सांसद का दावा vs. कांग्रेस का वार! गणेश सिंह बोले- आत्मनिर्भरता का मार्ग, विनोद शर्मा बोले- लाखों व्यापारी बर्बाद, ये सबसे बड़ी गलती!
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर रविवार को देश की दो सबसे बड़ी आर्थिक नीतियों—जीएसटी (GST) और नोटबंदी (Demonetization)—पर राजनीतिक बयानबाजी का अखाड़ा बन गया। सतना के भाजपा सांसद गणेश सिंह ने इन कदमों को सार्थक और जरूरी बताते हुए जहां सरकार का बचाव किया, वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए इसे देश के लाखों व्यापारियों को बर्बाद करने वाली सबसे बड़ी गलती करार दिया।
सांसद गणेश सिंह का बयान: विकसित भारत का मार्ग
सांसद गणेश सिंह ने अपनी प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित राष्ट्र' के संकल्प को केंद्र में रखा।
- लक्ष्य 2047: उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है।
- आत्मनिर्भर भारत: सांसद के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने का मार्ग आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से होकर गुजरता है।
- स्वदेशी पर जोर: उन्होंने जोर देकर कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सशक्त आधार स्वदेशी विचारधारा और स्वदेशी उत्पाद हैं, और जीएसटी तथा नोटबंदी इसी दिशा में उठाए गए सार्थक और जरूरी कदम थे।
कांग्रेस का तीखा पलटवार: 'जमीनी हकीकत से दूर' सांसद और 'गब्बर सिंह टैक्स' का तंज
भाजपा सांसद की प्रेस वार्ता के तुरंत बाद, कांग्रेस ने उन पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने गणेश सिंह के बयान पर निशाना साधते हुए कहा:
- देश की गलती: उन्होंने नोटबंदी को देश की सबसे बड़ी गलती बताया, जिसने लाखों मध्यम वर्गीय और छोटे व्यापारियों को बर्बाद कर दिया और उन्हें सड़क पर ला दिया।
- जमीनी हकीकत: विनोद शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि सतना सांसद को शायद जमीनी हकीकत नजर नहीं आती, इसलिए वह गलतियों को भी उपलब्धि बता रहे हैं।
जीएसटी पर कांग्रेस का तंज: 'गब्बर सिंह टैक्स'
कांग्रेस प्रवक्ता ने जीएसटी (GST) को लेकर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा।
- नामकरण: विनोद शर्मा ने जीएसटी को बॉलीवुड फिल्म शोले के कुख्यात डकैत के नाम पर 'गब्बर सिंह टैक्स' कहकर पुकारा।
- उपलब्धि पर सवाल: उन्होंने सवाल उठाया कि अगर नोटबंदी और जीएसटी इतनी बड़ी उपलब्धि थी, तो सरकार को 2000 का नोट क्यों बंद करना पड़ा?
- भाजपा पर ड्रामा का आरोप: उन्होंने कहा कि पहले टैक्स बढ़ाना और फिर घटाकर उत्सव मनाना यह अब भाजपा का ड्रामा बन चुका है। कांग्रेस प्रवक्ता ने अंत में सांसद गणेश सिंह को सच्चाई जानने के लिए सद्बुद्धि देने की प्रार्थना भी की।
राजनीतिक विश्लेषण: चुनावी माहौल में गरमाती बहस और आर्थिक नीतियों का प्रभाव
यह राजनीतिक टकराव चुनावी माहौल को गरमा देता है और देश की दो सबसे विवादास्पद आर्थिक नीतियों के लाभ और हानि को पुनः केंद्र में लाता है।
- भाजपा का पक्ष: भाजपा इन नीतियों को पारदर्शिता, टैक्स अनुपालन में वृद्धि, और अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की दिशा में आवश्यक कदम मानती है, जो अंततः विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य हैं।
- कांग्रेस का पक्ष: कांग्रेस इन नीतियों के व्यापारियों, विशेषकर मध्यम और छोटे व्यापारियों पर पड़े नकारात्मक प्रभाव और रोजगार के नुकसान को उजागर करती है, यह दावा करते हुए कि इनसे केवल बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा हुआ है।
निष्कर्ष: चुनावी माहौल में गरमाती बहस
रीवा में शुरू हुई यह बयानबाजी दर्शाती है कि आने वाले चुनावों में आर्थिक नीतियाँ और उनके जमीनी प्रभाव एक प्रमुख मुद्दा बने रहेंगे। सांसद गणेश सिंह ने जहां भविष्य के विकसित भारत की बड़ी तस्वीर पेश की है, वहीं कांग्रेस प्रवक्ता विनोद शर्मा ने वर्तमान की समस्याओं और मध्यम वर्ग के दर्द को सामने लाकर जनता का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का मत आर्थिक सुधारों की आवश्यकता या उनके कठोर परिणामों में से किसे अधिक महत्व देता है।