करोड़ों का 'गबन' और फिर 'बेशर्मी'! रीवा के भ्रष्ट सचिवों की करतूत से हिला प्रशासनिक अमला

 

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा और मऊगंज जिलों में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां के भ्रष्ट पंचायत सचिवों और ग्राम रोजगार सहायकों (जीआरएस) ने जनता के विकास कार्यों के लिए आए करीब 2 करोड़ 11 लाख रुपए का गबन किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस राशि की वसूली के लिए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 54 लाख रुपए ही वापस मिल पाए हैं। यह वसूली भी केवल 31 आरोपियों से ही हो सकी है, जबकि सैकड़ों लोग इस घोटाले में शामिल हैं।

यह स्थिति जिला पंचायत के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करती है। ऐसा लगता है कि प्रशासन जानबूझकर वसूली में देरी कर रहा है, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हो रहा है।

विकास कार्यों का पैसा हजम
जिन पैसों का गबन हुआ है, वो कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है। यह वह पैसा था जो गांव-देहात में सड़क, पानी, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए भेजा गया था। इन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने विकास कार्यों को अधूरा छोड़कर या कागजों पर दिखाकर ही यह राशि हजम कर ली।

सबसे ज्यादा गड़बड़ी त्योंथर जनपद पंचायत में पाई गई है, जहां आधे से अधिक सचिव और जीआरएस इस घोटाले में लिप्त हैं। यह दिखाता है कि पूरे सिस्टम में ही कहीं न कहीं बड़ी खामी है, जिसका फायदा ये लोग उठा रहे हैं।

क्यों नहीं हो रही वसूली?
वसूली में देरी का सबसे बड़ा कारण प्रशासनिक लापरवाही मानी जा रही है। एक तरफ दोषी कर्मचारी आज भी अपनी-अपनी पंचायतों में तैनात हैं, तो दूसरी तरफ उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। इस मामले में जिला पंचायत के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई आरोपी सचिवों को तो फिर से वित्तीय अधिकार दे दिए गए हैं। इससे साफ पता चलता है कि ये भ्रष्ट अधिकारी बेखौफ होकर काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

कानून का उल्लंघन और प्रशासनिक लापरवाही
इस मामले में केवल वित्तीय अनियमितता ही नहीं, बल्कि कानूनी आदेशों की अवहेलना भी हो रही है। सूत्रों के अनुसार, पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 और 92 के तहत दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, इन निर्देशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब तक इन भ्रष्टाचारियों को पद से हटाया नहीं जाता, तब तक सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी होती रहेगी।

प्रशासन का नया वादा
मामले को गरमाता देख, प्रभारी कलेक्टर सौरभ सोनवड़े ने अब कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि दोषी कर्मचारियों को छोड़ा नहीं जाएगा और उनसे पूरी वसूली की जाएगी। कलेक्टर ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो उन्हें सेवा से बर्खास्त करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इस संबंध में सीईओ जिला पंचायत को सख्त निर्देश दिए हैं।

अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस बार अपने वादे पर खरा उतरता है, या यह भी सिर्फ एक और आश्वासन बनकर रह जाता है।

FAQ
Q1. पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 और 92 क्या हैं?
A1. धारा 40 कर्मचारियों के कदाचार और कर्तव्यपालन में लापरवाही के लिए उन्हें हटाने से संबंधित है। धारा 92 सरकारी फंड के दुरुपयोग या नुकसान के मामलों में वसूली के लिए है।

Q2. इस घोटाले में कुल कितनी राशि की वसूली होनी है?
A2. कुल 2 करोड़ 11 लाख रुपए की वसूली होनी थी, जिसमें से अब तक केवल 54 लाख रुपए ही वसूल हो पाए हैं।

Q3. क्या दोषी कर्मचारियों को अब भी पंचायतों में काम करने दिया जा रहा है?
A3. हाँ, सूत्रों के मुताबिक कई दोषी सचिव और जीआरएस अब भी अपनी पंचायतों में काम कर रहे हैं, और कुछ को तो वित्तीय अधिकार भी वापस मिल गए हैं।