रीवा में अपराधी सावधान! 4 हिस्ट्रीशीटरों को 1 साल के लिए जिला बदर का आदेश

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले में कानून-व्यवस्था (Law and Order) बनाए रखने और आम नागरिकों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने आदतन अपराधियों (Habitual Offenders) के खिलाफ एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी ने पुलिस अधीक्षक की विस्तृत रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए एक बड़ा और निर्णायक फैसला लिया है। जिले के चार कुख्यात अपराधियों को एक वर्ष की अवधि के लिए रीवा जिले की सीमाओं से बाहर (District Ban/Zila Badar) जाने का आदेश जारी किया गया है।

यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि जिले में शांति भंग करने वाले और आपराधिक गतिविधियों में लगातार शामिल रहने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासन ने मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम (Madhya Pradesh Rajya Suraksha Adhiniyam), 1990 की धारा 5 के तहत यह सख्त कदम उठाया है, जो अपराध पर नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

जिला बदर: कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अंतिम उपाय क्यों?
जिला बदर (Zila Badar) का आदेश किसी भी जिला दंडाधिकारी (Collector/DM) द्वारा तब दिया जाता है, जब अपराधी की गतिविधियाँ उस क्षेत्र की शांति (Peace) और जन सुरक्षा (Public Safety) के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं। चूंकि इन अपराधियों के खिलाफ विभिन्न थानों में बार-बार आपराधिक मामले दर्ज होते रहे हैं, इसलिए उन्हें जेल में रखने के बाद भी उनके बाहर आने पर अपराध की आशंका बनी रहती है। जिला बदर का आदेश कितने साल के लिए दिया जाता है, यह अपराधी की गतिविधियों और अधिनियम के प्रावधानों पर निर्भर करता है, लेकिन इस मामले में यह अवधि एक वर्ष निर्धारित की गई है। यह अपराधियों को समाज से दूर रखने का एक अंतिम उपाय है।

किन अपराधियों पर हुई 'जिला बदर' की कार्रवाई?
प्रशासन द्वारा जारी आदेश के तहत, चार ऐसे अपराधियों को जिले से बाहर किया गया है, जिनका आपराधिक रिकॉर्ड कई वर्षों से चला आ रहा है और जिनकी गतिविधियों से आम जनता में भय (Fear) का माहौल पैदा होता है।

आदतन अपराधियों की सूची और उनके आपराधिक रिकॉर्ड
पुलिस अधीक्षक (SP) द्वारा प्रस्तुत विस्तृत रिपोर्ट में इन चारों अपराधियों को आदतन अपराधी घोषित किया गया है। इन पर विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत कई आपराधिक प्रकरण (Multiple Criminal Cases) दर्ज हैं:

  • अजय पाण्डेय पिता बिहारीलाल पाण्डेय (उम्र 27 वर्ष), निवासी ग्राम छिवला, थाना बैकुण्ठपुर (वर्तमान पता द्वारिका नगर, थाना अमहिया)।
  • शिवम सिंह उर्फ छोटू पिता चन्द्रप्रताप सिंह उर्फ कुवर सिंह (उम्र 25 वर्ष), निवासी ग्राम सोनौरी, थाना सोहागी।
  • रूद्र प्रताप सिंह उर्फ बंजारा पिता रामायण प्रसाद सिंह (उम्र 47 वर्ष), निवासी ग्राम कोटरा खुर्द, थाना सोहागी।
  • दिलीप साकेत पिता मोतीलाल साकेत (उम्र 28 वर्ष), निवासी ग्राम रायपुर कर्चुलियान।

यह कार्रवाई स्पष्ट करती है कि प्रशासन ने शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक, सभी जगह के आदतन अपराधी कौन होते हैं और उनकी सूची पर गंभीरता से काम किया है।

मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 5 के तहत कार्रवाई
यह सख्त आदेश मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम, 1990 की धारा 5 के तहत दिया गया है। यह धारा जिला दंडाधिकारी को यह शक्ति प्रदान करती है कि यदि किसी व्यक्ति की गतिविधियाँ सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) के लिए हानिकारक हैं, तो उसे एक निश्चित अवधि के लिए जिले या राज्य के किसी भाग से बाहर जाने का आदेश दिया जा सकता है। मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम क्या है, यह जानना जरूरी है क्योंकि यह विशेष रूप से ऐसे लोगों को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है जो लगातार समाज में अशांति फैलाते हैं।

कार्रवाई का आधार: पुलिस अधीक्षक की विस्तृत रिपोर्ट
कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी ने यह महत्वपूर्ण निर्णय पुलिस अधीक्षक (Police Superintendent) की विस्तृत और पुष्ट रिपोर्ट के आधार पर लिया है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि किसी भी व्यक्ति पर कार्रवाई करने से पहले सभी कानूनी और तथ्यात्मक पहलुओं की जाँच कर ली गई है।

क्यों दर्ज हैं इन अपराधियों के खिलाफ विभिन्न थानों में कई आपराधिक मामले?
प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, इन चारों अपराधियों के खिलाफ विभिन्न थानों (Different Police Stations) में गंभीर प्रकृति के कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन मामलों में मारपीट, धमकी, अवैध वसूली, संपत्ति संबंधी अपराध और अन्य आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं, जो इन व्यक्तियों को आदतन अपराधी की श्रेणी में लाती हैं।

पुलिस अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि इन अपराधियों का जिले में मुक्त रहना (Free Movement in District) नागरिकों की सुरक्षा और शांति के लिए एक खतरा है। इसी तथ्य को देखते हुए, उन्होंने कलेक्टर को इनके जिला बदर (Zila Badar) का प्रस्ताव भेजा था।

'एक वर्ष' के लिए जिले में प्रवेश वर्जित: आदेश का सख्ती से पालन
कलेक्टर के आदेश में समय सीमा (Time Limit) और पालन की शर्तें (Compliance Terms) स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई हैं, ताकि कानून का उल्लंघन करने पर तुरंत कार्रवाई हो सके।

1 साल तक नहीं आ सकेंगे जिले में
आदेश के अनुसार, इन चारों अपराधियों को एक वर्ष (One Year) की अवधि के लिए रीवा जिले और उसकी सीमाओं से बाहर (Outside Boundaries) रहना होगा। उन्हें इस दौरान जिले से लगे पड़ोसी जिलों या अन्य जिलों में रहने की अनुमति होगी, लेकिन रीवा जिले की सीमा में प्रवेश पूर्णतः वर्जित रहेगा।

बिना अनुमति प्रवेश पर क्या होगी सख्त कानूनी कार्रवाई?
कलेक्टर ने सख्त चेतावनी दी है कि यदि इन अपराधियों में से कोई भी, बिना जिला दंडाधिकारी की पूर्वानुमति (Prior Permission of DM) के, एक वर्ष की अवधि के भीतर जिले में प्रवेश करने का प्रयास करता है, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिला बदर होने पर क्या होता है, इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यही है कि अपराधी को न सिर्फ निष्कासित किया जाता है, बल्कि आदेश का उल्लंघन करने पर उसे गिरफ्तार (Arrest) कर जेल भेजा जा सकता है, जो राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत एक और गंभीर अपराध माना जाता है।

जिला बदर: समाज और कानून के लिए इसका महत्व
जिला बदर की कार्रवाई केवल अपराधियों को दंडित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कानून और समाज के लिए एक बड़ा संदेश है।

क्या है जिला बदर का उद्देश्य?

  • जन सुरक्षा: मुख्य उद्देश्य नागरिकों को इन आदतन अपराधियों के डर और हिंसा से मुक्ति दिलाना है।
  • अपराध श्रृंखला तोड़ना: अपराधियों को उनके नेटवर्क और सहयोगियों से दूर करके, उनकी अपराध श्रृंखला (Crime Chain) को तोड़ना।
  • प्रशासनिक सख्ती का प्रदर्शन: यह दिखाना कि प्रशासन कानून-व्यवस्था को लेकर कितना गंभीर है। यह अन्य संभावित अपराधियों को भी एक कड़ा संदेश देता है।

यह कार्रवाई दर्शाती है कि रीवा में जिला बदर क्यों किया गया—ताकि जिले में शांतिपूर्ण माहौल और विकास की गतिविधियों को निर्बाध रूप से जारी रखा जा सके।

FAQs — आदतन अपराधियों पर कार्रवाई से जुड़े सवाल

  • रीवा में जिला बदर की कार्रवाई किन अपराधियों पर हुई? अजय पाण्डेय, शिवम सिंह उर्फ छोटू, रूद्र प्रताप सिंह उर्फ बंजारा और दिलीप साकेत पर हुई है। ये सभी आदतन अपराधी हैं, जिन पर विभिन्न थानों में आपराधिक मामले दर्ज हैं।
  • यह कार्रवाई किस कानून के तहत की गई है? यह कार्रवाई मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम, 1990 की धारा 5 के तहत कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी द्वारा की गई है।
  • जिला बदर का आदेश कितने समय के लिए प्रभावी रहेगा? यह आदेश एक वर्ष (One Year) की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा। इस दौरान वे रीवा जिले की सीमा में बिना अनुमति प्रवेश नहीं कर सकते।
  • जिला बदर का आदेश देने का आधार क्या था? आदेश का आधार पुलिस अधीक्षक (SP) की वह रिपोर्ट थी, जिसमें बताया गया था कि इन अपराधियों की गतिविधियाँ रीवा जिले की जन सुरक्षा और शांति के लिए गंभीर खतरा हैं।
  • यदि अपराधी आदेश का उल्लंघन करते हैं तो क्या होगा? बिना अनुमति के जिले में प्रवेश करने पर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।