सिस्टम फेल! IG की चेतावनी के बाद भी रीवा में 'कोरेक्स' का जहर बेरोकटोक, चेकपोस्ट पर कौन कर रहा है बड़ी डील?

 
बैन न होने और बेखौफ एंट्री के कारण युवा नशे की गिरफ्त में; चोरहटा पुलिस ने 42 सीसी सिरप के साथ 8 माह से फरार आरोपी NDPS एक्ट में दबोचा।

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले में आईजी गौरव राजपूत की सख्त चेतावनी के बाद थाना स्तर पर नशीली कफ सिरप के खिलाफ कार्रवाई तो तेज हो गई है, लेकिन यह कार्रवाई व्यवस्थागत विफलता (System Failure) की बड़ी कहानी भी बयां कर रही है। गुरुवार सुबह चोरहटा थाना पुलिस ने 42 सीसी नशीली कोरेक्स कफ सिरप के साथ एक आरोपी को दबोचा। यह गिरफ्तारी जितनी सराहनीय है, उससे कहीं बड़ा सवाल यह है कि यह जहर जिले की सीमा में प्रवेश कैसे कर रहा है, और इसे पूरी तरह बैन क्यों नहीं किया जा रहा है?

8 माह से फरार 'सप्लायर' गिरफ्तार, पर 'सप्लाई चेन' पर खामोशी
चोरहटा थाना पुलिस को गुरुवार सुबह मुखबिर से सटीक सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति मोटरसाइकिल से झोले में नशीली कफ सिरप लेकर सप्लाई के लिए निकलने वाला है। थाना प्रभारी आशीष मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस ने त्वरित घेराबंदी की। जैसे ही संदिग्ध युवक मोटरसाइकिल लेकर आता दिखाई दिया, पुलिस ने उसे रोकने का इशारा किया। हालांकि आरोपी ने भागने की कोशिश की, लेकिन घेराबंदी कर उसे दबोच लिया गया।

गिरफ्तार आरोपी की पहचान सचिन तिवारी के रूप में हुई है। तलाशी के दौरान उसके झोले से 42 सीसी नशीली कोरेक्स कफ सिरप बरामद हुई, साथ ही उसकी मोटरसाइकिल भी जब्त कर ली गई। जांच में पता चला कि सचिन तिवारी लंबे समय से इस अवैध धंधे में सक्रिय था और करीब 8 माह से फरार चल रहा था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है कि सचिन यह जहर कहाँ से लाता था और किन युवाओं को सप्लाई करता था।

चेकपोस्टों से 'डील' या जानबूझकर लापरवाही? सिस्टम की बड़ी विफलता
पुलिस की कार्रवाई अपनी जगह है, लेकिन सबसे गंभीर सवाल पूरे सिस्टम पर उठता है। 
आईजी गौरव राजपूत ने स्पष्ट कहा है कि नशे के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी और टीम का मकसद नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार को जड़ से खत्म करना है। लेकिन, जब तक एंट्री पॉइंट बंद नहीं किए जाते, यह जड़ खत्म नहीं हो सकती।

  • सवाल नंबर 1: चेकपोस्ट की विफलता क्यों? जब जिले की सीमा पर चेकपोस्ट और पुलिस चौकियां मौजूद हैं, तो यह 42 सीसी सिरप की खेप रीवा में बेरोकटोक कैसे दाखिल हो गई? क्या यह सीमावर्ती चेकपोस्टों पर तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत का नतीजा है, या यह उनकी जानबूझकर की गई लापरवाही है?
  • सवाल नंबर 2: बैन क्यों नहीं? जब यह स्पष्ट है कि कोरेक्स कफ सिरप का उपयोग सिर्फ नशे के लिए हो रहा है और यह युवाओं के लिए जहर बन चुका है, तो राज्य सरकार इसे पूरी तरह प्रतिबंधित क्यों नहीं करती? जब तक इसे फार्मेसी से खरीदने की छूट रहेगी, माफिया इसकी कालाबाजारी करते रहेंगे।

यह गिरफ्तारी सिर्फ एक मोहरे को पकड़ना है। असली कार्रवाई तब मानी जाएगी जब पुलिस न सिर्फ सप्लाई चेन के मालिकों तक पहुँचेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि चेकपोस्ट पर तैनात दोषी अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई हो, जिन्होंने इस जहर को रीवा में दाखिल होने दिया।

'मुहिम जारी रहेगी' पर भरोसा तब, जब चेकपोस्ट पर 'जीरो टॉलरेंस' दिखेगा
आईजी गौरव राजपूत का संकल्प सराहनीय है, लेकिन जनता का भरोसा तभी कायम होगा जब इस सख्ती का असर प्रशासनिक सीमा पर दिखेगा। चोरहटा पुलिस ने तो अपना काम कर दिया, अब गेंद बड़े अधिकारियों के पाले में है। उन्हें सिर्फ छोटे सप्लायरों को नहीं, बल्कि एंट्री पॉइंट की विफलता की जड़ तक जाकर कार्रवाई करनी होगी, ताकि समाज का कोई भी युवा इस जहर की गिरफ्त में न आ पाए। इस धंधे से जुड़े हर छोटे-बड़े चेहरे को एनडीपीएस एक्ट के तहत कड़ी सजा दिलवाना ही इस मुहिम की असली सफलता होगी।