'नो एप्लीकेशन, नो टेंशन'! कांग्रेस ने रीवा में राजेंद्र शर्मा पर जताया भरोसा, नई लिस्ट में 15 चौंकाने वाले नाम
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में, पार्टी ने शनिवार को 71 जिलों के लिए नए जिला अध्यक्षों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक रीवा जिला कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व है, जिसे एक बार फिर राजेंद्र शर्मा के हाथों में सौंपा गया है। यह तीसरी बार है जब कांग्रेस आलाकमान ने राजेंद्र शर्मा पर भरोसा जताया है, जो उनकी संगठनात्मक क्षमता और शीर्ष नेतृत्व के प्रति उनकी वफादारी को दर्शाता है। वहीं, रीवा शहर कांग्रेस की कमान अशोक पटेल को सौंपी गई है, जो पार्टी के लिए एक नई शुरुआत है। यह नियुक्ति दर्शाती है कि कांग्रेस ने न केवल अनुभव को महत्व दिया है, बल्कि नए चेहरों को भी आगे लाने का निर्णय लिया है।
राजेंद्र शर्मा: अनुभव और नेतृत्व का प्रतीक
राजेंद्र शर्मा रीवा में एक जाना-माना नाम हैं। वे पेशे से एक प्रतिष्ठित बिल्डर हैं और उनका शहर में एक मजबूत सामाजिक और आर्थिक आधार है। उनकी राजनीतिक यात्रा भी काफी लंबी रही है। जिला अध्यक्ष के रूप में दो सफल कार्यकालों के अलावा, वे दो बार रीवा विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी भी रह चुके हैं और एक बार महापौर पद का चुनाव भी लड़ा है। इन चुनावों में भले ही उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उनके प्रयासों और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पैठ ने उन्हें पार्टी के भीतर एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया। तीसरी बार उनकी नियुक्ति को पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का उन पर विशेष भरोसा माना जा रहा है। पटवारी, जो संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, उन्होंने राजेंद्र शर्मा जैसे अनुभवी और समर्पित नेता पर ही भरोसा जताकर यह संकेत दिया है कि पार्टी जीत की ओर केंद्रित है और इसके लिए वे पुराने, भरोसेमंद चेहरों पर ही दांव लगाएंगे।
नया अध्याय: शहर अध्यक्ष अशोक पटेल
रीवा कांग्रेस के लिए एक और महत्वपूर्ण फैसला शहर अध्यक्ष के रूप में अशोक पटेल की नियुक्ति है। यह नियुक्ति शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने की कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। जहाँ एक ओर राजेंद्र शर्मा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करेंगे, वहीं अशोक पटेल शहर में युवा और शहरी मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ने का काम करेंगे। इस दोहरी कमान से पार्टी को रीवा में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिल सकती है, खासकर शहरी मतदाताओं के बीच, जो अक्सर कांग्रेस के लिए एक चुनौती रहे हैं। अशोक पटेल के नेतृत्व में शहर कांग्रेस को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है, और उनकी सबसे बड़ी चुनौती शहरी युवाओं को पार्टी से जोड़ना होगी।
कांग्रेस का नया चयन मॉडल: ऑब्जर्वर रिपोर्ट और रणनीति
जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया इस बार कांग्रेस में पूरी तरह से पारदर्शी और वैज्ञानिक थी। राष्ट्रीय स्तर से ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए थे, जिन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सहयोगी पर्यवेक्षकों के साथ मिलकर जिलों का दौरा किया। लगभग दो महीने तक चली इस प्रक्रिया में पर्यवेक्षकों ने जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं, स्थानीय नेताओं और आम लोगों से रायशुमारी की। इस रायशुमारी के आधार पर ही नामों का चयन किया गया। इस प्रक्रिया की सबसे खास बात यह रही कि 15 ऐसे नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया, जिन्होंने इस पद के लिए आवेदन ही नहीं किया था और न ही पर्यवेक्षकों के सामने अपनी दावेदारी पेश की थी। इन नामों को ऑब्जर्वर की रिपोर्ट और वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई चर्चा के बाद अंतिम सूची में शामिल किया गया। यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब केवल दावेदारों पर नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी नजर रख रही है जो चुपचाप जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।
जीतू पटवारी का मिशन 2028: संगठन को मजबूत करने की पहल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस नई सूची को 'संगठन सृजन अभियान' की सफलता बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट 'X' पर एक पोस्ट में सभी नए और पुराने जिला अध्यक्षों को बधाई दी। उन्होंने लिखा कि यह 'मंथन और चिंतन' की प्रक्रियाओं का परिणाम है और आगे की यात्रा भी निर्णायक है। पटवारी का स्पष्ट संदेश है कि उनका लक्ष्य 2028 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाना है। उन्होंने कहा, "अपने अथक परिश्रम से हर सपने को, हर संकल्प को, हर लक्ष्य को भी साकार करना है।" उन्होंने विश्वास जताया कि इन साझा प्रयासों से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विचार और संस्कार को नया विस्तार मिलेगा और संगठन को एक मजबूत जमीन मिलेगी, जो उन्हें 2028 में मप्र को कांग्रेस की सरकार देंगे। यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसके लिए उन्हें जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी, और इस नई टीम का गठन उसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
अनुभव और युवा जोश का तालमेल
इस सूची में कांग्रेस ने अनुभव और युवा जोश दोनों का ध्यान रखा है। कुल 18 जिला अध्यक्षों को फिर से मौका दिया गया है, जिनमें राजेंद्र शर्मा के साथ-साथ बड़वानी से नानेश चौधरी, खरगोन से रवि नाईक, झाबुआ से प्रकाश रांका, शाजापुर से नरेश्वर प्रताप सिंह, उज्जैन शहर से मुकेश भाटी, विदिशा से मोहित रघुवंशी, सीहोर से राजीव गुजराती, भोपाल शहर से प्रवीण सक्सेना, भोपाल ग्रामीण से अनोखी पटेल, छिंदवाड़ा से विश्वनाथ ओक्टे, बालाघाट से संजय उईके, जबलपुर शहर से सौरभ शर्मा, सीधी से ज्ञान प्रताप सिंह, मैहर से धर्मेश घई, टीकमगढ़ से नवीन साहू, अशोकनगर से राजेंद्र कुशवाहा और मुरैना ग्रामीण से मधुराज तोमर शामिल हैं। इन नेताओं को दोबारा मौका देकर पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी पुरानी और भरोसेमंद टीम पर भरोसा करती है।
आगे की राह और चुनौतियां
रीवा में राजेंद्र शर्मा और अशोक पटेल की नई जोड़ी के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर की गुटबाजी को खत्म कर सभी को एकजुट करना है। इसके साथ ही उन्हें आगामी चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार करना, जनता के बीच पार्टी की पहुँच बढ़ाना और सरकार की विफलताओं को उजागर करना होगा। यह नई टीम रीवा में कांग्रेस को कितनी मजबूती दे पाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन यह निश्चित है कि इस फैसले से कांग्रेस ने संगठन में जान फूंकने का प्रयास किया है।