पुलिस कप्तान बदले पर 'नशे' का धंधा वही! क्या SP-IG भी 'कमीशन' की भेंट चढ़ गए?
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा पुलिस ने नशे के काले कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ी और सफल कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन में चोरहटा पुलिस ने दो मादक पदार्थ तस्करों को गिरफ्तार किया है, जो रेलवे स्टेशन के पास प्रतिबंधित कफ सिरप की खेप को ठिकाने लगाने की फिराक में थे। यह कार्रवाई न केवल शहर में चल रहे नशे के नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पुलिस ऐसे अवैध धंधों को रोकने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है। यह ऑपरेशन पुलिस के 'जीरो-टॉलरेंस' की नीति को भी दर्शाता है।
गुप्त सूचना से मिली बड़ी कामयाबी
इस गिरफ्तारी की शुरुआत एक विश्वसनीय मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर हुई। थाना प्रभारी आशीष मिश्रा को जानकारी मिली थी कि एक हीरो बाइक पर दो व्यक्ति बड़ी मात्रा में नशीली कफ सिरप लेकर गोडहर मैदान के पास मौजूद हैं, जो ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस ने बिना देर किए एक टीम का गठन किया और तुरंत बताए गए स्थान पर दबिश दी। पुलिस को देखते ही आरोपियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन टीम की सतर्कता और फुर्ती के कारण वे सफल नहीं हो पाए और उन्हें मौके पर ही दबोच लिया गया।
आरोपियों की पहचान और बरामदगी
पकड़े गए आरोपियों की पहचान 23 वर्षीय दीपक यादव और 26 वर्षीय राहुल द्विवेदी के रूप में हुई है। तलाशी लेने पर उनके पास से एक बोरी बरामद हुई, जिसमें 100 मि.ली. की 238 नग ओनरेक्स कफ सिरप की शीशियां थीं। यह सिरप मेडिकल इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन नशे के रूप में इसका दुरुपयोग काफी बढ़ गया है, जिसके कारण यह प्रतिबंधित श्रेणी में आती है।
कानूनी कार्रवाई: कड़ी धाराओं में दर्ज हुआ मामला
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें धारा 8, 21, 22, 25, 25A, 29 और ड्रग्स कंट्रोल एक्ट की धारा 5/13 शामिल हैं। इन धाराओं के तहत ड्रग्स की तस्करी, खरीद-फरोख्त और वितरण जैसे गंभीर अपराधों को कवर किया जाता है, जिनके लिए सख्त सजा का प्रावधान है। आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया है, जो यह बताता है कि ऐसे अपराधों को हल्के में नहीं लिया जाता।
नशे पर सिर्फ 'छोटी कार्रवाई': क्या पुलिस सिर्फ दिखावा कर रही है?
रीवा पुलिस ने एक बार फिर नशे के खिलाफ 'बड़ी कार्रवाई' का दावा किया है। दो तस्करों से 238 नशीली कफ सिरप जब्त की गई और उन्हें जेल भेज दिया गया। यह खबर अखबारों की सुर्खियां बन रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। क्या रीवा के लोग सच में मानते हैं कि यह एक 'बड़ी जीत' है, जबकि शहर का युवा नशे के दलदल में धंसता जा रहा है?
सिर्फ कुछ बोतलों की जब्ती, असली कारोबारियों को छूट
पुलिस की यह कार्रवाई ठीक वैसी ही है जैसे समुद्र से एक बाल्टी पानी निकाल लेना। शहर में कोरक्स और गांजे का धंधा बेखौफ चल रहा है। गली-मोहल्ले से लेकर शहर के बड़े इलाकों तक, हर जगह नशीली सिरप और गांजा आसानी से उपलब्ध है। क्या पुलिस को इन जगहों की जानकारी नहीं है? यह सवाल बार-बार उठता है कि क्यों पुलिस सिर्फ छोटे-मोटे डीलरों पर ही कार्रवाई करती है, जबकि असली सरगना और बड़े सप्लायर आज तक पकड़ में नहीं आए हैं।
युवाओं का भविष्य खतरे में
रीवा के युवा सिर्फ कोरक्स और गांजा पी ही नहीं रहे, बल्कि खुद इस कारोबार का हिस्सा बन चुके हैं। छोटी उम्र के लड़के-लड़कियां आसानी से नशे के तस्कर बन रहे हैं। यह स्थिति बताती है कि शहर में नशे का नेटवर्क कितना मजबूत और फैला हुआ है। कई पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक आए और चले गए, लेकिन नशे का यह कारोबार कभी बंद नहीं हुआ। ऐसा क्यों होता है? क्या यह सिर्फ पुलिस की नाकामी है, या इसमें कुछ और भी शामिल है?
'कमीशन' का खेल, युवा हो रहे बर्बाद
आमतौर पर यह माना जाता है कि पुलिस के कुछ लोग इस अवैध कारोबार को संरक्षण देते हैं। यह आरोप लगता है कि 'कमीशन' का खेल पुलिस महकमे में गहराई तक फैला हुआ है। जब तक यह 'साठगांठ' जारी रहेगी, तब तक छोटी-मोटी गिरफ्तारियों से कुछ नहीं बदलेगा। नशे के सौदागर बेखौफ अपना धंधा चलाते रहेंगे और हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद होती रहेगी। यह समय है कि पुलिस अपने ही घर में झांके और इस भ्रष्टाचार को खत्म करे।
यह समझना जरूरी है कि जब तक पुलिस की कार्रवाई सिर्फ दिखावे तक सीमित रहेगी, तब तक नशा रीवा के भविष्य को बर्बाद करता रहेगा। सिर्फ कुछ शीशियां जब्त करने से यह समस्या खत्म नहीं होगी, बल्कि इसके लिए एक मजबूत इच्छाशक्ति और ईमानदारी की जरूरत है।
निष्कर्ष: समाज में नशे की बुराई पर लगाम
यह गिरफ्तारी सिर्फ एक कानूनी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह समाज में बढ़ रही नशे की लत के खिलाफ एक चेतावनी भी है। पुलिस की यह कार्रवाई युवाओं को इस दलदल से बचाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। यह स्पष्ट संदेश देता है कि पुलिस प्रशासन नशे के कारोबार में लिप्त लोगों को बख्शेगा नहीं और यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक इस अवैध धंधे का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता।