विकास विरोधी 6 सचिवों को कलेक्टर ने किया 'TERMINATE'! अब मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ी करने वाले समूह होंगे 'ब्लैकलिस्ट'!

 
रीवा जिपं में कलेक्टर का 'एक्शन मोड': 6 सचिव निलंबित, सीईओ हुए फेल!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिला पंचायत (जिपं) में इन दिनों काम की रफ्तार बेहद सुस्त थी, जिसका सीधा खामियाजा ग्रामीण विकास योजनाओं को उठाना पड़ रहा था। लेकिन अब जिपं के कार्यों में गति आने की उम्मीद जगी है, क्योंकि कलेक्टर प्रतिभा पाल (Collector Pratibha Pal) ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। कलेक्टर ने एक ही झटके में 6 ग्राम पंचायत सचिवों को निलंबित (6 Gram Panchayat Secretaries Suspended) करके यह स्पष्ट कर दिया है कि विकास कार्य में शिथिलता अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कार्रवाई न केवल दंडात्मक है, बल्कि एक स्पष्ट संकेत है कि प्रशासनिक सख्ती से बढ़ेगी काम की स्पीड ।

यह बड़ा एक्शन तब सामने आया जब कलेक्टर ने, जो कि प्रभारी कमिश्नर भी हैं, पिछले दिनों निरीक्षण किया और जिला पंचायत के कार्यों में लापरवाही और पेंडिंग फाइलों का अंबार देखा। इस निरीक्षण ने नए सीईओ जिला पंचायत मेहताब सिंह गुर्जर के काम पर भी सवाल खड़ा कर दिया था।

सीईओ की नाकामी: कलेक्टर ने खुद संभाली बागडोर 
कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल के एक्शन ने एक तरह से यह साबित कर दिया है कि सीईओ जिला पंचायत मेहताब सिंह गुर्जर काम करने में फेल हो गए हैं। सीईओ के आने के बाद से कई योजनाएँ ठप थीं और विभागों में सुस्ती छाई हुई थी। प्रभारी कमिश्नर के तौर पर कलेक्टर ने पहले नोटिस जारी किया था, लेकिन जब स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उन्होंने जिपं की बागडोर खुद ही संभाल ली।

सोमवार को कलेक्टर ने जिला पंचायत के सभी विभाग प्रमुखों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। इस बैठक में कार्यों की गति और प्रगति पर चर्चा हुई और कलेक्टर ने सीधे तौर पर एक्शन लेते हुए सीईओ को यह आइना दिखाने का काम किया कि प्रशासनिक नेतृत्व किसे कहते हैं। यह कार्रवाई उन सभी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है जो फाइलें लटका कर रखते हैं और क्षेत्र में काम नहीं करते।

विकास विरोधी: काम में बाधा डालने वाले 6 सचिवों पर गाज 
बैठक का सबसे बड़ा और कड़ा फैसला 6 ग्राम पंचायत सचिवों का निलंबन (Suspension of 6 Gram Panchayat Secretaries) था। कलेक्टर ने पाया कि इन पंचायतों में पर्याप्त राशि उपलब्ध होने के बावजूद विकास के कार्य नहीं कराए जा रहे थे। ये सचिव जानबूझकर पंचायतों में काम लटका कर रखे हुए थे।

कलेक्टर ने सीईओ को क्यों फेल बताया, इसका जवाब इन सचिवों की लापरवाही में छिपा है। विकास कार्यों में बाधा डालने वाले ये सचिव निम्नलिखित हैं, जिन पर कलेक्टर ने तत्काल निलंबन के आदेश दिए 

  • मदेनी प्रसाद कोल (दुलहरा, सिरमौर)
  • आदर्श पाण्डेय (राजगढ़, सिरमौर)
  • अनिल चौरसिया (अमिरती, रीवा)
  • कुवेर सिंह (क्योटी, गंगेव)
  • छेदीलाल विश्वकर्मा (छदहना, जवा)
  • देवेन्द्र बहादुर सिंह (नवागांव, रायपुर कर्चुलियान)

कलेक्टर ने सख्त निर्देश दिए हैं कि जिन अन्य पंचायतों में राशि उपलब्ध है और विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं, उनके सचिवों के विरुद्ध भी दण्डात्मक कार्यवाही (Punitive Action) की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरपंचों द्वारा विकास कार्य में बाधा उत्पन्न की जा रही हो तो उनके विरुद्ध भी कार्यवाही प्रस्तावित की जाए।

मध्यान्ह भोजन पर सख्त रुख: लापरवाह समूहों पर ब्लैकलिस्ट की तैयारी 
कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने मध्यान्ह भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) की गुणवत्ता पर भी अत्यंत कड़ा रुख (Extremely Strict Stance) अपनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही और शिथिलता क्षम्य नहीं होगी 

  • गुणवत्ता की निगरानी: कलेक्टर ने जिला पंचायत स्तर से मध्यान्ह भोजन की क्वालिटी की मॉनीटरिंग (Monitoring the Quality of Mid-Day Meal) सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
  • मीनू का पालन: विद्यालयों में मीनू के अनुसार वितरण सुनिश्चित करने को कहा गया।
  • ब्लैकलिस्टिंग: उन्होंने चेतावनी दी कि जो समूह ठीक ढंग से कार्य न करें उन्हें ब्लैक लिस्टेड (Blacklisted) किया जाए।

यह कदम उन बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के लिए महत्वपूर्ण है, जो मध्यान्ह भोजन पर निर्भर करते हैं। मध्यान्ह भोजन में लापरवाही पर क्या करें (What to do about negligence in mid-day meal), इसका स्पष्ट जवाब कलेक्टर ने दे दिया है: सीधी ब्लैकलिस्टिंग!

अन्य सख्त निर्देश: मनरेगा, आरईएस और वसूली पर फोकस 
कलेक्टर ने ग्रामीण विकास से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं पर भी विस्तृत निर्देश जारी किए हैं:

  • मनरेगा की निगरानी: कलेक्टर ने निर्देश दिया कि मनरेगा के परियोजना अधिकारी जनपद स्तर पर आयोजित होने वाली बैठकों में उपस्थित रहकर कार्यों की सतत मानीटरिंग करें (Continuously monitor the works)। मनरेगा कार्यों की निगरानी कैसे होती है (How are MGNREGA works monitored), इस पर अब जिला स्तर से विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • आरईएस कार्य: सीईओ जिला पंचायत को निर्देशित किया गया कि वे आरईएस द्वारा संचालित कार्यों का स्वतः निरीक्षण (Self-inspection) करें, पूर्ण कार्यों की सीसी (Completion Certificate) जारी कराएं और अप्रारंभ कार्यों को लेआउट देकर प्रारंभ कराएं।
  • जाँच और वसूली: कलेक्टर ने पंचायतों में शिकायतों की समय पर जाँच करने और गत 6 माह में हुए निर्णयों पर वसूली की कार्यवाही (Recovery action) करने के निर्देश दिए।

यह समग्र एक्शन प्लान यह सुनिश्चित करेगा कि रीवा ज़िला पंचायत में काम की स्पीड (Work Speed in Rewa Zilla Panchayat) न केवल बढ़े बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित हो।