REWA : जामताड़ा से पकड़े गए साइबर फ्रॉड के आरोपी का खुल रहा चिट्ठा, सरगना का फरार साथी करता था खातों का इंतजाम

 

REWA NEWS : साइबर फ्रॉड के मामले में जामताड़ा से पुलिस के हाथ लगे मुख्य आरोपी का फर्जीवाड़ा जांच में सामने आ रहा है। आरोपी के लेनदेन के आधा दर्जन से अधिक खाते पुलिस को मिले हैं जिसमें हुए लेनदेन के संबंध में जानकारी तलब की जाएगी। इसके बाद ही उसके हाथों ठगी का शिकार बने पीड़ितों की सही संख्या सामने आएगी।

दरअसल, बिछिया थाना पुलिस ने झारखंड के जामताड़ा से साइबर फ्रॉड की घटनाओं को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश प्रद्युम्न मंडल (22) को गिरफ्तार किया था। आरोपी ने बिछिया थाना क्षेत्र के एसएएफ में पदस्थ आरक्षक हरीशचंद्र तिवारी को सिम बंद होने का झांसा देकर 89 हजार रुपए निकाले थे। आरोपी के फर्जीवाड़े की जांच के लिए पुलिस लगातार मोबाइल को खंगालने में लगी है। उसके मोबाइल के पीछे तरफ एक स्लिप चिपकी मिली, जिसमें 8 खातों के यूपीआइ नम्बर लिखे हुए थे। इन खातों में आरोपी पीड़ितों को रुपए ट्रांसफर करता था। 

उसके एक साथी राहुल यादव निवसी मधूपुर जिला देवघर झारखंड का नाम सामने आया है। आरोपी के लिए खातों की व्यवस्था उक्त फरार आरोपी ही करता था। मोबाइल पर फोन लगाकर झांसा देना और रुपए ट्रांसफर करवाने का काम प्रद्युम्न मंडल करता था और खातों की व्यवस्था और रुपए ट्रांसफर होने के बाद उसे तत्काल खाते से निकालने का काम राहुल यादव करता था। जिन खातों के माध्यम से ठगी के पैसे खुदबुर्द होते थे, उनके खाताधारकों के नाम पुलिस मंगवाएगी। जांच के बाद उनको भी ठगी के इस कारोबार में नामजद किया जायेगा। फरार आरोपी की लोकेशन ट्रेस करने के लिए पुलिस की एक टीम लगी हुई है।

आरोपी के मोबाइल में ठगी के कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिसमें पीड़ितों ने रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराई है। सीधी जिले के एक युवक के खाते में 202 रुपए थे। आरोपी ने उससे दस रुपए का रिचार्ज कराया और उसके खाते में बचे 192 रुपए भी अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। अभी तक आठ ऐसे लोग पुलिस को मिले हैं जिनके साथ ठगी गई रकम पांच हजार से कम की है और उन्होंने संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। इन सभी से पुलिस अब शिकायत लेकर आरोपियों के खिलाफ नए मामले दर्ज करेगी।

लोकेशन बदलकर करते थे फोन

आरोपी कभी एक लोकेशन में बैठकर फोन नहीं लगाते थे। एक बार ठगी करने के बाद वे अपनी लोकेशन बदल देते थे। हर बार अलग-अलग स्थानों में जाकर फोन लगाते थे ताकि मोबाइल ट्रेस कर पुलिस उन तक न पहुंच पाए। अमूमन वे ऐसी जगहों का इस्तेमाल करते थे जो सुनसान हो। हमेशा वे अपने क्षेत्र से बाहर बैठकर ही फोन लगाया करते थे।