MP के सरकारी कॉलेजों में रीवा और शहडोल का जलवा! छात्रों की पहली पसंद बनकर रचा इतिहास

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्यप्रदेश के शिक्षा परिदृश्य में रीवा और शहडोल ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आमतौर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे बड़े शहरों के कॉलेज छात्रों की पहली पसंद होते हैं, लेकिन इस बार रीवा और शहडोल के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों ने इन सभी को पीछे छोड़ दिया है। प्रवेश प्रक्रिया में सबसे पहले इन्हीं दोनों कॉलेजों की शत-प्रतिशत सीटें भर गईं, जिससे ये पूरे मध्य प्रदेश में अव्वल बन गए हैं। यह एक बड़ा बदलाव है जो इन कॉलेजों की बढ़ती प्रतिष्ठा और छात्रों के बीच उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है।

इंदौर-भोपाल जैसे दिग्गजों को छोड़ा पीछे
यह खबर कई मायनों में चौंकाने वाली है क्योंकि यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (UIT) शहडोल और गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (GEC) रीवा ने एडमिशन के मामले में इंदौर और भोपाल के कई नामी-गिरामी कॉलेजों को पीछे छोड़ दिया है। इन बड़े शहरों के कुछ कॉलेजों की सीटें अभी तक पूरी नहीं भरी हैं, जबकि रीवा और शहडोल में प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यह दर्शाता है कि अब छात्रों का रुझान सिर्फ बड़े शहरों की ओर नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले संस्थानों की ओर भी हो रहा है, भले ही वे छोटे शहरों में क्यों न हों।

किस ब्रांच में सबसे ज्यादा मारामारी?
जीईसी रीवा में कुल पांच इंजीनियरिंग ब्रांच हैं और इन सभी की सीटें पूरी तरह से भर चुकी हैं। छात्रों में सबसे अधिक क्रेज कंप्यूटर साइंस ब्रांच को लेकर देखा गया। इस ब्रांच की सीटें सबसे पहले फुल हुईं। इसके बाद सिविल और अन्य ब्रांचों में भी छात्रों ने बढ़-चढ़कर दाखिला लिया। रीवा जीईसी में कुल 375 सीटें हैं, जिनमें से 13 सीटों पर छात्रों को मुफ्त में भी प्रवेश दिया गया है।

वहीं, शहडोल के नए कॉलेज की बात करें तो वहां माइनिंग इंजीनियरिंग में प्रवेश की होड़ मची रही। माइनिंग ब्रांच होने के कारण ही यह कॉलेज छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय रहा और इसकी 150 सीटें पूरी तरह से भर गईं। यह भी एक बड़ा कारण है कि इन कॉलेजों ने शीर्ष पर जगह बनाई है।

क्यों बन रहे हैं छात्रों की पहली पसंद?
इस सफलता के पीछे कई कारण हो सकते हैं।

  • बेहतर शिक्षा का स्तर: यह संभव है कि इन कॉलेजों ने हाल के वर्षों में अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार किया हो, जिससे छात्रों का विश्वास बढ़ा है।
  • किफायती फीस और सुविधा: सरकारी कॉलेज होने के कारण इनकी फीस निजी कॉलेजों की तुलना में काफी कम होती है।
  • रोजगार के बेहतर अवसर: यदि इन कॉलेजों से पास होने वाले छात्रों को अच्छी नौकरियां मिल रही हैं, तो यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

यह एक सकारात्मक संकेत है कि अब छोटे शहरों के सरकारी कॉलेज भी छात्रों की पसंद बन रहे हैं। यह शिक्षा के क्षेत्र में क्षेत्रीय संतुलन को बढ़ावा देगा और छात्रों को कम खर्च में बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अवसर देगा।