीं, बल्कि प्रणालीगत सुधार भी आवश्यक हैं। संबंधित अधिकारियों द्वारा आगे की वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।