रीवा के 'हेल्थ हीरो' डॉ. एस.के. त्रिपाठी: त्योहार पर भी निभाई ड्यूटी, बचाई तीन गंभीर मरीजों की जान
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर में रक्षा बंधन और कजलिया का त्योहार पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। जब हर कोई अपने परिवार के साथ मिलकर इन पर्वों का जश्न मना रहा था, तब रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के. त्रिपाठी अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। उन्होंने पारिवारिक खुशियों से ऊपर अपनी पेशेवर जिम्मेदारी को रखा, क्योंकि उनके लिए मरीज की जान बचाना किसी भी उत्सव से बढ़कर है।
रीवा के डॉक्टर ने क्यों छोड़ा त्योहार का जश्न यह सवाल जब लोगों ने पूछा तो जवाब था - मानवता और सेवा। डॉ. त्रिपाठी का यह फैसला न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सच्चे डॉक्टर के लिए मरीज की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। यह घटना चिकित्सा पेशे के प्रति उनके समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसने रीवा और आसपास के क्षेत्रों में लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा की एक नई मिसाल पेश की है।
किन तीन गंभीर मरीजों की जान बचाई गई?
त्योहार के दिन जब अस्पताल में तीन गंभीर हृदय रोगी लाए गए, तब उनकी स्थिति काफी चिंताजनक थी। ये तीनों ही मरीज दिल से जुड़ी अलग-अलग जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे थे, जिन्हें तत्काल इलाज की जरूरत थी।
- कंप्लीट हार्ट ब्लॉक: पहले मरीज को कंप्लीट हार्ट ब्लॉक था। इस स्थिति में दिल की धड़कन बहुत धीमी हो जाती है, और कभी भी पूरी तरह रुक सकती है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है जिसमें मरीज को तुरंत पेसमेकर की जरूरत होती है।
- सिक साइनस सिंड्रोम: दूसरे मरीज को सिक साइनस सिंड्रोम था, जिसमें हृदय का प्राकृतिक पेसमेकर (SA नोड) सही ढंग से काम नहीं करता। इससे दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है, जो बेहोशी और कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है।
- अनियमित दिल की धड़कन: तीसरे मरीज को इरेगुलर हार्टबीट की समस्या थी, जिसे मेडिकल भाषा में एरिथमिया कहते हैं। इसमें दिल की धड़कन कभी बहुत तेज तो कभी बहुत धीमी हो जाती है। यह भी एक गंभीर स्थिति है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इन तीनों ही मरीजों को अगर समय पर सही इलाज नहीं मिलता, तो उनकी जान को खतरा था। कंप्लीट हार्ट ब्लॉक का इलाज कैसे होता है, सिक साइनस सिंड्रोम क्या है और अनियमित दिल की धड़कन का इलाज क्या है जैसे सवालों का जवाब डॉ. त्रिपाठी ने अपनी त्वरित कार्रवाई से दिया।
पेसमेकर सर्जरी: कैसे दी गई मरीजों को नई जिंदगी?
डॉ. त्रिपाठी ने इन तीनों मरीजों की स्थिति को देखते हुए मिनिमली इनवेसिव पेसमेकर सर्जरी करने का फैसला किया। यह एक उन्नत और सुरक्षित तकनीक है जिसमें पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी की तरह बड़ा चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रक्रिया में एक छोटा सा चीरा लगाकर छाती में एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जिसे पेसमेकर कहते हैं, इम्प्लांट किया जाता है।
पेसमेकर कैसे काम करता है यह समझना महत्वपूर्ण है। यह उपकरण दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है, जिससे दिल की गति सामान्य बनी रहती है। क्या पेसमेकर की सर्जरी सुरक्षित है, यह एक सामान्य सवाल है। मिनिमली इनवेसिव तकनीक के इस्तेमाल से यह सर्जरी बहुत सुरक्षित हो जाती है, जिसमें मरीज को कम दर्द होता है, रिकवरी जल्दी होती है और अस्पताल में रुकने का समय भी कम हो जाता है। इस तकनीक ने रीवा में हृदय रोगियों के इलाज को एक नया आयाम दिया है। रीवा में पेसमेकर सर्जरी कौन करता है यह सवाल अब आम लोगों के लिए डॉ. एस.के. त्रिपाठी के नाम के साथ जुड़ गया है।
डॉ. त्रिपाठी का संदेश: मानवता सबसे बड़ा धर्म है
डॉ. एस.के. त्रिपाठी का मानना है कि एक डॉक्टर होने का मतलब सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, "मेरे लिए सबसे बड़ा उत्सव मरीज की जान बचाना है। जब एक परिवार का सदस्य ठीक होकर अपने घर लौटता है, तो मुझे उससे बड़ी खुशी कोई नहीं मिलती।" उनका यह संदेश समाज के हर वर्ग के लिए एक प्रेरणा है। त्योहारों पर डॉक्टर काम क्यों करते हैं इस सवाल का जवाब डॉ. त्रिपाठी के इस बयान में साफ झलकता है।
उन्होंने यह साबित कर दिया कि एक डॉक्टर के लिए मरीज की सेवा किसी भी अन्य कर्तव्य से बढ़कर है। उनका यह कदम सिर्फ रीवा ही नहीं, बल्कि पूरे देश के चिकित्सा समुदाय के लिए एक मिसाल है। यह दिखाता है कि डॉक्टर होने की जिम्मेदारी क्या है और इसका पालन कैसे किया जाना चाहिए।
रीवा में कार्डियक केयर का बदलता चेहरा
पहले रीवा और आसपास के जिलों के गंभीर हृदय रोगियों को इलाज के लिए जबलपुर, भोपाल या दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था। इसमें न केवल समय और पैसा खर्च होता था, बल्कि मरीज की जान को भी खतरा रहता था। लेकिन अब रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डॉ. एस.के. त्रिपाठी जैसे विशेषज्ञों और उन्नत तकनीक की उपलब्धता से स्थिति बदल रही है। क्या रीवा में हार्ट का इलाज होता है यह सवाल अब पुरानी बात हो गई है। यह अस्पताल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस हो गया है, जिससे क्षेत्र के लोगों को बेहतर और त्वरित चिकित्सा सेवा मिल रही है। यह रीवा में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक क्रांति जैसा है, जो दर्शाता है कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा में कौन से डॉक्टर हैं और वे किस स्तर का काम कर रहे हैं।
मरीजों और परिजनों की प्रतिक्रिया
सर्जरी के बाद मरीजों और उनके परिजनों ने डॉ. त्रिपाठी के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि त्योहार के दिन जब सभी डॉक्टर छुट्टी पर थे, तब डॉ. त्रिपाठी ने अपनी ड्यूटी निभाकर उनकी जान बचाई। यह उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। एक मरीज के परिजन ने कहा, "हमने सोचा था कि छुट्टी की वजह से इलाज में देरी होगी, लेकिन डॉ. साहब ने हमें निराश नहीं किया। यह देखकर खुशी हुई कि छोटे शहरों में भी इतनी अच्छी मेडिकल सुविधाएं हैं।" उनकी यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि डॉ. त्रिपाठी का यह कार्य कितना महत्वपूर्ण था। यह घटना रीवा में सबसे अच्छा हार्ट हॉस्पिटल कौन सा है इस सवाल का जवाब भी लोगों को दे रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय और भविष्य की उम्मीदें
अन्य कार्डियोलॉजी विशेषज्ञों का भी मानना है कि डॉ. एस.के. त्रिपाठी जैसे डॉक्टरों के प्रयास छोटे शहरों में हृदय रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। उनका यह कार्य न केवल मरीजों की जान बचा रहा है, बल्कि रीवा जैसे शहरों में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को भी बढ़ावा दे रहा है। यह दर्शाता है कि क्या छोटे शहरों में भी अच्छी मेडिकल सुविधाएं हैं। भविष्य में ऐसे प्रयासों से रीवा और आसपास के क्षेत्रों में कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में और अधिक उन्नति की उम्मीद की जा सकती है। यह एक सकारात्मक संकेत है जो बताता है कि भारत के छोटे शहरों में भी उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।