मार्केट बंद! 'रतन' का काला धंधा खुला, ग्राहकों को ठगा! GST ने मालिक को ज़मीन पर बिठाकर कराई पूछताछ; पूरी रात रोता रहा!    

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) शुक्रवार शाम को मध्य प्रदेश के रीवा शहर के व्यस्ततम बाजार क्षेत्र में उस वक्त भारी हलचल मच गई, जब जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) विभाग की एक टीम ने रतन किराना स्टोर पर अचानक छापा (Raid) मारा। यह कार्रवाई इतनी गोपनीय रखी गई थी कि विभाग के पहुंचते ही बाजार में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

दरअसल, लंबे समय से जीएसटी विभाग को इस प्रतिष्ठित किराना स्टोर के खिलाफ जीएसटी चोरी (GST Evasion) की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इन शिकायतों की प्राथमिक जांच में कुछ ठोस साक्ष्य मिलने के बाद ही विभाग ने यह बड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने का फैसला लिया।

रीवा में जीएसटी विभाग ने छापा क्यों मारा? यह कार्रवाई सीधे तौर पर शिकायत और प्राथमिक बिलिंग अनियमितताओं के साक्ष्य पर आधारित थी। यह दर्शाता है कि अब विभाग छोटे और बड़े सभी प्रतिष्ठानों पर समान रूप से निगरानी रख रहा है।

रतन किराना स्टोर पर अचानक कार्रवाई: क्या है अनियमितता? 

विभाग की टीम ने जैसे ही दुकान के भीतर प्रवेश किया, अधिकारियों ने तुरंत सभी लेखा-जोखा (Accounts) और दस्तावेजों (Documents) की जांच शुरू कर दी। सूत्रों के अनुसार, टीम को कई ऐसे संकेतक (Indicators) मिले हैं जो टैक्स चोरी की ओर इशारा करते हैं।

जांच में सामने आई मुख्य अनियमितताएं:

  • रिकॉर्ड में दर्ज न होना: अधिकारियों को कुछ ऐसे बिक्री बिल मिले हैं जिन्हें आधिकारिक रिकॉर्ड या जीएसटी रिटर्न में दर्ज नहीं किया गया था।
  • संदिग्ध गणना: कुछ बिलों में जीएसटी की गणना (Calculation) संदिग्ध पाई गई है, जिसका अर्थ है कि ग्राहकों से जीएसटी लिया गया हो सकता है, लेकिन सरकारी खाते में सही राशि जमा नहीं की गई।
  • बड़ी असमानता: प्रारंभिक जांच में खरीद और बिक्री के आंकड़ों में भी बड़ी असमानता होने की आशंका जताई जा रही है।

जीएसटी चोरी कैसे पकड़ी जाती है? जीएसटी विभाग अक्सर डेटा एनालिटिक्स और मुखबिरों की सूचना का उपयोग करके ऐसे मामलों को पकड़ता है, जहां रिटर्न में घोषित बिक्री और वास्तविक बाजार लेनदेन में बड़ा अंतर होता है।

दस्तावेजों की जब्ती और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच 
जांच दल ने अनियमितता वाले सभी भौतिक दस्तावेजों को तत्काल जब्त कर लिया है। यह कार्रवाई केवल कागजी रिकॉर्ड तक सीमित नहीं थी। अधिकारियों ने आधुनिक जांच प्रक्रिया अपनाते हुए:

  • कंप्यूटर सिस्टम का बैकअप: दुकान के डिजिटल बिलिंग सिस्टम और कंप्यूटर हार्ड ड्राइव का संपूर्ण बैकअप लिया गया।
  • डिजिटल रिकॉर्ड: इस बैकअप का विस्तृत फोरेंसिक विश्लेषण किया जाएगा ताकि पता चल सके कि डिलीट किए गए या छुपाए गए डिजिटल रिकॉर्ड में क्या अनियमितताएं मौजूद हैं।

यह प्रक्रिया विभाग को यह समझने में मदद करेगी कि दुकान मालिक ने बिलिंग अनियमितता से कैसे बचें के नियमों का उल्लंघन जानबूझकर किया था या यह कोई लिपिकीय त्रुटि थी। डिजिटल साक्ष्य आज के दौर में जीएसटी चोरी के मामलों में सबसे निर्णायक सबूत माने जाते हैं।

दुकान मालिक का पक्ष और विभाग की प्रारंभिक टिप्पणी
कार्रवाई के दौरान जीएसटी अधिकारियों ने दुकान के मालिक से भी गहन पूछताछ (Interrogation) की। दुकान संचालक ने अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि वह जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं और सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने को तैयार हैं। उन्होंने किसी भी प्रकार की जानबूझकर की गई गलती से इनकार किया है।

वहीं, जीएसटी विभाग ने अपनी टिप्पणी में कहा:

"यह कार्रवाई केवल शिकायतों और प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर की गई है। अभी जांच अपने प्रारंभिक चरण (Preliminary Stage) में है। दस्तावेजों की विस्तृत जांच और फोरेंसिक ऑडिट के बाद ही यह तय होगा कि दुकान के खिलाफ क्या कानूनी कदम उठाए जाएंगे।"

जीएसटी टीम क्या कर रही है? टीम अब जब्त किए गए दस्तावेजों को मुख्यालय भेजकर उनका मिलान दुकान द्वारा फाइल किए गए मासिक जीएसटी रिटर्न से करेगी ताकि चोरी की गई वास्तविक राशि का आकलन किया जा सके।

जीएसटी चोरी के खिलाफ सख्त रुख: आगे क्या होगा?
रीवा बाजार में हुई इस कार्रवाई ने अन्य व्यापारियों (Traders) के बीच भी एक कड़ा संदेश भेजा है कि जीएसटी अनुपालन (Compliance) अब एक गंभीर विषय है।
जांच के परिणाम के आधार पर आगे निम्नलिखित कार्रवाई संभव है:

  • टैक्स और जुर्माना: यदि जीएसटी चोरी सिद्ध होती है, तो दुकान मालिक को चोरी की गई जीएसटी राशि, उस पर ब्याज और भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
  • कानूनी कार्रवाई: यदि चोरी की राशि बड़ी है और यह जानबूझकर की गई गलती मानी जाती है, तो कानूनी मुकदमा भी चलाया जा सकता है, जिसके तहत गिरफ्तारी भी संभव है।

यह घटना यह स्पष्ट करती है कि सरकार टैक्स अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए डेटा-आधारित तकनीक और अचानक छापेमारी का इस्तेमाल कर रही है, जिससे भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी की गुंजाइश कम हो सके। अब सभी की निगाहें विभाग की अगली रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस मामले में अंतिम खुलासा करेगी।