Rewa News : "नाबालिग से हैवानियत या साज़िश? रीवा में पुलिस-अस्पताल ने मिलकर किया न्याय का 'गैंगरेप'? डॉ. मिश्रा पर भी उठी उंगलियां!"
Jun 16, 2025, 11:55 IST
रीवा के संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में 8-9 जून की दरमियानी रात एक नाबालिग से कथित गैंगरेप की घटना ने सनसनी फैला दी है। शुरू में अस्पताल अधीक्षक ने पुष्टि की, लेकिन अब पुलिस और अस्पताल प्रशासन दोनों अपने बयानों से पलट गए हैं, जिससे जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
पीड़िता का दर्दनाक बयान: एक रात की आपबीती
पीड़िता के अनुसार, उसकी मां के इलाज के दौरान ही वार्ड बॉय महेंद्र तिवारी और मनीष ने उसे संदेश भेजना शुरू कर दिया था।
- 8 जून, शाम 7 बजे: पीड़िता ने वार्ड बॉय महेंद्र तिवारी को गले में दर्द बताया।
- शाम 7:15 बजे: महेंद्र ने उसे दो टैबलेट दीं, एक तुरंत और दूसरी रात 11 बजे खाने को कहा।
- 9 जून, रात 12:45 बजे: महेंद्र ने पीड़िता की एक एडिटेड अश्लील फोटो व्हाट्सएप पर भेजी और उसे बाहर मिलने के लिए ब्लैकमेल किया।
- रात 1:10 बजे: मां और भाई के सो जाने के बाद पीड़िता महेंद्र से मिलने वार्ड से बाहर आई। महेंद्र ने उसे अस्पताल से भी बाहर आने को कहा।
- रात 1:18 बजे: वह अस्पताल से बाहर निकली।
- रात 1:23 बजे: वार्ड बॉय उससे मिलता है और कमरे पर चलने का दबाव बनाता है। मना करने पर ब्लैकमेल और जबरदस्ती करने लगता है।
- रात 1:25 बजे: अस्पताल से महेंद्र के पास फोन आता है कि एक लड़की को उसकी मां और भाई ढूंढ रहे हैं, क्या वह उसके पास है? महेंद्र इनकार कर देता है।
- रात 1:26 बजे: महेंद्र अपने कमरे में ले जाकर 3 अन्य लोगों (विकास, मनीष और हर्ष) के साथ मिलकर गैंगरेप करता है।
- रात 1:45 बजे: पीड़िता सड़क पर अकेली होती है। उसे अकेला देखकर दो बाइक सवार छेड़छाड़ करने लगते हैं।
- रात 1:48 बजे: पीड़िता उनसे बचकर भागती है। तभी उसका भाई और मां उसे ढूंढते हुए आ जाते हैं। पीड़िता बेहोशी की हालत में थी। बाइक से लिफ्ट लेकर अस्पताल पहुंचते हैं।
अस्पताल का शुरुआती रवैया और फिर पलटना
- रात 1:55 बजे: पीड़िता को सबसे पहले इमरजेंसी कैजुअल्टी में इलाज के लिए लाया गया, जहां सीएमओ डॉ. सौरभ गोयल ने नशीली दवा को बेअसर करने के लिए दवा देकर उल्टी करवाई।
- रात 2:35 बजे: मां ने बताया कि बेटी सड़क पर बेहोश मिली और उसकी उम्र 16 साल यानी नाबालिग है, इसके बावजूद डॉक्टर ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। ड्रिप लगाकर मेडिसिन वार्ड में भेज दिया जाता है। पीड़िता यहां लगभग 40 मिनट रहती है।
- इसके बाद उसे स्त्री रोग वार्ड के लेबर रूम में ले जाया जाता है। यहां डॉक्टरों ने बताया कि "आपकी बेटी के साथ गलत हुआ है। हम आगे का इलाज पुलिस केस के बाद ही कर पाएंगे।" पीड़िता की मां को डराया भी गया कि अगर यह बात सामने आई तो बेटी और परिवार समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
- मां ने पुलिस कार्रवाई से इनकार किया: दबाव में पीड़िता की मां ने एक लिखित बयान दिया जिसमें उन्होंने किसी भी प्रकार की पुलिस कार्यवाही से इनकार कर दिया और कहा कि यह फैसला उन्होंने अपनी मर्जी से लिया है।
- 9 जून, सुबह 9 बजे: 5 घंटे लेबर रूम में रखने के बाद पीड़िता को उसकी मां से लेटर लिखवाकर डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
- सुबह 10:15 बजे: मां अपनी बेटी को ईएनटी वार्ड में ले आती है, जहां पीड़िता नहाती है और सो जाती है।
- सुबह 11:35 बजे: मां का ऑपरेशन करने वाले डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि "आपकी बेटी के साथ गलत हुआ है और आपको पुलिस को बताना चाहिए," लेकिन मां ने छुट्टी देने को कहा।
- दोपहर करीब 3 बजे: पीड़िता, उसकी मां और भाई मामा के घर चले जाते हैं।
आरोपी महेंद्र तिवारी की रात भर मौजूदगी
- पीड़िता के सो जाने के बाद भी आरोपी महेंद्र तिवारी पूरी रात अस्पताल में ही मौजूद था और पीड़िता की मां को "अम्मा" कहकर पुकार रहा था। गार्ड ने उसे वहां से भगाया।
- डॉ. सुरेंद्र सिंह ने भी बताया कि उन्होंने दोनों वार्ड बॉय को निकाल दिया है, लेकिन पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी थी।
- पीड़िता ने बताया कि महेंद्र तिवारी ने विकास के साथ मिलकर पैसे देकर मामला रफा-दफा करने की बात भी कही थी। विकास भी उन चार लोगों में शामिल है जिन पर रेप का आरोप है।
पुलिस पर भी लगे गंभीर आरोप
- 10 जून: पीड़िता के भाई ने बताया कि पुलिस ने उन्हें गोविंदगढ़ रेस्ट हाउस बुलाया और वहां से अमइया थाना ले जा रही थी। एसपी के फोन के बाद गाड़ी वापस मोड़ ली गई और गोविंदगढ़ थाना ले जाया गया, जहां रात 12 बजे तक पूछताछ चली।
- परिवार ने पुलिस से घर छोड़ने की बात कही क्योंकि मां का ऑपरेशन हुआ था और उन्हें दवा लेनी थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें एक जगह से दूसरी जगह घुमाया और कहा कि उन्हें वन स्टॉप सेंटर में रुकना होगा।
- भाई को और मामा को घर भेज दिया गया, लेकिन मां और बहन को पूरी रात खाना नहीं दिया गया।
- अगले दिन सुबह: वन स्टॉप सेंटर पहुंचने पर परिवार को मिलने नहीं दिया गया। दोपहर 2 बजे दोनों को बाहर आने दिया गया।
- इसके बाद बिछिया जिला अस्पताल ले जाकर मेडिकल कराया गया और फिर कोर्ट ले गए, लेकिन बयान होने से पहले किसी से मिलने नहीं दिया।
- पीड़िता के भाई का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ बहुत खराब व्यवहार किया, धमकाया, और जो बोला वह एफआईआर में नहीं लिखा गया।
विरोधाभासी बयान: कौन सच बोल रहा है?
- अस्पताल अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा: पहले दो वार्ड बॉय द्वारा दुष्कर्म की सूचना पर पीड़िता को भर्ती करने की बात कही, लेकिन बाद में बोले, "इस घटना को गैंगरेप कहना बिल्कुल गलत है।" उन्होंने दावा किया कि जांच में रेप नहीं हुआ और शरीर पर कोई खरोंच नहीं थी। पुलिस को सूचना देने में देरी पर भी उनके बयान और पुलिस के बयान में विरोधाभास है।
- रीवा एएसपी आरती सिंह: उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "नहीं, कोई रेप नहीं हुआ।" उनका दावा है कि रात 1 बजे पीड़िता कमरे में नहीं पहुंची, बल्कि दोनों हाथ पकड़कर सड़क पर चल रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस को सिर्फ छेड़छाड़ की बात बताई गई, और सीआरपीसी की धारा 164 के बयान में लड़की ने रेप जैसी बात नहीं कही। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज का हवाला दिया है, जिसमें लड़की सड़क पर घूमती दिख रही है, लेकिन फुटेज सार्वजनिक नहीं किया है।
इस मामले में पुलिस और अस्पताल प्रशासन के बदलते बयान, पीड़िता के गंभीर आरोप और सीसीटीवी फुटेज की अस्पष्टता ने पूरी घटना को सवालों के घेरे में ला दिया है। आखिर उस रात क्या हुआ था, यह जानना बेहद जरूरी है।