धोबिया टंकी में 'डेथ वारंट': मां-बेटियों के जरिए कोरक्स सप्लाई, पुलिस को सब पता- फिर भी कारोबार जारी! 'बड़े सो रहे हैं, छोटे कमा रहे हैं!' पत्रकार-बदमाश की 'सेटिंग' से चलती है मंडी!
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर में नशीली दवाओं के अवैध कारोबार (Illegal Drug Trade) पर लगाम कसने के लिए पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत, सिटी कोतवाली पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने धोबिया टंकी क्षेत्र में एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसका संचालन एक मां और उसकी दो बेटियां कर रही थीं।
यह घटना दर्शाती है कि नशे का यह काला कारोबार अब परिवारों के भीतर भी अपनी जड़ें जमा रहा है, जिससे सामाजिक और कानूनी जटिलताएँ बढ़ रही हैं। पुलिस ने धोबिया टंकी क्षेत्र में मां-बेटियों पर दोबारा कार्रवाई करके भले ही वाहवाही लूटी हो, लेकिन यह सच है कि यह कार्रवाई एक साल पहले मीडिया के दबाव में हुए बड़े खुलासे का ही दोहराव मात्र है। सवाल यह नहीं है कि कार्रवाई हुई, सवाल यह है कि इतनी बड़ी कार्रवाई के बावजूद धोबिया टंकी में कोरक्स का कारोबार आज तक बंद क्यों नहीं हुआ? आखिर कौन से 'अदृश्य हाथ' पुलिस और प्रशासन को बेबस कर रहे हैं?
यह कार्रवाई मुखबिर से मिली सटीक सूचना के आधार पर की गई, जिसने पुलिस की सतर्कता और सक्रियता को उजागर किया। नशीली दवाओं का कारोबार कैसे होता है, इसका एक भयावह उदाहरण इस मामले में देखने को मिला है, जहाँ आरोपी महिलाएं लंबे समय से इस अवैध धंधे में लिप्त थीं।
ठीक एक साल पहले, रीवा मीडिया ने इसी धोबिया टंकी क्षेत्र में मेडिकल नशे के काले कारोबार को उजागर किया था।
-
पिछला खुलासा: ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान कैमरामैन का फोन तक छीन लिया गया था।
-
तब की कार्रवाई: मीडिया के हंगामे के बाद देर रात CSP शिवली चतुर्वेदी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल धोबिया टंकी में घुसा और दीवारों से 1 लाख रुपये से अधिक की कोरक्स कफ सिरप बरामद की थी।
-
आज वही हाल: पिछली कार्रवाई के बावजूद आज फिर कुसुम साकेत और उनकी दो बेटियां 101 सीसी नशीली सिरप के साथ पकड़ी जाती हैं। यह साफ दिखाता है कि पुलिस की पिछली कार्रवाई 'आईवॉश' मात्र थी और माफिया को कोई खौफ नहीं है।
नशे के कारोबार का 'अदृश्य सिंडिकेट': कौन हैं इस खेल के असली खिलाड़ी?
शहर में हर युवा जानता है कि रीवा में कोरक्स कफ सिरप आसानी से कहाँ मिलती है, फिर भी पुलिस हर बार 'छोटी मछलियों' को पकड़कर शांत क्यों हो जाती है? सूत्रों के हवाले से यह गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं कि इस अवैध धंधे को चलाने में एक बड़ा सिंडिकेट शामिल है:
-
मीडिया का काला पक्ष: सूत्रों के अनुसार, दिनेश दहिया नामक एक पत्रकार इस धंधे में शामिल है। यह नाम सीधे तौर पर पत्रकारिता की साख पर सवाल उठाता है।
-
माफिया का गठजोड़: सिकंदर नामक एक कुख्यात बदमाश, जो कई छोटे मीडियाकर्मियों को समर्थन देता है, उसके संरक्षण में यह पूरा खेल खेला जाता है। यह बदमाश ही पुलिस और माफिया के बीच 'पुल' का काम करता है।
सबसे बड़ा सवाल: कोरक्स को आसानी से क्यों नहीं बंद कर पाती पुलिस?
रीवा शहर में ड्रग्स का यह कारोबार पूरी तरह बंद क्यों नहीं हो पाता, जबकि पुलिस को इसकी पूरी जानकारी है?
-
चेक पोस्ट की विफलता: रीवा शहर चेक पोस्ट और नाकेबंदी से घिरा हुआ है, फिर भी लाखों की नशीली सिरप आसानी से शहर में कैसे घुस जाती है
-
संदेह के घेरे में पुलिसकर्मी: इस धंधे में पहले भी कई पुलिसकर्मियों के नाम सामने आए हैं और वे निलंबित (Suspended) भी हो चुके हैं। इसके बावजूद, यह कारोबार फिर से शुरू हो जाता है।
-
बड़े अधिकारी क्या कर रहे हैं?: यह साफ संकेत देता है कि यह पूरा गोरखधंधा किसी बड़े 'संरक्षण' के बिना नहीं चल सकता। क्या बड़े अधिकारी हर माह मोटी रकम लेकर 'आँखें बंद' कर लेते हैं? या फिर नए अधिकारी के आते ही 'दिखावटी कार्रवाई' होती है और फिर सब कुछ पहले जैसा हो जाता है?
एनडीपीएस एक्ट का शिकंजा: परिवार आधारित अवैध कारोबार पर चोट
नशीली कफ सिरप की अवैध बिक्री एक गंभीर अपराध है, जिसे कानून की नजर में ड्रग्स तस्करी के समान माना जाता है। इसीलिए पुलिस ने गिरफ्तार की गई तीनों महिलाओं—कुसुम साकेत (48 वर्ष), रोशनी साकेत (22 वर्ष), और ज्योति साकेत (20 वर्ष)—के खिलाफ एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस) एक्ट (NDPS Act) के तहत मामला दर्ज किया है।
एनडीपीएस एक्ट के तहत क्या कार्रवाई होती है, यह जानना आवश्यक है, क्योंकि यह कानून इस तरह के अपराधों के लिए कठोर कानूनी फ्रेमवर्क (Strict Legal Framework) प्रदान करता है, जिसमें लंबी जेल की सजा का प्रावधान है। यह कार्रवाई परिवार आधारित अवैध कारोबार पर एक गहरी चोट है और यह संदेश देती है कि इस तरह के सामाजिक अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सतत निगरानी क्यों जरूरी? आरोपियों का 'पुराना रिकॉर्ड'
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि आरोपी महिलाओं के खिलाफ पहले भी ऐसी कार्रवाई हो चुकी थी। यह तथ्य स्पष्ट करता है कि नशे के कारोबार को रोकने के लिए सतत और सख्त निगरानी क्यों आवश्यक है।
- पुनरावृत्ति का जोखिम: बार-बार एक ही तरह के अपराध में लिप्त होना दिखाता है कि आरोपी कानून के डर को खो चुके हैं।
- पुलिस की सतत कार्रवाई: पुलिस की निरंतर कार्रवाई और सतर्कता ही नशीली दवाओं का कारोबार कैसे होता है, इस पर लगाम लगा सकती है और रीवा में नशे की समस्या कैसे कम करें, इस दिशा में मदद करती है।
निष्कर्ष: रीवा पुलिस की सक्रियता और सामाजिक चुनौती
रीवा पुलिस की यह त्वरित कार्रवाई नशीली दवाओं के अवैध कारोबार को नियंत्रित करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। नशीली कफ सिरप क्यों बेची जाती है (Why is illegal cough syrup sold), यह सवाल समाज को उसकी जड़ों पर विचार करने के लिए मजबूर करता है।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि नशे का कारोबार केवल कानूनी नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक चुनौती (Social Challenge) है, जिसे पुलिस के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और परिवारों के सहयोग से ही प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। कानूनी कदम और सामाजिक जागरूकता ही युवाओं को इस जहर से बचा सकती है।
कोरक्स का जहर युवाओं को कैसे आसानी से मिल रहा है? कलेक्टर/SP को अब 'जड़' पर हमला करना होगा, न कि 'टहनी' पर! धोबिया टंकी के माफिया पर 'पूर्ण प्रतिबंध' लगे!