Rewa News : "कैमरे में कैद भ्रष्टाचार: रीवा के पटवारी मुकेश सिंह और ओमप्रकाश नीरत का रिश्वत लेते वीडियो वायरल, जांच के आदेश : राजस्व विभाग शर्मसार
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले की सिरमौर तहसील में रिश्वतखोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जहाँ सेदहा पटवारी हल्का के दो पटवारियों का रिश्वत लेते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडियो ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामला और आरोपी पटवारी:
यह घटना लालगांव राजस्व निरीक्षक मंडल के सेदहा हल्का क्षेत्र की है। वायरल वीडियो में तत्कालीन पटवारी मुकेश सिंह और वर्तमान पटवारी ओमप्रकाश नीरत (जिनका हाल ही में तबादला हुआ है, लेकिन अभी पदभार से मुक्त नहीं हुए हैं) रिश्वत लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।
रिश्वत लेते हुए का वीडियो:
वीडियो में साफ दिख रहा है कि आवेदक अरुण प्रताप सिंह निवासी हिनौती, पटवारी मुकेश सिंह को "फीडिंग" के नाम पर 10 हजार रुपये नकद दे रहे हैं। वीडियो में अरुण सिंह घर के अंदर से नोट गिनते हुए आते हैं और मुकेश सिंह को पैसे सौंपते हैं। इस दौरान अरुण कहते हैं, "अभी मेरे पास इतना ही है, बाकी बाद में देख लेंगे।" इस पर मुकेश सिंह जवाब देते हैं, "कबेलू वाले बहुत अकड़ रहे थे।" बातचीत से यह भी स्पष्ट होता है कि अन्य कामों के लिए भी रिश्वत ली जाएगी।
पटवारियों के बीच की बातचीत:
वीडियो में मुकेश सिंह अरुण प्रताप सिंह से कहते हैं, "आप ज्यादा परेशान थे इसलिए हम इन्वॉल्व हुए, वरना कभी नहीं करते।" अरुण प्रताप उनसे फीडिंग पूरी होने की समय-सीमा पूछते हैं, जिस पर मुकेश सिंह कहते हैं, "हमें ही करना है।" वीडियो के अंत में दोनों पटवारी बाइक पर सवार होकर चले जाते हैं।
राजस्व विभाग पर सवाल:
इस वीडियो के वायरल होने के बाद राजस्व विभाग की ईमानदारी पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गए हैं। यह घटना सरकारी सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है।
अधिकारियों का बयान और जांच:
सिरमौर के नायब तहसीलदार रमाकांत तिवारी ने बताया कि उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वीडियो और इस गतिविधि की पूरी जांच कराई जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि पटवारी ओमप्रकाश नीरत का दो दिन पहले ही तबादला हुआ है, लेकिन वे अभी पदभार से मुक्त नहीं हुए हैं। उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। नायब तहसीलदार ने स्पष्ट किया कि यदि पटवारी दोषी पाए जाते हैं, तो वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि शासकीय सेवा में अपने उपयोग के लिए पैसे या रिश्वत लेना पूरी तरह से अपराध है।