रीवा में कानून का राज खत्म? दिनदहाड़े शराब, ड्रग्स और जुआ... कहां है पुलिस?
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। शहर के सार्वजनिक स्थलों पर दिनदहाड़े शराब का सेवन, कोरेक्स जैसे नशीले पदार्थों का बेरोकटोक कारोबार, जुआ-सट्टे का खुला खेल और इन सबके बीच महिलाओं और बच्चियों की बढ़ती असुरक्षा ने पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों में आक्रोश है कि आखिर जब शहर के हर कोने में पुलिस थाने और पुलिसकर्मी मौजूद हैं, तो यह सब बेलगाम क्यों चल रहा है? ऐसा लगता है कि कानून का राज कमजोर पड़ गया है और अपराधियों में पुलिस-प्रशासन का कोई भय नहीं रह गया है। यह स्थिति शहर के सामाजिक ताने-बाने और नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है।
रीवा के सार्वजनिक स्थल बने खुले 'मयखाना': दिनदहाड़े शराबखोरी का बोलबाला
शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थान, जो कभी परिवारों और आम जनता के लिए सुकून भरी जगह हुआ करते थे, अब शराबियों के अड्डे बन चुके हैं। नया बस स्टैंड, सिरमौर चौराहा, पीटीएस, रेलवे ओवरब्रिज और बजरंग नगर जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में खुलेआम शराब पीते लोगों के वीडियो वायरल हो रहे हैं। ये दृश्य न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि असामाजिक तत्वों में कानून का कोई डर नहीं है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि शाम ढलते ही शराब दुकानों के आसपास लगे ठेले और गुमटियां खुले 'मयखाने' में तब्दील हो जाती हैं, जहां शराबी घंटों बैठे रहते हैं। यह स्थिति उन महिलाओं और बच्चों के लिए दुःस्वप्न जैसी है, जिन्हें इन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। क्या महिलाएं रीवा में सुरक्षित हैं? अधिवक्ता वीके माला की व्यंग्यात्मक टिप्पणी कि "अब तो शहर के सार्वजनिक स्थलों को मयखाना ही घोषित कर देना चाहिए!" यह दर्शाती है कि जनता का सब्र टूट रहा है और वे प्रशासन की निष्क्रियता से हताश हैं। यह सिर्फ शराबखोरी नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था के पूरी तरह से ढहने का संकेत है।
महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा खतरे में: घर से निकलना भी दुश्वार
शहर में बढ़ते अपराधों और सार्वजनिक स्थलों पर बेखौफ घूमते असामाजिक तत्वों के कारण बहन-बेटियों का अकेले घर से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है। उन्हें हर पल असुरक्षा महसूस होती है। चाहे स्कूल हो, कॉलेज हो, या कोई बाजार – हर जगह उन्हें छेड़छाड़ या अभद्रता का सामना करना पड़ता है। रीवा में लड़कियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? सार्वजनिक स्थानों, पार्कों या यहाँ तक कि वाटरफॉल जैसे प्राकृतिक स्थलों पर भी अब बेटियां और महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं, क्योंकि हर जगह अपराधियों का बोलबाला है। यह स्थिति महिला सशक्तिकरण और उनकी आज़ादी के लिए एक बड़ा झटका है। जब पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में भी बेटियां घर से निकलने में डर महसूस करें, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
'नशा मुक्त रीवा' सिर्फ कागजों पर: कोरेक्स और नशे का बेरोकटोक कारोबार
रीवा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे 'नशा मुक्त रीवा' अभियान पर भी अब सवालिया निशान लग गया है। जमीनी हकीकत यह है कि यह अभियान सिर्फ कागजी खानापूर्ति और नाटक बनकर रह गया है। कोरेक्स (नशीली खांसी की सिरप), गांजा, अवैध गोलियां और इंजेक्शन जैसे नशीले पदार्थों का कारोबार शहर में बेरोकटोक जारी है। दिनदहाड़े लोग खुलेआम इनका सेवन करते हैं और कहीं भी कोई लगाम नज़र नहीं आती। प्रशासन के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं, क्योंकि नशे के सौदागरों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है। रीवा में नशा कैसे बंद होगा? जब पुलिस स्वयं नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रही है, तो शहर के युवाओं का भविष्य अधर में है। यह दिखाता है कि अभियानों का शोर तो बहुत है, लेकिन परिणाम शून्य हैं।
अवैध धंधों को पुलिस का संरक्षण? जुआ और सट्टा क्यों नहीं रुक रहा?
सार्वजनिक शराबखोरी और नशे के साथ-साथ, रीवा शहर में जुए और सट्टे का धंधा भी खुलेआम फल-फूल रहा है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ये अवैध गतिविधियां कथित तौर पर पुलिस की 'सीधी' सहमति और संरक्षण से चल रही हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि शहर में बड़े पैमाने पर जुआ-सट्टा खेला जा रहा है। जब कानून के रखवाले ही अवैध धंधों को संरक्षण देंगे, तो अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे और समाज में अपराध बढ़ेगा। रीवा में जुआ सट्टा कौन चलाता है? यह सवाल आम जनता के मन में उठ रहा है। पुलिस की इस मिलीभगत या निष्क्रियता ने आम जनता के मन में यह विश्वास दिला दिया है कि प्रशासन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अक्षम है या unwilling है।
उच्चाधिकारियों की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह: SP, IG, DIG, CSP, TI कर क्या रहे हैं?
रीवा के पुलिस अधीक्षक (SP), पुलिस महानिरीक्षक (IG), उप पुलिस महानिरीक्षक (DIG), नगर पुलिस अधीक्षक (CSP), और थाना प्रभारी (TI) जैसे उच्च पदस्थ अधिकारी अब सिर्फ 'नाम' के रह गए हैं। वे अब तक रीवा से अवैध कोरेक्स का कारोबार, जुआ और सट्टा बंद नहीं करवा पाए हैं, जबकि यह सार्वजनिक ज्ञान है कि ये धंधे कहाँ और कैसे चल रहे हैं। जब शीर्ष स्तर पर बैठे अधिकारी भी प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं, तो यह सीधे तौर पर उनकी जवाबदेही और क्षमता पर सवाल खड़े करता है। रीवा पुलिस क्या कर रही है? जनता जानना चाहती है कि आखिर पुलिस-प्रशासन किस बात की तनख्वाह ले रहा है, जब शहर में खुलेआम अपराध चल रहे हैं और नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
सिस्टम की विफलता और जवाबदेही का अभाव: आखिर कब जागेगा प्रशासन?
यह रीवा के पूरे सिस्टम की घोर विफलता को दर्शाता है। जब पुलिसकर्मी, जिनके बगल में थाने और गाड़ियां मौजूद हैं, सही ढंग से गश्त नहीं करते; जब बड़े अधिकारी नशे और जुए के कारोबार को रोकने में नाकाम रहते हैं; और जब महिलाओं व बच्चियों का घर से निकलना दूभर हो जाता है – तो यह स्पष्ट है कि कहीं न कहीं जवाबदेही का गंभीर अभाव है। प्रशासन के सारे दावे, जैसे कि इंदौर की तर्ज पर रीवा को स्वच्छता में नंबर वन बनाने के प्रयास, जमीनी हकीकत में पूरी तरह से फेल साबित हो रहे हैं। किसी भी बड़ी घटना की स्थिति में इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? रीवा की जनता अब कार्रवाई नहीं, बल्कि परिणाम चाहती है। यह समय है कि प्रशासन अपनी गहरी नींद से जागे और शहर में कानून का राज स्थापित करे, ताकि नागरिक बिना किसी डर के सम्मानजनक जीवन जी सकें।
नागरिकों की अपील और भविष्य की राह
रीवा के नागरिक अब प्रशासन से यह अपील कर रहे हैं कि वे सिर्फ वादे और दावे न करें, बल्कि जमीनी स्तर पर कठोर और प्रभावी कार्रवाई करें। सार्वजनिक स्थलों से शराबियों और असामाजिक तत्वों को हटाया जाए, नशे के कारोबार पर पूरी तरह से लगाम लगाई जाए, और जुआ-सट्टे के अड्डों को ध्वस्त किया जाए। सबसे महत्वपूर्ण, महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। पुलिस को सक्रिय गश्त करनी चाहिए और अपराधियों में कानून का भय स्थापित करना चाहिए। केवल तभी रीवा एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण शहर बन पाएगा, जहां हर नागरिक, विशेषकर हमारी बेटियां, बिना डर के जीवन जी सकें।
FAQ
प्रश्न: रीवा में सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीने की समस्या क्यों बढ़ रही है?
उत्तर: स्थानीय लोगों का मानना है कि पुलिस-प्रशासन का भय न होने और सही गश्त न होने के कारण असामाजिक तत्व बेलगाम हो गए हैं, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर दिनदहाड़े शराबखोरी बढ़ गई है।
प्रश्न: महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा पर इसका क्या असर पड़ रहा है?
उत्तर: सार्वजनिक स्थानों पर शराबियों और असामाजिक तत्वों की मौजूदगी के कारण महिलाओं और छोटी बच्चियों का घर से निकलना दूभर हो गया है। वे असुरक्षित महसूस करती हैं और उन्हें छेड़छाड़ या अभद्रता का डर रहता है।
प्रश्न: क्या रीवा में नशा (जैसे कोरेक्स) और अवैध जुआ/सट्टा बंद हो गया है?
उत्तर: नहीं, जनता के अनुसार, रीवा में कोरेक्स और अन्य नशीले पदार्थों का कारोबार बेरोकटोक जारी है। साथ ही, जुआ और सट्टा भी खुलेआम चल रहा है, जिस पर पुलिस का कोई नियंत्रण नहीं दिख रहा।
प्रश्न: पुलिस के उच्चाधिकारियों पर क्या आरोप हैं?
उत्तर: आरोप है कि SP, IG, DIG, CSP और TI जैसे उच्चाधिकारी नशे और अवैध गतिविधियों को रोकने में विफल रहे हैं, जबकि उन्हें इन सब की जानकारी है। जनता का मानना है कि वे सिर्फ 'नाम' के रह गए हैं और जमीनी स्तर पर उनका काम 'टोटल ज़ीरो' है।
प्रश्न: प्रशासन ने इस समस्या पर क्या कहा है?
उत्तर: नगर निगम आयुक्त ने कहा है कि सार्वजनिक स्थलों को चिह्नित किया गया है और शराबखोरी करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने पुलिस के सहयोग से कार्रवाई का आश्वासन दिया है, हालांकि जनता को जमीनी कार्रवाई का इंतजार है।
प्रश्न: अगर कोई बड़ी घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?
उत्तर: स्थानीय लोगों और अधिवक्ताओं का मानना है कि अगर सार्वजनिक स्थलों पर अनियंत्रित शराबखोरी और अपराध के कारण कोई बड़ी घटना होती है, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की होगी, क्योंकि वे अपराधियों पर लगाम लगाने में विफल रहे हैं।