जनता की सुनवाई में देरी अब बर्दाश्त नहीं! रीवा कलेक्टर ने 40 अधिकारियों को जारी किया कारण बताओ नोटिस

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले में सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) के प्रकरणों के निराकरण में लगातार हो रही लापरवाही को देखते हुए, कलेक्टर प्रतिभा पाल ने अब कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने उन 40 अधिकारियों को नोटिस जारी किया है जिनके पास 100 दिन से अधिक पुराने लंबित मामले हैं। यह कार्रवाई न केवल अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जिला प्रशासन जनहित के मामलों को कितनी गंभीरता से ले रहा है।

कलेक्टर प्रतिभा पाल ने स्पष्ट किया है कि सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतें आम जनता की मूलभूत समस्याओं से संबंधित होती हैं। इन शिकायतों का समय पर समाधान न होने से न केवल लोगों को परेशानी होती है, बल्कि यह शासन की जनहितैषी नीतियों और व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सीएम हेल्पलाइन में लापरवाही के क्या परिणाम होते हैं? 
सीएम हेल्पलाइन के मामलों को समय पर हल न करने के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सबसे पहले, यह जनता के बीच सरकार और प्रशासन के प्रति विश्वास को कम करता है। जब लोग अपनी समस्याओं को लेकर सरकारी हेल्पलाइन पर जाते हैं और उन्हें लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है, तो उन्हें लगता है कि उनकी बात सुनी नहीं जा रही है।

इसके अलावा, यह सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को भी प्रभावित करता है। यदि किसी योजना से संबंधित शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो वह योजना अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल हो सकती है। यह सब कुछ मिलाकर प्रशासन की छवि को धूमिल करता है और अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल उठाता है। कलेक्टर द्वारा वेतनवृद्धि रोकने की चेतावनी देना यह स्पष्ट करता है कि अब अधिकारी को अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार होना पड़ेगा।

इन अधिकारियों को क्यों मिला नोटिस? 
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने यह नोटिस उन अधिकारियों को जारी किया है जिनके पास सीएम हेल्पलाइन के 100 दिन से अधिक पुराने मामले लंबित हैं। यह एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि इन मामलों को हल करने के लिए पर्याप्त समय दिया जा चुका था, फिर भी उन पर ध्यान नहीं दिया गया। कलेक्टर ने इसे वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अनदेखी और जनहित के प्रति लापरवाही माना है।

नोटिस प्राप्त करने वाले अधिकारियों में विभिन्न विभागों और स्तरों के लोग शामिल हैं, जिनमें एसडीएम, तहसीलदार, जनपद सीईओ, और जिला स्तरीय अधिकारी शामिल हैं। यह दर्शाता है कि लापरवाही किसी एक विभाग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त है।

नोटिस में शामिल कुछ प्रमुख अधिकारी इस प्रकार हैं:

  • एसडीएम स्तर पर: वैशाली जैन (हुजूर), पीएस त्रिपाठी (त्योंथर), पीयूष भट्ट (जवा), संजय जैन (मनगवां), अनुराग तिवारी (गुढ़), पीके पाण्डेय (सिरमौर)।
  • तहसीलदार स्तर पर: अनुपम पाण्डेय (सिरमौर), अरुण यादव (गुढ़), शिवशंकर शुक्ला (हुजूर), विन्ध्या मिश्रा (हुजूर ग्रामीण), अर्जुन बेलवंशी (सेमरिया), विनयमूर्ति शर्मा (रायपुर कर्चुलियान), आंचल अग्रहरी (मनगवां), जीतेंद्र तिवारी (जवा), राजेन्द्र शुक्ला (त्योंथर)।
  • जनपद सीईओ: हरिश्चंद्र द्विवेदी (सिरमौर), प्रवीण बसोड़ (त्योंथर), सुलभ सिंह कुसाम (जवा), संजय सिंह (रायपुर कर्चुलियान), श्रीमती पूनम दुबे (रीवा), प्राची चौबे (गंगेव)।
  • विभागीय अधिकारी: मनोज तिवारी (जल संसाधन), संजय पाण्डेय (पीएचई), नितिन पटेल (पीडब्ल्यूडी), नयन सिंह (महिला एवं बाल विकास), डॉ. संजीव शुक्ला (सीएमएचओ), कमलेश टाण्डेकर (जिला आपूर्ति)।
  • अन्य जिला अधिकारी: यूपी बागरी (कृषि), शारदा मिश्रा (आयुष), डॉ. राजेश मिश्रा (पशुपालन), दीपमाला तिवारी (खनिज), जेपी तिवारी (जिला उद्योग केन्द्र)।
  • इन सभी अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब देने के लिए कहा गया है। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उनके विरुद्ध एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उनकी वेतनवृद्धि रोकने जैसी सख्त कार्रवाई शामिल है।

कलेक्टर का कड़ा रुख क्यों जरूरी है? 
कलेक्टर प्रतिभा पाल का यह कदम प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जब अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं, तो आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। एक सख्त और निर्णायक नेतृत्व ही ऐसी स्थिति को सुधार सकता है।

कलेक्टर का यह कदम एक स्पष्ट संदेश देता है कि सरकारी कामकाज में कोई भी शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह न केवल वर्तमान अधिकारियों को सतर्क करेगा, बल्कि भविष्य में भी अधिकारियों को सीएम हेल्पलाइन के मामलों को गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित करेगा। यह सुनिश्चित करता है कि जनहित के मामलों को प्राथमिकता दी जाए और समस्याओं का समाधान निर्धारित समय-सीमा के भीतर हो।

यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि सरकार की प्राथमिकताएं जनता की भलाई और उनकी समस्याओं का समाधान हैं। ऐसे सख्त कदम उठाने से जनता का प्रशासन पर भरोसा बढ़ता है और वे महसूस करते हैं कि उनकी आवाज सुनी जा रही है।

सीएम हेल्पलाइन मामलों के निराकरण के लिए क्या करें?
सीएम हेल्पलाइन के मामलों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए अधिकारियों को कई कदम उठाने चाहिए। सबसे पहले, उन्हें अपनी प्राथमिकताएँ तय करनी चाहिए और उन मामलों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो 100 दिन से अधिक पुराने हैं। उन्हें इन मामलों की स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि वे क्यों लंबित हैं।

इसके अलावा, अधिकारियों को नियमित रूप से अपने संबंधित विभागों के कर्मचारियों के साथ बैठकें करनी चाहिए और उन्हें सीएम हेल्पलाइन मामलों के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्हें कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना चाहिए कि वे शिकायतों को कैसे संभालें और उनका समाधान कैसे करें।

जिला प्रशासन को भी एक मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए ताकि सीएम हेल्पलाइन के मामलों की प्रगति की नियमित रूप से निगरानी की जा सके। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी मामला लंबे समय तक लंबित न रहे और हर शिकायत का समय पर समाधान हो।