'पुलिस जाँच पर सवाल, आरोपी का स्वागत?': सेमरिया अश्लील वीडियो कांड में सियासी भूचाल, प्रतीक सिंह की पत्नी ने मीडिया को सौंपे अश्लील वीडियो! 

 

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले की राजनीति में एक गंभीर अपहरण और कथित दुष्कर्म (अश्लील वीडियो बनाने) का मामला सामने आया है, जिसमें मुख्य आरोपी के तौर पर भाजपा नेता दिवाकर द्विवेदी का नाम लिया जा रहा है। यह विवाद न केवल एक आपराधिक घटना है, बल्कि यह जमीन विवाद, ब्लैकमेलिंग और पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

प्रमुख आरोप और शिकायत का विवरण 
भारती सिंह, जो प्रतीक सिंह की पत्नी हैं, ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। उनकी शिकायत के केंद्र में निम्नलिखित गंभीर आरोप हैं:

  • जबरन अश्लील वीडियो बनाना: भारती सिंह का आरोप है कि दिवाकर द्विवेदी उनके पति प्रतीक सिंह को जमीन दिखाने के बहाने गांव कुल्लू ले गए। वहां, दिवाकर ने तीन-चार अज्ञात लोगों के साथ मिलकर प्रतीक सिंह की गाड़ी रोकी और उन्हें जंगल में ले जाकर पिस्तौल की नोक पर जबरन अश्लील वीडियो बनवाए।
  • ब्लैकमेलिंग और वसूली: वीडियो बनाने के बाद, दिवाकर द्विवेदी ने प्रतीक सिंह से ₹1 करोड़ की मांग की और उनके परिवार की बची हुई 15 एकड़ जमीन हड़पने की साजिश रची।
  • जमीन विवाद की पृष्ठभूमि: प्रतीक सिंह के परिवार के पास कभी 101 एकड़ जमीन थी, जिसका एक बड़ा हिस्सा वह पहले ही बेच चुके थे। अब, जो अंतिम 15 एकड़ जमीन उनके माता-पिता के नाम पर बची है, उसे दिवाकर द्विवेदी हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। आरोप है कि दिवाकर ने यह जमीन तब भी खरीदना शुरू कर दिया था जब प्रतीक नाबालिग (12-13 वर्ष) थे।

जटिलताएँ: पुलिस की भूमिका और पलटवार 
यह मामला पुलिस की संदिग्ध भूमिका और आरोप-प्रत्यारोप के कारण और भी जटिल हो गया है।

  • पुलिस पर पक्षपात का आरोप: भारती सिंह का आरोप है कि पुलिस दिवाकर द्विवेदी को राजनीतिक संरक्षण दे रही है। जब वह शिकायत लेकर शाहपुर थाने पहुँचीं, तो दिवाकर द्विवेदी पहले से ही थाने में मौजूद थे, और पुलिसकर्मी उनका स्वागत कर रहे थे।
  • शिकायत दर्ज न करना: भारती सिंह को थाने से भगा दिया गया और उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। उनका दावा है कि उनके पति प्रतीक सिंह को निशाना बनाकर फर्जी मामले में फंसाया गया।
  • प्रतीक सिंह पर टॉर्चर का आरोप: भारती सिंह का यह भी कहना है कि पुलिस ने प्रतीक सिंह को प्रताड़ित (टॉर्चर) किया, जिसके कारण उन्होंने दबाव में आकर कबूलनामा दिया।

पुलिस की जांच और विरोधाभास 
पुलिस ने इस पूरे मामले को एक “प्रीप्लान ब्लैकमेलिंग गेम” बताया है।

पक्ष दावा/निष्कर्ष

  • भारती सिंह की दलील : प्रतीक सिंह को जबरन पिस्तौल की नोक पर वीडियो बनवाया गया। वह दोषी होते तो विरोध क्यों करते। उन्होंने ₹1 करोड़ की मांग से इनकार किया, जिसके बाद दिवाकर ने फर्जी मुक़दमे की धमकी दी।
  • युवती की भूमिका में विरोधाभास : भारती सिंह ने मीडिया को जो अश्लील वीडियो सौंपे, उनमें वही युवती दिख रही है जिसके आधार पर प्रतीक सिंह पर मामला दर्ज हुआ है। युवती के बयान में विरोधाभास है—पहले उसने कहा कि दिवाकर ने बुलाया, बाद में कहा कि प्रतीक ने पैसा दिया।

पुलिस का निष्कर्ष
पुलिस ने निष्कर्ष निकाला कि इस पूरे घटनाक्रम का मकसद ₹1 करोड़ की वसूली और जमीन हथियाना था, और यह एक ब्लैकमेलिंग की साजिश थी।

समयानुसार घटनाओं का सारांश 
समय
घटना का विवरण
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भाजपा नेता दिवाकर द्विवेदी पर अपहरण और अश्लील वीडियो बनाने के आरोपों का खुलासा।
00:35
भारती सिंह ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें जमीन हड़पने और ब्लैकमेलिंग की बात शामिल थी।
01:10
प्रतीक सिंह के परिवार की जमीन की स्थिति (15 एकड़ शेष) और दिवाकर द्वारा वर्षों पहले (प्रतीक के नाबालिग होने पर) जमीन खरीदना शुरू करने का खुलासा।
02:57
पुलिस पर कथित मिलीभगत और भारती सिंह की शिकायत का थाने में दर्ज न होना।
05:06
पुलिस ने इस पूरे मामले को ब्लैकमेलिंग का खेल बताया।
07:04
प्रतीक सिंह के पुलिस प्रताड़ना (टॉर्चर) के तहत कबूलनामा देने का आरोप।
08:24
वीडियो में दिख रही युवती की भूमिका में विरोधाभास और भारती सिंह द्वारा बातचीत के प्रमाण प्रस्तुत करना।
10:24
राजनीतिक दबाव और मामले की गंभीरता पर निष्कर्ष।

निष्कर्ष और मामले का प्रभाव 

  • यह मामला रीवा जिले की राजनीति, प्रशासन और सामाजिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
  • जमीन विवाद की पृष्ठभूमि में शुरू हुआ यह मामला अपहरण, ब्लैकमेलिंग और अश्लील वीडियो जैसे गंभीर अपराधों तक पहुँच गया है।
  • भारती सिंह ने स्पष्ट रूप से दावा किया है कि उनके परिवार को राजनैतिक ताकत का इस्तेमाल कर दबाया जा रहा है, और पुलिस राजनीतिक दबाव में आकर पक्षपात कर रही है।
  • दिवाकर द्विवेदी ने खुद को निर्दोष बताते हुए ब्लैकमेलिंग का शिकार होने का दावा किया है।

इस पूरे विवाद में यह सवाल उठता है कि क्या पुलिस राजनीतिक दबाव में निर्दोषों को फंसा रही है, या यह जमीन के खेल में कोई बड़ी ब्लैकमेलिंग साजिश है। रीवा पुलिस और प्रशासन के लिए आवश्यक है कि वे इस जटिल मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करें ताकि सच्चाई सामने आ सके।