ड्रग्स के शिकंजे में रीवा: "उड़ता पंजाब" से "उड़ता चाकघाट" तक! खुलेआम बिक रहा स्मैक, युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में, प्रशासन और पुलिस पर उठ रहे सवाल

 
रीवा के चाकघाट में खुलेआम बिक रही स्मैक, भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन ने किया पर्दाफाश, प्रशासन और पुलिस पर उठ रहे सवाल।

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। रीवा जिले के चाकघाट इलाके में इन दिनों नशे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विशेष रूप से स्मैक (हेरोइन) का धंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, युवाओं में स्मैक की लत तेजी से बढ़ रही है, जिससे एक गंभीर सामाजिक समस्या खड़ी हो गई है। लोगों ने इस मामले में कई बार जिला प्रशासन और पुलिस को सूचित किया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से यह कारोबार बिना किसी डर के जारी है। पुलिस एक तरफ जागरूकता अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ उसकी नाक के नीचे नशे का व्यापार हो रहा है, जो कई सवाल खड़े करता है।

स्टिंग ऑपरेशन से हुआ पर्दाफाश: रीवा में स्मैक कैसे बिकती है?
एक स्टिंग ऑपरेशन में रीवा में चल रहे इस अवैध कारोबार का पर्दाफाश हुआ। इस स्टिंग में न केवल स्मैक की बिक्री को कैमरे में कैद किया गया बल्कि उसकी पैकिंग और वितरण के तरीके को भी दिखाया गया। यह स्टिंग महज तीन दिन पहले किया गया था, जिसका उद्देश्य रीवा में ड्रग्स और नशे के बढ़ते कारोबार की सच्चाई को उजागर करना था। इस स्टिंग वीडियो में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि स्मैक की बिक्री कैसे की जाती है और कैसे छोटी-छोटी पुड़िया बनाकर ग्राहकों को बेची जाती है।

कौन है स्मैक बेचने वाली महिला?
स्टिंग ऑपरेशन में एक महिला को स्मैक बेचते हुए देखा गया, जिसकी पहचान अनीता साहू के रूप में हुई है। वह बुद्धि लाल साहू की पत्नी है और उसकी उम्र लगभग 35 वर्ष है। अनीता चाकघाट के वार्ड क्रमांक 1 की निवासी है और कई वर्षों से इसी वार्ड में स्मैक का कारोबार करती आ रही है। यह हैरानी की बात है कि इतने लंबे समय से यह धंधा चल रहा है, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी या उसने जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की।

जनप्रतिनिधियों की चिंता: क्या पुलिस बचा रही है?
रीवा में लंबे समय से कोरेक्स के नशे की समस्या पर डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद जनार्दन मिश्रा और विधायक अभय मिश्रा जैसे जनप्रतिनिधि चिंता व्यक्त कर रहे थे। लेकिन अब स्थिति कोरेक्स से भी आगे बढ़कर स्मैक तक पहुँच गई है, जो कहीं ज्यादा खतरनाक है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और आम लोग अब खुले तौर पर यह आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस इस मामले में जानबूझकर ढिलाई बरत रही है।

पूर्व उपाध्यक्ष नगर परिषद चाकघाट, अजय कुमार केसरवानी ने कहा कि दबाव पड़ने पर पुलिस ने स्मैक बेचने वाली महिला पर कार्रवाई करने के बजाय उसे कोरेक्स बेचने का मामला बताया। उनका कहना है कि महिला और उसके परिवार ने कभी भी कोरेक्स नहीं बेचा, वे हमेशा से स्मैक का कारोबार करते आए हैं। यह पुलिस द्वारा मामले को दबाने और आरोपी को बचाने का प्रयास प्रतीत होता है। स्थानीय निवासी सुरेश कुमार पांडेय ने तो यहाँ तक कहा कि "उड़ता पंजाब" की तर्ज पर अब "उड़ता रीवा" और "उड़ता चाकघाट" भी देखने को मिल रहा है।

स्मैक की कीमत और कारोबार का तरीका
स्मैक का कारोबार बहुत महंगा है। कारोबार से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि 1 ग्राम स्मैक की कीमत ₹1500 होती है। वहीं 100 ग्राम स्मैक ₹1,10,000 में मिलता है। 500 ग्राम स्मैक की कीमत ₹5.5 लाख तक पहुँच जाती है। इस महंगी स्मैक को छोटी-छोटी पुड़िया बनाकर ₹200 से ₹300 में बेचा जाता है, जिससे यह युवा पीढ़ी के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाती है। यह कीमत बताती है कि यह कितना बड़ा और संगठित अपराध है।

पुलिस की प्रतिक्रिया: क्या होगी कार्रवाई?
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद, पुलिस अधीक्षक (SP) विवेक सिंह ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने संबंधित थानों को भी इस संबंध में निर्देशित किया है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पुलिस इस मामले में क्या और कब कार्रवाई करेगी। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों को पुलिस की कार्रवाई पर संदेह है, क्योंकि उनका मानना है कि पुलिस पहले भी इस तरह के मामलों को टालती रही है।

स्मैक के सेवन से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य खतरे
डॉक्टरों के अनुसार, स्मैक का नशा व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है। इसके सेवन से दिमाग सुन्न हो जाता है और व्यक्ति उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) का शिकार हो सकता है। स्मैक का असर शरीर के स्नायु तंत्र (Nervous System) पर बहुत तेजी से होता है, जिससे फेफड़े, किडनी और लीवर जैसे महत्वपूर्ण अंग खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। यह युवाओं के भविष्य को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है।

निष्कर्ष: रीवा में नशे की रोकथाम कैसे करें?
रीवा के चाकघाट में स्मैक का खुलेआम कारोबार एक गंभीर समस्या है, जिसे तुरंत रोकने की जरूरत है। यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य और युवा पीढ़ी के भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है। प्रशासन और पुलिस को इस मामले में सिर्फ खानापूर्ति नहीं, बल्कि कठोर और निर्णायक कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ ही, स्थानीय लोगों को भी आगे आकर इस नशे के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी और युवाओं को जागरूक करना होगा।