विंध्य की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त: 11वीं के छात्र बिना विज्ञान टीचर के, मार्तण्ड-2 के प्राचार्य (पूर्व DEO) की चुप्पी और वर्तमान DEO की '20 दिन की सैलरी' वाली डील? पुरवा के छात्रों को न्याय कब?

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है, जहाँ जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रामराज मिश्रा पर एक शिक्षिका के प्रकरण को निपटाने में जानबूझकर कोताही बरतने का आरोप लगा है। यह मामला शिक्षिका श्रीमती अर्चना दुबे के अटैचमेंट (Attachment) से जुड़ा है, जिसके चलते उनकी मूल पदस्थापना वाले विद्यालय शा. पूर्व मा. वि. पुरवा (संकुल मनिकवार) में विज्ञान विषय का पठन-पाठन पिछले 4 वर्षों से लगभग ठप्प है।

यह मामला 'चोरी और ऊपर से सीना जोरी' वाली कहावत को सच साबित करता दिखाई दे रहा है। एक तरफ जहाँ ग्रामीण विद्यालय के छात्र बेसब्री से अपनी शिक्षिका का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ डीईओ कार्यालय इस संवेदनशील मामले को टालने में जुटा हुआ है, जबकि यह मामला अब न्यायालय के निर्देश पर भी लंबित है।

चार साल पुराना अटैचमेंट: 'विज्ञान शिक्षिका हिंदी माध्यम की, अटैचमेंट अंग्रेजी माध्यम में!'
श्रीमती अर्चना दुबे की मूल नियुक्ति शा. पूर्व मा. वि. पुरवा में हिंदी माध्यम की विज्ञान शिक्षिका के रूप में हुई थी। उन्हें लगभग 4 वर्ष पूर्व शा. उ. मा. वि. मार्तंड क्र. 2 में अंग्रेजी माध्यम से विज्ञान पढ़ाने के लिए अटैच कर दिया गया था।

  • विवाद की जड़: हैरानी की बात यह है कि जब पहली बार उन्हें अटैच किया गया, तब मार्तण्ड-2 में पहले से ही श्रीमती गीतांजलि सिंह अंग्रेजी माध्यम की शिक्षिका पदस्थ थीं, जिसके कारण तत्कालीन प्राचार्य ने उन्हें कार्यमुक्त कर दिया था।
  • नए प्राचार्य की भूमिका: बाद में जब श्रीमती गीतांजलि सिंह का स्थानांतरण हो गया, तो नए प्राचार्य ने कार्य अनुमति के आधार पर श्रीमती अर्चना दुबे को अटैच करवा लिया।

गौरतलब है कि पुरवा विद्यालय में विज्ञान विषय का अध्यापन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पुरवा के प्राचार्य ने संकुल से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक कई बार पत्राचार किया कि उनकी शिक्षिका को वापस भेजा जाए, लेकिन पूर्व में किसी अधिकारी ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा।

न्यायालय के निर्देश की अनदेखी: 'डीईओ रीवा को 30 दिन में करना था निराकरण'

वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी रामराज मिश्रा ने 20 अक्टूबर 2025 को मामले को संज्ञान में लेते हुए शिक्षिका को उनकी मूल संस्था के लिए कार्यमुक्त कर दिया था। लेकिन, यहाँ से मामले ने नया मोड़ ले लिया। कार्यमुक्त होने के बाद श्रीमती अर्चना दुबे विद्यालय जाने के बजाय सीधे न्यायालय पहुँच गईं और लगभग 20 दिनों तक घर बैठे वेतन प्राप्त किया।

न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे 30 दिवस के भीतर इस पूरे प्रकरण का निराकरण करें।

  • कोताही: यह बेहद चौंकाने वाला है कि न्यायालय द्वारा निर्धारित 30 दिवस पूरे होने वाले हैं, लेकिन डीईओ स्वयं इस प्रकरण को निपटाने में लगातार कोताही बरत रहे हैं।
  • DEO का तर्क: जब इस मामले पर डीईओ से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने प्राचार्य मार्तंड क्र. 2 से अभिमत (Opinion) मांगा है, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है, और अभिमत मिलते ही प्रकरण का निराकरण कर दिया जाएगा।

तथ्यों पर गौर: "अंग्रेजी माध्यम का बताकर अटैचमेंट न्यायसंगत नहीं"
तथ्यों की बात करें तो मार्तण्ड क्रमांक 2 में पहले से ही विज्ञान विषय के चार शिक्षक पदस्थ हैं, जिनमें से दो शिक्षक अंग्रेजी माध्यम का अध्यापन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में हिंदी माध्यम की मूल शिक्षिका श्रीमती अर्चना दुबे को सिर्फ अंग्रेजी माध्यम का शिक्षक बताकर अटैच करके रखना कतई न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है।

सबसे बड़ा विरोधाभास यह है कि उनकी मूल संस्था (पुरवा), जहाँ से उनका वेतन भुगतान होता है, वहाँ विज्ञान विषय का पठन-पाठन पूर्ण रूप से ठप्प है, जिससे सैकड़ों छात्रों का भविष्य सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है।

वर्तमान में मार्तण्ड क्रमांक 2 के प्राचार्य पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता हैं, जिन्हें नियम-कायदों का पूर्ण अनुभव है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके द्वारा दिए गए प्रतिवेदन के आधार पर DEO रामराज मिश्रा क्या कार्रवाई करते हैं। अगर डीईओ महोदय जल्द ही इस प्रकरण का निराकरण नहीं करते हैं, तो यह सीधे-सीधे न्यायालय के आदेश की अवमानना और सरकारी स्कूलों में छात्रों के शिक्षा के अधिकार की अनदेखी मानी जाएगी।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
सवाल: शिक्षिका श्रीमती अर्चना दुबे का मूल पदस्थापन कहाँ है?
जवाब: उनकी मूल पदस्थापना शा. पूर्व मा. वि. पुरवा, संकुल मनिकवार में हिंदी माध्यम की विज्ञान शिक्षिका के तौर पर है।
सवाल: वह कहाँ अटैच हैं और क्यों?
जवाब: वह शा. उ. मा. वि. मार्तंड क्र. 2 में अटैच हैं, कथित तौर पर अंग्रेजी माध्यम में विज्ञान पढ़ाने के लिए, जबकि उनकी मूल नियुक्ति हिंदी माध्यम में है।
सवाल: पुरवा विद्यालय में शिक्षा पर क्या असर पड़ रहा है?
जवाब: पुरवा विद्यालय में शिक्षिका की अनुपस्थिति के कारण विज्ञान विषय का पठन-पाठन लगभग ठप्प है, जिससे छात्रों का नुकसान हो रहा है।
सवाल: डीईओ रीवा पर क्या आरोप है?
जवाब: डीईओ रामराज मिश्रा पर न्यायालय के निर्देशानुसार 30 दिन के भीतर प्रकरण का निराकरण न करने और कोताही बरतने का आरोप है।
सवाल: मार्तण्ड-2 में विज्ञान शिक्षकों की क्या स्थिति है?
जवाब: मार्तण्ड क्र. 2 में पहले से ही विज्ञान विषय के चार शिक्षक पदस्थ हैं, जिनमें से दो अंग्रेजी माध्यम का अध्यापन कर रहे हैं।