रानी तालाब में 'प्रसाद' के नाम पर लूट? ₹2 के टिकट पर ₹20 मांगने वाले कर्मचारी पर FIR कब? CM मोहन से लेकर DM तक जनता ने मांगा जवाब!
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर। रीवा के प्रमुख धार्मिक और दर्शनीय केंद्र रानी तालाब एक बार फिर गलत कारणों से सुर्खियों में है। परिसर में प्रवेश शुल्क को लेकर चल रही अवैध वसूली का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने शुल्क वसूली की पूरी प्रणाली में भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता की परतें खोल दी हैं।
अवैध वसूली का केंद्र: ₹20 की मांग, ₹2 का टिकट
रानी तालाब परिसर में कुछ स्थानीय युवकों ने प्रवेश के लिए भुगतान किया, जिसके बाद यह विवाद शुरू हुआ।
- वसूली गई राशि: युवकों से दो व्यक्तियों के प्रवेश के लिए ₹10 से ₹20 तक लिए जा रहे थे। युवकों ने ₹20 का भुगतान किया।
- टिकट पर दर्ज शुल्क: जब युवकों ने भुगतान के बदले मिला टिकट देखा, तो उस पर आधिकारिक प्रवेश शुल्क मात्र ₹2 दर्ज था।
इस भारी अंतर—जहाँ ₹2 के टिकट पर ₹20 वसूले जा रहे थे—ने युवकों को हैरान कर दिया। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वसूली गई राशि का एक बड़ा हिस्सा सरकारी खाते में जमा नहीं हो रहा था।
युवकों का दृष्टिकोण: पारदर्शिता पर सवाल
युवकों ने पैसे को लेकर नहीं, बल्कि टिकट और वसूली के बीच असमानता को लेकर बहस शुरू की। उनका मुख्य सवाल यह था कि जब टिकट पर शुल्क ₹2 है, तो ₹20 क्यों लिए जा रहे हैं?
युवकों ने इस अवैध गतिविधि का प्रमाण जुटाने के लिए अपने मोबाइल से टिकट की तस्वीर और पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश की।
अभद्रता और हाथापाई की कोशिश: दुर्व्यवहार का प्रमाण
जैसे ही युवकों ने वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू की, टिकट वसूलने वाले व्यक्ति ने अपना असली रंग दिखा दिया।
- अभद्र व्यवहार: टिकटकर्मी ने युवकों से बहस की और उनके साथ अभद्रता की।
- हाथ पकड़ना: उसने विरोध को दबाने के लिए एक युवक का मोबाइल छीनने की कोशिश की और उसका हाथ पकड़ा, जिससे स्थिति हाथापाई तक पहुँच गई।
कर्मचारी का यह जबरदस्त और आक्रामक व्यवहार इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह अपनी अवैध वसूली को छुपाने का प्रयास कर रहा था।
मौके पर बीच-बचाव और निष्कर्ष
विवाद और हाथापाई की कोशिश के बाद, परिसर में मौजूद आसपास के अन्य लोग सक्रिय हुए। उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों को शांत कराया, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं हुई।
इस घटना के बाद निम्नलिखित मुख्य निष्कर्ष सामने आते हैं:
- अवैध टिकटिंग प्रणाली: रानी तालाब में एक गैर-पारदर्शी टिकटिंग प्रणाली चल रही है, जहाँ टिकट पर कम राशि दर्ज कर अधिक वसूली की जा रही है।
- कर्मचारी की मनमानी: कर्मचारी की मनमानी और अभद्रता ने इस पूरे मामले को विवादित बना दिया।
- निगरानी का अभाव: यह घटना सिद्ध करती है कि स्थानीय प्रशासन द्वारा शुल्क वसूली पर कोई प्रभावी निगरानी नहीं रखी जा रही है।
प्रशासनिक विफलता और आवश्यक कदम
रानी तालाब, जो रीवा की पहचान है, वहाँ इस तरह की अवैध वसूली न केवल धार्मिक स्थल की साख को प्रभावित करती है, बल्कि शहर की छवि को भी खराब करती है।
तत्काल आवश्यक कदम:
- गहन जांच: इस पूरे अवैध वसूली रैकेट की उच्च-स्तरीय प्रशासनिक जांच होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि अतिरिक्त राशि किसकी जेब में जा रही है।
- कर्मचारी पर कार्रवाई: विवादित कर्मचारी पर अभद्रता, दुर्व्यवहार और अवैध वसूली के आरोपों पर तत्काल निलंबन और कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करना: प्रशासन को इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग शुरू करनी चाहिए और आधिकारिक शुल्क की दरें प्रमुख स्थानों पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करनी चाहिए ताकि नागरिक जागरूक रहें और दुरुपयोग रोका जा सके।
यह घटना स्पष्ट करती है कि अब केवल सीएस की फटकार जैसे उच्च दबाव ही नहीं, बल्कि लगातार निगरानी और कठोर दंडात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि शुल्क वसूली में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।