रीवा की बेटी बनीं सिविल जज: 23 साल की ओशिन सोलंकी ने पहले ही प्रयास में हासिल की 17वीं रैंक
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिला, जो अपनी शैक्षणिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, एक बार फिर गौरवान्वित हुआ है। शहर की एक होनहार बेटी, ओशिन सिंह सोलंकी ने मात्र 23 वर्ष की अल्पायु में एक ऐसी ऐतिहासिक सफलता हासिल की है, जिसकी गूंज पूरे मध्य प्रदेश में सुनाई दे रही है। ओशिन ने देश की प्रतिष्ठित सिविल जज परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 17वीं रैंक प्राप्त की है और अपने पहले ही प्रयास में यह मुकाम हासिल कर लिया है।
यह उपलब्धि न केवल ओशिन के लिए, बल्कि उनके परिवार, नेहरू नगर के स्थानीय निवासियों और पूरे रीवा जिले के लिए एक अविस्मरणीय क्षण है। ओशिन की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि लगन, अनुशासन और सही मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
पहले ही प्रयास में 17वीं रैंक: एक असाधारण उपलब्धि क्यों?
सिविल जज परीक्षा देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसके लिए लाखों छात्र कई वर्षों तक तैयारी करते हैं। इस परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बहुत कम होता है। ऐसे में, ओशिन सिंह सोलंकी का पहले ही प्रयास में टॉप 20 में, यानी 17वीं रैंक पर आना, उनकी असाधारण प्रतिभा, मेहनत और विषयों पर उनकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
23 वर्ष की उम्र में, जब अधिकांश युवा अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रहे होते हैं या करियर की दिशा तय कर रहे होते हैं, ओशिन ने सीधे न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर चयनित होकर एक मजबूत उदाहरण पेश किया है।
ओशिन सिंह सोलंकी का परिचय: एक न्यायिक परिवार की होनहार बेटी
ओशिन सिंह सोलंकी की सफलता की कहानी उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि और बचपन के लक्ष्य से जुड़ी हुई है। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं, जहाँ कानून और न्याय की समझ बचपन से ही मिली।
नेहरू नगर से न्यायिक मजिस्ट्रेट बनने तक का सफर
ओशिन सिंह सोलंकी रीवा शहर के नेहरू नगर, वार्ड क्रमांक 13 की निवासी हैं। उनकी पारिवारिक पहचान ही न्यायिक सेवा से जुड़ी है:
- पिता: एड. दल बहादुर सिंह सोलंकी, पेशे से अधिवक्ता हैं।
- माता: आदर्श सिंह सोलंकी, पेशे से अभियोजन अधिकारी हैं।
बचपन से ही घर में कानूनी शब्दावली और न्यायिक प्रक्रिया का माहौल होने के कारण, ओशिन ने छोटी उम्र में ही न्यायिक सेवा में जाने का अपना लक्ष्य दृढ़ता से तय कर लिया था। उनकी यह सफलता सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि उनके माता-पिता के वर्षों के समर्पण का भी परिणाम है।
शिक्षा का आधार: रीवा और APSU का योगदान
- ओशिन ने अपनी सफलता की नींव अपने गृहनगर रीवा में ही रखी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रीवा के स्थानीय स्कूलों से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU), रीवा से प्राप्त की।
- पढ़ाई के दौरान ओशिन ने कभी भी अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं भटकाया। APSU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से कानून की बारीकियों को समझना और फिर उसे प्रतियोगी परीक्षा में सफलतापूर्वक लागू करना, उनकी शैक्षणिक क्षमता को दर्शाता है।
सफलता का मूलमंत्र: माता-पिता का मार्गदर्शन और प्रेरणा
ओशिन की शानदार कामयाबी के पीछे अगर कोई सबसे बड़ी ताकत है, तो वह है उनके माता-पिता का अनमोल सहयोग, स्नेह और सख्त अनुशासन। ओशिन खुद अपनी सफलता का श्रेय उन्हीं को देती हैं।
मां का मोटिवेशन और पिता का अनुशासन: कैसे बना सबसे बड़ी ताकत?
- ओशिन ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा: "मुझे मां से मिला मोटिवेशन और पिता से मिला मार्गदर्शन मेरी सबसे बड़ी ताकत रहा। उन्हीं के आशीर्वाद से मैं अपने सपने को पूरा कर सकी।"
- अभियोजन अधिकारी होने के नाते उनकी मां ने उन्हें हमेशा आत्मविश्वास और सकारात्मकता से भरा, जबकि अधिवक्ता पिता ने उन्हें कानूनी ज्ञान की गहराई दी। दोनों ही अध्ययन के प्रति हमेशा प्रेरित करते रहे।
शहर में उत्साह का माहौल: नागरिक अभिनंदन और बधाई
ओशिन सिंह सोलंकी की इस असाधारण सफलता से पूरे रीवा शहर में खुशी की लहर दौड़ गई है। शहरवासियों ने उनकी इस उपलब्धि को रीवा की बेटी का गौरव माना है और उन्हें बधाई दी है।
समाजसेवी एड. मानवेंद्र द्विवेदी की प्रतिक्रिया: "ओशिन सभी के लिए प्रेरणा"
शहर के समाजसेवी एड. मानवेंद्र द्विवेदी ने ओशिन की सफलता पर विशेष रूप से प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बेटी ओशिन की सफलता शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिविल जज परीक्षा में 17वां स्थान प्राप्त करने वाली नेहरू नगर की बिटिया ओशिन सोलंकी ने अपने माता-पिता के साथ ही रीवा जिले का नाम रोशन किया है। ओशिन की इस उपलब्धि पर एड. दलबहादुर सिंह सोलंकी और आदर्श सिंह सोलंकी को भी बधाई दी गई।
भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह: कौन-कौन रहे उपस्थित?
ओशिन की सफलता को सम्मान देने के लिए, समाजसेवी एड. मानवेंद्र द्विवेदी के नेतृत्व में ओशिन सिंह सोलंकी और उनके माता-पिता का भव्य नागरिक अभिनंदन (Citizen Felicitation) किया गया। इस सम्मान समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
- एस डी एम त्रिपाठी
- रामनारायण सोनी
- अशोक कुमार गुप्ता
- पन्ना लाल सोनी
- विनोद कुमार पांडेय
- पार्वती कनौजिया
- गगन शुक्ल
- गौरव शर्मा
- राहुल सोनी
- तथा नेहरू नगर के अन्य स्थानीय लोग।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने ओशिन के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
माता-पिता का संदेश: "हर माता-पिता दें संस्कार और दिशा"
ओशिन की मां, आदर्श सिंह सोलंकी, ने अपनी खुशी साझा करते हुए सभी माता-पिता को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कारों के साथ शिक्षा देना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा: "डिग्री तो मिल जाती है, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने अंदर दृढ़ निश्चय जरूरी है।" पिता दल बहादुर सिंह ने भी अपनी पत्नी की प्रेरणा और समर्पण को सफलता का श्रेय दिया।
ओशिन की सफलता से युवा पीढ़ी को प्रेरणा
ओशिन सिंह सोलंकी की कहानी रीवा और पूरे देश के उन लाखों युवाओं के लिए एक रोल मॉडल है, जो सिविल सेवाओं या न्यायिक सेवा में जाने का सपना देखते हैं। उनकी 23 वर्ष की उम्र में पहले प्रयास में सफलता यह साबित करती है कि सही रणनीति, समय प्रबंधन और एकाग्रता से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
पहले प्रयास में सफलता: क्या होनी चाहिए रणनीति?
ओशिन की सफलता की कहानी से युवा कुछ महत्वपूर्ण सीख ले सकते हैं:
- जल्दी लक्ष्य निर्धारित करें: बचपन में ही लक्ष्य तय करने से दिशा मिल जाती है।
- सही मार्गदर्शन: माता-पिता और न्यायिक पृष्ठभूमि का मार्गदर्शन अमूल्य रहा।
- एकाग्रता और अनुशासन: पढ़ाई के दौरान एकाग्रता बनाए रखना और एक सख्त अनुशासन का पालन करना।
ओशिन सिंह सोलंकी की यह उपलब्धि रीवा के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है, और आने वाले वर्षों में यह कई युवाओं को प्रेरणा देती रहेगी।