रीवा जाम: कमिश्नर ने माना 'निगम खाता है पैसा'? वेतन काट कर दिया सख्त संदेश! अब 'दिखावटी' नहीं, 'असली' कार्रवाई, सामान जब्त करने का आदेश
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर, विंध्य क्षेत्र का एक प्रमुख केंद्र, पिछले कई वर्षों से बढ़ते अतिक्रमण और इसके परिणामस्वरूप भीषण यातायात जाम की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। शहर के मुख्य मार्ग, विशेष रूप से जयस्तंभ, धोबिया टंकी, और अन्य व्यस्ततम चौराहे, पैदल चलने वालों और वाहन चालकों, दोनों के लिए एक बड़ी असुविधा का कारण बन गए हैं। सड़क के किनारे अवैध रूप से लगाई गई दुकानें, ठेले और गलत पार्किंग की वजह से सड़कों की चौड़ाई सिमट गई है, जिससे आवागमन मुश्किल हो गया है। स्थानीय मीडिया ने कई बार इस मुद्दे को उठाया है, अक्सर यह आरोप लगाते हुए कि नगर निगम की कार्रवाई दिखावटी होती है और भ्रष्टाचार के कारण यह समस्या खत्म नहीं होती।
इन शिकायतों और लगातार बन रहे दबाव के बीच, नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ सोनवणे ने अब इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपना लिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि रीवा शहर की सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी में किसी भी प्रकार की लापरवाही या मिलीभगत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नगर निगम आयुक्त डॉ. सोनवणे की फटकार: दिखावटी कार्रवाई नहीं होगी बर्दाश्त
आयुक्त डॉ. सोनवणे ने हाल ही में अतिक्रमण दस्ते को अपने कार्यालय में बुलाकर कड़ी फटकार लगाई। यह फटकार इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह अतीत में हुई कार्रवाई की गुणवत्ता और नीयत से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि: "अतिक्रमण नियंत्रण निगम की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसमें लापरवाही या दिखावटी कार्यवाही किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी।"
आयुक्त ने अतिक्रमण दस्ते को तत्काल और प्रभावी ढंग से काम करने के निर्देश दिए हैं। उनका यह रुख उन पुरानी धारणाओं और मीडिया रिपोर्ट्स को सीधे चुनौती देता है, जिनमें आरोप लगाया जाता रहा है कि नगर निगम के कर्मचारी पैसे लेकर अवैध कब्जे को बढ़ावा देते हैं और कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करते हैं। अब यह देखना होगा कि आयुक्त का सख्त कदम जमीनी स्तर पर कैसा असर डालेगा और क्या रीवा शहर को जाम से मुक्ति मिलेगी।
भ्रष्टाचार और लापरवाही पर कड़ा प्रहार: क्यों नगर निगम पर उठते हैं सवाल?
रीवा के नागरिक लंबे समय से यह शिकायत करते रहे हैं कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई केवल कुछ समय के लिए होती है और जैसे ही दस्ता हटता है, कब्जा करने वाले वापस अपनी जगह पर आ जाते हैं। इस अस्थाई समाधान के पीछे अक्सर नगर निगम के कर्मचारियों की मिलीभगत का संदेह जताया जाता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में बार-बार यह खबर प्रकाशित हुई है कि "नगर निगम सभी जगह से पैसा खाता है और दिखावटी कार्रवाई करता है।" यह स्थिति न केवल शहर के नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बनती है, बल्कि नगर निगम की छवि को भी धूमिल करती है। क्या नगर निगम के कुछ कर्मचारी अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं, यह एक बड़ा सवाल है।
"पैसे लेकर कब्जा दिलाने" की शिकायतें और जनता का सामना
डॉ. सोनवणे का 'कड़ा रुख' इन आरोपों की गंभीरता को दर्शाता है। यदि यह सच है कि "पूरे शहर में यही हाल है" कि पैसा लेकर कब्जा दिलाया जाता है, तो यह स्थिति सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। इस भ्रष्टाचार का सीधा खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है, जिसे काफी जाम का सामना करना पड़ता है। आयुक्त ने अपनी फटकार के माध्यम से उन कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश दिया है जो इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा है कि लापरवाही या दिखावटी कार्यवाही किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी, जो इस समस्या को जड़ से खत्म करने के उनके इरादे को दर्शाता है।
निगम की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी: अतिक्रमण नियंत्रण क्यों जरूरी है?
नगर निगम का प्राथमिक कार्य शहर के नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं और एक व्यवस्थित जीवन प्रदान करना है। इसमें साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, और सबसे महत्वपूर्ण, सुगम यातायात सुनिश्चित करना शामिल है। अतिक्रमण नियंत्रण इस कार्य की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, क्योंकि अवैध कब्जे सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और फुटपाथों को बाधित करते हैं। यह न केवल यातायात जाम पैदा करता है, बल्कि पैदल चलने वालों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है। आयुक्त का यह बयान कि "अतिक्रमण नियंत्रण निगम की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है," एक तरह से निगम के कर्तव्य की याद दिलाता है और अतिक्रमण पर नियंत्रण कैसे करें, इस पर जोर देता है।
'कार्य योजना' तैयार: जयस्तंभ से धोबिया टंकी तक चलेगा नियमित अभियान
आयुक्त डॉ. सोनवणे ने सिर्फ फटकार ही नहीं लगाई है, बल्कि एक ठोस कार्य योजना भी तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस कार्य योजना का मुख्य फोकस नियमितता और निष्पक्षता पर है। उन्होंने विशेष रूप से जयस्तंभ से धोबिया टंकी तक के संवेदनशील मार्ग पर एक नियमित अभियान चलाने का निर्देश दिया है। यह मार्ग शहर के सबसे व्यस्त हिस्सों में से एक है, और यहाँ का अतिक्रमण शहर के यातायात को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। आयुक्त ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यह कार्रवाई केवल एक दिन की नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे एक निरंतर प्रक्रिया बनाया जाना चाहिए।
दोबारा कब्जा होने पर होगी सामान की जब्ती
अतिक्रमण की समस्या का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि लोग एक बार हटने के बाद कुछ ही घंटों या दिनों में फिर से कब्जा कर लेते हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए, आयुक्त ने एक सख्त निवारक उपाय पेश किया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि: "अक्सर अतिक्रमण हटाने के बाद लोग दोबारा कब्जा कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में हटाने के साथ-साथ सामान की जब्ती की कार्रवाई भी अनिवार्य रूप से की जाए।"
इस 'जब्ती की कार्रवाई' का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कब्जा करने वाले को न केवल अपनी जगह खाली करनी पड़े, बल्कि उन्हें अपने सामान के नुकसान का भी सामना करना पड़े। यह दंडात्मक कदम दोबारा अतिक्रमण करने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आयुक्त ने जोर देकर कहा कि "कार्रवाई शहर में दिखनी चाहिए," ताकि जनता को असुविधा न हो और उन्हें यह विश्वास हो कि निगम वास्तव में काम कर रहा है।
पक्षपात रहित कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर हमेशा पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं, जहां छोटे विक्रेताओं पर तो कार्रवाई होती है, लेकिन प्रभावशाली लोगों के कब्जों को छोड़ दिया जाता है। इस धारणा को तोड़ने के लिए, डॉ. सोनवणे ने निर्देश दिया है कि: "पूरा दस्ता मौके पर जाकर समान रूप से कार्यवाही करे और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी प्रकार का पक्षपात न हो।"
यह सुनिश्चित करना कि कार्रवाई भेदभाव रहित हो, निगम की विश्वसनीयता के लिए अत्यंत आवश्यक है। जब अतिक्रमण कैसे हटाएँ की बात आती है, तो यह महत्वपूर्ण है कि नियमों का पालन सभी के लिए समान रूप से हो, न कि केवल कमज़ोर वर्ग के लिए।
यातायात जाम से मिलेगी मुक्ति: टोइंग वाहन की सक्रियता
अतिक्रमण के साथ-साथ, अवैध पार्किंग रीवा शहर में यातायात जाम का सामना करने का एक और प्रमुख कारण है। मुख्य मार्गों पर वाहनों को बेतरतीब ढंग से खड़ा कर दिया जाता है, जिससे यातायात बाधित होता है। इस समस्या से निपटने के लिए, निगम आयुक्त ने टोइंग वाहन को सक्रिय करने का निर्देश दिया है।
जोन 2 और 3 में अवैध पार्किंग पर कार्रवाई कैसे होगी?
आयुक्त ने विशेष रूप से निर्देशित किया है कि: "टोइंग व्हीकल को जोन क्रमांक 2 और 3 में सक्रिय रूप से संचालित किया जाए, ताकि मुख्य मार्गों से अवैध पार्किंग और अतिक्रमण को हटाया जा सके।"
जोन 2 और 3 शहर के वे क्षेत्र हैं जहाँ व्यावसायिक गतिविधियाँ अधिक हैं और यातायात का दबाव भी अधिक होता है। टोइंग वाहन की सक्रियता से न केवल गलत तरीके से पार्क किए गए वाहनों को हटाया जाएगा, बल्कि वाहन चालकों को भी सही पार्किंग स्थलों का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह कदम क्या यातायात जाम की समस्या को सुलझाएगा, यह देखना बाकी है, लेकिन यह एक सही दिशा में उठाया गया कदम है।
आंतरिक अनुशासन पर जोर: कर्मचारियों पर वेतन कटौती की गाज
डॉ. सोनवणे ने केवल अतिक्रमणकारियों पर ही नहीं, बल्कि अपने ही विभाग के कर्मचारियों पर भी कड़ा अनुशासन लागू किया है। यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि वह विभाग के अंदर की शिथिलता को भी खत्म करना चाहते हैं।
बिना वर्दी ड्यूटी पर क्यों मिले कर्मचारी?
बैठक के दौरान, कई कर्मचारी बिना वर्दी के ड्यूटी पर पाए गए। इसे आयुक्त ने कर्तव्य में लापरवाही और अनुशासनहीनता माना। उन्होंने तत्काल इन कर्मचारियों के खिलाफ एक दिन की वेतन कटौती के निर्देश दिए।
यह कार्रवाई प्रतीकात्मक रूप से यह संदेश देती है कि जब निगम शहर में अनुशासन लागू करने की कोशिश कर रहा है, तो उसके कर्मचारियों को भी अनुशासित दिखना चाहिए। वर्दी में होना न केवल पहचान के लिए आवश्यक है, बल्कि यह पेशेवरता और जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।
रीवा शहर की प्राथमिकता: अतिक्रमण मुक्त सड़कें कैसे संभव हैं?
आयुक्त डॉ. सोनवणे का कड़ा रुख एक नई उम्मीद जगाता है कि रीवा शहर की सड़कें वास्तव में अतिक्रमण मुक्त हो सकती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि "शहर की सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करना प्राथमिकता है और इसमें कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"
यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि अतिक्रमण हटाना केवल एक नकारात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें वैकल्पिक व्यवस्था और दीर्घकालिक समाधान भी शामिल होना चाहिए।
नगर निगम को आगे क्या करना चाहिए और जनता से अपील
नगर निगम को आगे क्या करना चाहिए:
- वैकल्पिक वेंडिंग क्षेत्र: गरीब और छोटे विक्रेताओं के लिए स्थायी और सुव्यवस्थित वेंडिंग क्षेत्र की स्थापना करना, ताकि वे अपनी आजीविका कमा सकें और मुख्य सड़क से हट सकें।
- सतत निगरानी: एक विशेष प्रवर्तन दल का गठन करना जो 24 घंटे मुख्य मार्गों की निगरानी करे और दोबारा अतिक्रमण को तुरंत रोके।
- जागरूकता अभियान: नागरिकों को अतिक्रमण के नुकसान और अवैध पार्किंग के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना।
- पारदर्शिता: कार्रवाई की रिपोर्ट को नियमित रूप से सार्वजनिक करना, जिससे यह पता चल सके कि जब्त सामान कहां जाता है और किस पर कार्रवाई हुई है।
रीवा की जनता से अपील:
यातायात जाम और अतिक्रमण की समस्या केवल निगम की नहीं है; यह पूरे शहर की समस्या है। नागरिकों से अपील है कि वे निगम का सहयोग करें। अवैध पार्किंग न करें, अतिक्रमण करने वालों को प्रोत्साहित न करें, और यदि आप किसी भ्रष्टाचार या पक्षपात को देखते हैं, तो उसकी शिकायत सीधे आयुक्त कार्यालय में करें। क्या हम एक साथ मिलकर रीवा को बेहतर बना सकते हैं? इसका उत्तर जनता के सहयोग पर निर्भर करेगा।
आयुक्त डॉ. सोनवणे का यह कड़ा कदम एक नए और व्यवस्थित रीवा शहर की ओर एक आशा की किरण है, जिसे बनाए रखना अब निगम और नागरिकों, दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है।